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अपराधजर्मनी

जर्मनी: 22 महिलाओं की मर्डर मिस्ट्री सुलझाने में जुटी पुलिस

ओलिवर पीपर
२९ अगस्त २०२३

जर्मन पुलिस बरसों से अनसुलझे पड़े 22 महिलाओं के मर्डर केस सुलझाने में जुटी है. आज तक इन महिलाओं की शिनाख्त तक नहीं हो सकी है. अब पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए इंटरपोल के अलावा एक क्राइम शो की भी मदद ली जा रही है.

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सांकेतिक तस्वीर
उम्मीद है कि मारी गई महिलाओं की शिनाख्त से उनके हत्यारों को सजा दिलाई जा सकेगी. इंसाफ हो पाएगा. तस्वीर: Damien Meyer/AFP/Getty Images

जून 1997 की बात है. एक बाइक सवार को जर्मन शहर हागन में एक जंगल के पास एक महिला की लाश मिली. उसका रेप हुआ था. फिर उसका गला दबाया गया. पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी गई. वो महिला कौन थी?

अक्टूबर 2001. जर्मन शहर कोलोन के पास एक महिला का शव मिला. लाश इतने वक्त से वहां थी कि जब मिली, बस कंकाल बच गया था. वो महिला कौन थी?

और 2002 में वो महिला कौन थी, जिसकी लाश बहते-बहते ब्रेमन शहर में एक यॉट में आ गई थी.

तीन महिलाएं, जिनकी हिंसक तरीके से जान ली गई. तीन महिलाएं, जिनकी पहचान आजतक नहीं हो पाई है. लेकिन जर्मनी के फेडरल क्रिमिनल पुलिस ऑफिस (बीकेए) का मानना है कि ये मामले अनसुलझे नहीं छोड़े जा सकते. जर्मन प्रशासन चाहता है कि ये मामले सुलझाए जाएं. इसी मकसद से "आइडेंटिफाई मी" नाम का एक नया अभियान शुरू किया गया है, जिसमें डच और बेल्जियम पुलिस के अलावा इंटरपोल को भी शामिल किया गया है.

अब एक वैश्विक तलाश शुरू हुई है. इसके तहत ऐसे सुराग खोजे जा रहे हैं, जिनसे हिंसक अपराधों की शिकार 22 अज्ञात महिलाओं के केस की जांच में मदद मिले. इन सभी महिलाओं का शव हालिया दशकों में जर्मनी, बेल्जियम और नीदरलैंड्स में मिला. इस मामले की जानकारी देते हुए इंटरपोल ने डीडब्ल्यू को बताया, "यह पहला मौका है, जब इंटरपोल ने "ब्लैक नोटिसेज" की जानकारियां जारी की हैं. आमतौर पर यह राष्ट्रीय पुलिस प्रशासन तक सीमित होता है. हमारा मकसद लोगों में जागरूकता बढ़ाना है, ताकि इन महिलाओं की पहचान की जा सके और उनकी हत्या के जिम्मेदार अपराधियों पर कार्रवाई हो सके."

जर्मनी का फेडरल क्रिमिनल पुलिस ऑफिस
बीकेए को उम्मीद है कि नई कोशिशों से दशकों बाद ये अनसुलझे मामले सुलझाए जा सकेंगे. तस्वीर: Arne Dedert/dpa/picture-alliance

कहीं और की हो सकती हैं महिलाएं

जर्मनी में लंबे समय से प्रसारित हो रहा एक क्राइम टीवी कार्यक्रम है, आक्टेनत्साइषेन इक्स इप्सिलोन. यानी, केस नंबर एक्सवाई...अनसॉल्व्ड. 1967 से जारी यह कार्यक्रम अनसुलझे अपराध के मामलों को रीकंस्ट्रक्ट करता है. इस कार्यक्रम में छह ऐसे पीड़ितों के केस भी शामिल किए जा रहे हैं, जिनकी लाशें जर्मनी में मिली थीं. मकसद है, ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचना.

अब तक इस अभियान में मारी गई किसी महिला की पहचान नहीं हो सकी है, लेकिन टिप्स आने लगे हैं. इंटरपोल ने बताया, "अभियान की शुरुआत से अब तक 500 से ज्यादा संदेश आ चुके हैं. उनमें से कुछ में अहम जानकारियां हैं. मुमकिन है कि ये सारे अनुसलझे मामले अंतरराष्ट्रीय पृष्ठभूमि से जुड़े हों. महिलाएं उन देशों की ना हों, जहां उनके शव मिले. या वो मानव तस्करी की शिकार हुई हों."

शिनाख्त जरूरी है

बीकेए की अन्या एलेनडोर्फ बताती हैं कि जमीन पर काम रहे जांच दलों को भी इन अनसुलझे मामलों से जुड़े टिप्स मिल रहे हैं. पीड़ित महिलाओं की शिनाख्त, उनके अपराधियों को पकड़ने के लिए जरूरी है. एलेनडोर्फ बताती हैं, "पीड़ित की पहचान आगे की जांच का आधार है. पहचान के बाद ही जांच हमें अपराध या अपराधियों तक ले जा सकती है. शिनाख्त के बाद ही हम जान सकेंगे कि ये महिलाएं कहां से आईं, अपराध के समय वो कहां रही होंगी, वो किस माहौल में रहती या काम करती होंगी."

बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ होने वाले हिंसक अपराधों में परिवार का ही कोई सदस्य शामिल होता है. बीकेए के मुताबिक, अकेले जर्मनी में ही औसतन हर दिन एक महिला की हत्या की कोशिश का मामला दर्ज होता है. तकरीबन हर तीसरे दिन एक महिला अपने पार्टनर या एक्स पार्टनर के हाथों मारी जाती है. कई अन्य यूरोपीय देशों में यह संख्या कहीं ज्यादा है.

एक वर्कशॉप में चेहरा रीक्रिएट करतीं विशेषज्ञ
अब तकनीक इतनी विकसित हो गई है कि विशेषज्ञ, मृतक की खोपड़ी के आधार पर चेहरे की संरचना बना सकते हैं. तस्वीर: Marijan Murat/dpa/picture alliance

नई तकनीकें, नए सुराग

हालिया वक्त में नई तकनीकों के कारण दशकों पुराने अनसुलझे मामले सुलझाना ज्यादा आसान हो गया है. जैसे कि "आईडेंटिफाई मी" अभियान के अंतर्गत, विशेष संस्थानों के विशेषज्ञों ने शवों की खोपड़ी का मुआयना कर सॉफ्ट टिशू रीकंस्ट्रक्शन किया. उन्हें उम्मीद है कि इस तरीके से शायद कोई पीड़ितों का चेहरा पहचान सके.

इसके अलावा डीएनए एनालिसिस भी है. एलेनडोर्फ कहती हैं, "हमारे पास 1980 के दशक से ही टिशू, दांत और हड्डियों से डीएनए निकालने और लाश को प्रोफाइल करने की क्षमता है. 1992 में बनाए गए हमारे डेटाबेस में गुमशुदा लोगों और शिनाख्त ना हो सके शवों के डीएनए प्रोफाइल हैं." डीएनए प्रोफाइलों को इंटरपोल के अंतरराष्ट्रीय डीएनए डेटाबेस में भी भेजा जाएगा.

डीएनए तकनीक के कारण जांचकर्ताओं को बहुत मदद मिल रही है.
डीएनए एनालिसिस में तरक्की के कारण कई अनसुलझे मामले सुलझाने में मदद मिल रही है. तस्वीर: PantherMedia/picture alliance

आधी सदी बाद सुलझा केस

अमेरिका में हाल ही में 50 साल पहले मारी गई एक महिला का अनसुलझा पड़ा केस सुलझाया गया है. 1969 में एक महिला को प्लास्टिक थैले में लपेटकर, दम घोटकर उसकी हत्या की गई और उसकी लाश एक बड़े से काले सूटकेस में बरामद हुई थी.

जांचकर्ताओं ने नए सिरे से केस को उठाया. उन्हें बालों का एक नमूना मिला, जिसकी पहले कभी जांच नहीं हुई थी. डीएनए प्रोफाइल के कारण महिला की शिनाख्त हुई. जांचकर्ताओं ने मारी गई महिला के रिश्तेदारों तक को खोज निकाला. ऐसे मामलों से जर्मनी में भी जांचकर्ताओं में उम्मीद जगी है.

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