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जर्मनीः आप्रवासियों के खिलाफ सख्ती का प्रस्ताव संसद में गिरा

३१ जनवरी २०२५

जर्मन सांसदों ने आप्रवासियों के खिलाफ विवादित प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. विपक्षी दल सीडीयू/सीएसयू की तरफ से आए इस बिल को सांसदों ने मामूली बढ़त से नकार दिया.

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बुंडेसटाग में बहस के दौरान फ्रीडरिष मैर्त्स
सीडीयू/सीएसयू के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स इस प्रस्ताव को एएफडी का समर्थन लेकर भी पारित कराने पर अमादा थेतस्वीर: Hannes P Albert/dpa/picture alliance

फ्रीडरिष मैर्त्स के इस प्रस्ताव के खिलाफ 350 वोट पड़े जबकि समर्थन में केवल 338 वोट. पांच सांसदों ने इस मतदान में हिस्सा नहीं लिया. सीडीयू/सीएसयू के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स इस प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए अमादा थे और इस वजह से जर्मनी की राजनीति में बवाल मचा हुआ है. यह   

23 फरवरी को होने वाले आम चुनावों में मैर्त्स की पार्टी फिलहाल सबसे आगे चल रही है. बिल पास होने से पहले शुक्रवार, 31 जनवरी को जर्मन राजनेताओं ने बर्लिन में इस बिल पर गहन चर्चा की. बंद दरवाजों के पीछे हुई इन चर्चाओं का मकसद बिल पर प्रमुख पार्टियों को एकजुट करना था. सीडीयू/सीएसयू के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स ने शपथ ली है कि वह जर्मनी की आप्रवासन नीति में कठोर सुधारों को शामिल करा कर रहेंगे. इसके लिए उन्हों ने धुर- दक्षिणपंथी दलों का भी साथ लिया. इसकी वजह से उन्हें तीखी आलोचना और कई पार्टियों का विरोध झेलना पड़ा है.

बिल पर चर्चा के दौरान जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक
मैर्त्स के प्रस्ताव पर सांसदों ने पार्टी लाइन से ऊपर जाकर वोट दिया हैतस्वीर: Nadja Wohlleben/REUTERS

जर्मनी में उथल-पुथल

चुनाव के पहले उठे इस बवाल ने जर्मन राजनीति में भारी उथल पुथल-मचाई है. मामला इसलिए भी बड़ा हो गया है क्योंकि चांसलर पद की दौड़ में मैर्त्स और सीडीयू/सीएसयू सबसे आगे चल रहे हैं. मौजूदा चांसलर शॉल्त्स की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी, एफडीपी और ग्रीन पार्टी के बड़े नेता भी मैर्त्स के ऑफिस शुक्रवार को वोटिंग से पहले उनसे बंद दरवाजों के पीछे बातचीत करने पहुंचे थे. बुंडेसटाग का सत्र बार बार स्थगित होता और टलता रहा क्योंकि पार्टी नेता क्या करना है उस पर चर्चा करते रहे. बिल पर चर्चा  सुबह 10:30 बजे शुरू होनी थी लेकिन यह टलती रही.

मैर्त्स की सीडीयू/सीएसयू ने इसी मसले पर एक गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव को पास कराने में सफलता हासिल कर ली थी. इसी हफ्ते बुधवार को पारित हुए इस प्रस्ताव में आप्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पांच बिंदु तय किए गए थे. इसके लिए उन्हें एएफडी का समर्थन लेना पड़ा. इसके बाद मामला काफी ज्यादा बिगड़ गया. वोटिंग से पहले की रात जर्मनी की सड़कों पर दसियों हजार लोगों ने प्रदर्शन किया. इन प्रदर्शनों के आगे जारी रहने के आसार हैं. 

बुंडेसटाग में प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान चांसलर ओलाफ शॉल्त्स और फ्रीडरिष मैर्त्स
मैर्त्स ने आप्रवासियों के खिलाफ एक गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव पारित कराने में सफलता हासिल कर ली थीतस्वीर: Ebrahim Noroozi/AP Photo/picture alliance

मैर्त्स की तीखी आलोचना

मैर्त्स को अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेताओं की आलोचना झेलनी पड़ी है. इनमें पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल भी शामिल हैं जिन्होंने गुरुवार को इस बारे में बयान दिया और मैर्त्स को उनके वादे की याद दिलाई. एएफडी के साथ किसी तरह का सहयोग जर्मन राजनीति में किसी वर्जना की तरह है. मैर्त्स के इस कदम ने एएफडी को पहली बार अपने समर्थन से किसी बिल को पास कराने का मौका दे दिया. पार्टी ने इसका खूब जश्न भी मनाया.

बहुत से लोग एएफडी को किसी चरमपंथी पार्टी की तरह देखते हैं और उसे जर्मन राजनीति के बाकी दलों से अलग रखते हैं. 

शुक्रवार की वोटिंग से पहले लोकलुभावनवादी सारा वागेनक्नेष्ट अलायंस पार्टी और उदारवादी फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी ने भी इस प्रस्ताव को समर्थन देने की घोषणा की थी. हालांकि इन पार्टियों में भी इस फैसले का विरोध हुआ और नेताओं ने पार्टी लाइन से उठ कर इस प्रस्ताव का विरोध किया है. यही वजह है कि प्रस्ताव संसद में गिर गया.

एनआर/एसएम (डीपीए)