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जर्मनी की खुफिया एजेंसी ने एएफडी पार्टी को बताया 'कट्टरपंथी'

ओंकार सिंह जनौटी डीपीए, एएफपी
२ मई २०२५

इस वक्त जर्मनी की सबसे लोकप्रिय पार्टी 'एएफडी' को देश की घरेलू खुफिया एजेंसी ने लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है.

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एएफडी
तस्वीर: Frank Hoermann/SVEN SIMON/IMAGO

जर्मनी के संघीय संविधान रक्षा कार्यालय ने देश की मुख्य विपक्षी पार्टी, अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) को दक्षिणपंथी कट्टरपंथी बताया है. देश की इस घरेलू खुफिया एजेंसी के मुताबिक, पार्टी पर लोकतांत्र की बुनियाद के खिलाफ काम करने का शक सही साबित हुआ है. पार्टी को ऐसी गतिविधियों में शामिल पाया गया है, जो आजाद लोकतंत्र के मूल स्वरूप के खिलाफ जाते हैं.

12 साल पुरानी पार्टी 'एएफडी' को अभी तक संघीय स्तर पर अतिवादी दक्षिपंथी दल के "संदिग्ध मामले" के तौर पर वर्गीकृत किया गया था. अब संघीय संविधान रक्षा कार्यालय एक कदम आगे बढ़ा है. जर्मनी के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अखबार 'बिल्ड' के मुताबिक, एजेंसी का कहना है कि "पूरी पार्टी का चरित्र अतिवादी है, जो मानवीय गरिमा की अवेहलना करता है."

जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री और एसपीडी की नेता नैंसी फैजर
एएफडी पर आई रिपोर्ट के बाद पत्रकारों से बात करतीं जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फैजरतस्वीर: Andreas Arnold/dpa/picture alliance

एएफडी पर नस्लीय भेदभाव के आरोप

कार्यालय के वाइस प्रेसीडेंट सिनान सेलेन और सिल्के विलेम्स का कहना है कि एएफडी और उसके उच्च प्रतिनिधियों के बयान और उनका रुख, मानवीय गरिमा के सिद्धांत का उल्लंघन करता है. एजेंसी ने अपनी जांच में यह भी पाया कि एएफडी नस्लीय आधार पर अधिकांश मुस्लिम देशों से आए आप्रवासन के इतिहास वाले लोगों को जर्मन लोगों के समान नहीं देखती है.

एक अलग बयान में जर्मनी की आंतरिक मामलों मंत्री नैंसी फैजर ने कहा कि एएफडी लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ अभियान चला रही है. शुक्रवार (2 मई) को फैजर ने एक बयान में कहा, "एएफडी ऐसी नस्लीय अवधारणा का प्रतिनिधित्व करती है, जो पूरी आबादी के खिलाफ भेदभाव कर आप्रवासन के इतिहास वाले नागरिकों को दूसरे दर्जे का जर्मन मानती है."

जर्मनी में 2024 के प्रांतीय चुनावों के दौरान एएफडी
जर्मनी के पूर्वी इलाके एएफडी का मजबूत गढ़ हैंतस्वीर: Michaela Stache/AFP/Getty Images

जर्मनी की सबसे लोकप्रिय पार्टी बनी एएफडी

जर्मनी में फरवरी 2025 में हुए आम चुनावों में एएफडी 20.8 फीसदी वोटों के साथ दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी. उससे आगे सिर्फ नई सरकार बनाने जा रही सीडीयू व उसकी सहायक पार्टी सीएसयू (28.6 प्रतिशत) रहे. चुनाव के दो महीने बाद अप्रैल के अंत में आए फोर्सा के सर्वे में एएफडी को 26 फीसदी लोकप्रिय बताया गया है, जबकि सीडीयू की लोकप्रियता 24 फीसदी आंकी गई है.

होलोकॉस्ट, दूसरे विश्वयुद्ध में जर्मनी की भूमिका, आप्रवासन, यूक्रेन युद्ध और यूरोपीय संघ समेत कई मुद्दों पर एएफडी की राय जर्मनी की बाकी पार्टियों से बिल्कुल अलग है. पार्टी को जर्मनी के पूर्वी हिस्से में भारी समर्थन मिलता है.

एएफडी के एक बड़े नेता ब्योर्न ह्योके पर एक रैली के दौरान प्रतिबंधित नाजी नारा लगाने के कारण 2024 में जुर्मना भी लगाया गया. यूरोप में यहूदियों को दी गई यातना की याद दिलाने वाले बर्लिन के मेमोरियल को वह "शर्म का स्मारक" भी कह चुके हैं.

हाल ही में, अमेरिकी अरबपति इलॉन मस्क भी खुलकर एएफडी का समर्थन कर चुके हैं. फरवरी में जर्मन चुनावों से पहले मस्क ने कहा कि एएफडी ही वो अकेली पार्टी है जो "जर्मनी को बचा सकती है."

आंटोन बारोन (एएफडी)
एएफडी के नेता आंटोन बारोनतस्वीर: Bernd Weißbrod/dpa/picture alliance

एएफडी की प्रतिक्रिया

जल्द ही विदा होने वाली जर्मन सरकार की आंतरिक मामलों की मंत्री फैजर मुताबिक, इस रिपोर्ट का फिलहाल एएफडी पर कोई राजनीतिक असर नहीं पड़ेगा. फैजर ने यह भी बताया कि 1,100 पन्नों की इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा. हालांकि नए वर्गीकरण के बाद खुफिया एजेंसी, एएफडी पर ज्यादा आसानी से और बड़े स्तर पर नजर रख सकेगी.

एएफडी ने एजेंसी के फैसले को दुखद बताया है. बाडेन वुर्टेमबर्ग प्रांत में एएफडी के नेता आंटोन बारोन ने कहा, "हमारे देश में लोकतंत्र की हालत देखना दुखद है, वो भी तब जब पुरानी पार्टियां सबसे मजबूत विपक्षी पार्टी के खिलाफ राजनीतिक रूप से सबसे ज्यादा सवाल पैदा करने वाले हथकंडे अपना रही हैं."

पार्टी ने खुफिया एजेंसी के इस वर्गीकरण अदालत में चुनौती देने का एलान भी किया है.