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एसपीडी ने मानी 'ऐतिहासिक हार', सीडीयू की जीत पर दी बधाई

प्रकाशित २३ फ़रवरी २०२५आखिरी अपडेट २३ फ़रवरी २०२५

जर्मनी में संसद के निचले सदन के लिए 23 फरवरी को मतदान खत्म हो गया है. एग्जिट पोल्स के मुताबिक सीडीयू/सीएसयू 29 फीसदी मतदान के साथ सबसे आगे रह सकती हैं.

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फ्रीडरिष मैर्त्स
जर्मनी सबसे बड़ी पार्टी बनने जा रही सीडीयू के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स (दाएं)तस्वीर: Kai Pfaffenbach/REUTERS
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आपके लिए अहम जानकारी

जर्मनी में तय समय से सात महीने पहले हुए मध्यावधि चुनाव के लिए 23 फरवरी को मतदान हुआ.

ओलाफ शॉल्त्स के नेतृत्व में गठित तीन दलों की गठबंधन सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई, जिसके कारण समय से पहले चुनाव हुए.   

ओपिनियन पोल्स में सेंटर-राइट पार्टी सीडीयू/सीएसयू लगातार शीर्ष पर बनी रही. 

इस चुनाव में धुर-दक्षिणपंथी दल ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) का जनाधार बढ़ता नजर आ रहा है. पोल्स में एएफडी दूसरे नंबर पर है.

अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करना, ट्रंप प्रशासन के अंतर्गत अमेरिका के साथ संबंध, यूक्रेन युद्ध और आप्रवासन नीति नई सरकार के आगे बड़ी चुनौतियां होंगी.  

जर्मन चुनावः एएफडी को हुआ सबसे ज्यादा फायदा को स्किप करें
२३ फ़रवरी २०२५

जर्मन चुनावः एएफडी को हुआ सबसे ज्यादा फायदा

जर्मनी में चुनावी नतीजों में सबसे बड़ा फायदा धुर-दक्षिणपंथी अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड (एएफडी) को हुआ, जिसे रविवार को हुए मतदान में लगभग दोगुने मत हासिल हुए. उसे 20 फीसदी से ज्यादा मत मिलने की संभावना है, जबकि पिछले चुनाव में उसे 11 फीसदी मत मिले थे.

सेंटर राइट सीडीयू-सीएसयू गठबंधन ने भी 2021 की तुलना में अपना समर्थन 4.8 परसेंटेज पॉइंट बढ़ाया है. वहीं धुर-वामपंथी सारा वागेनक्नेष्ट के गठबंधन (बीएसडब्ल्यू) को संसद में जगह पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. संसद में सीट पाने के लिए किसी पार्टी को कम से कम 5 फीसदी मत चाहिए, जो फिलहाल बीएसडब्ल्यू की पहुंच से बाहर की बात लग रही है. हालांकि बीएसडब्ल्यू ने थोड़े समय में काफी बढ़त बनाई है क्योंकि यह पार्टी सिर्फ एक साल पहले ही वामपंथी लेफ्ट पार्टी से अलग होकर बनी थी.

वर्तमान सत्ताधारी सेंटर लेफ्ट पार्टी सोशल डेमोक्रेट्स (एसपीडी) को सबसे बड़ा झटका लगा है. उसका समर्थन 2021 के चुनाव की तुलना में 9 परसेंटेज पॉइंट से ज्यादा घट गया है.

हाल के दिनों में ऊर्जा और ईंधन की कीमतों को लेकर मतदाताओं में काफी नाराजगी रही है. माना जा रहा था कि पारंपरिक ईंधन का विरोध करने वाली ग्रीन पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है लेकिन उसे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है और उसका मत प्रतिशत पिछली बार से करीब दो फीसदी अंक ही घटा है.

 

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मैर्त्स ने कहा, यह यूनियन ब्लॉक की जीत है को स्किप करें
२३ फ़रवरी २०२५

मैर्त्स ने कहा, यह यूनियन ब्लॉक की जीत है

फ्रीडरिष मैर्त्स
चांसलर पद के सबसे मजबूत दावेदारतस्वीर: Kai Pfaffenbach/REUTERS

सीडीयू नेता और सीडीयू-सीएसयू के चांसलर पद के उम्मीदवार फ्रीडरिष मैर्त्स ने चुनाव नतीजों को ऐतिहासिक बताया है. उन्होंने घोषणा की, "हमने: सीडीयू और सीएसयू ने 2025 का संसदीय चुनाव जीत लिया है." मैर्त्स ने कहा कि उनकी पार्टी जितनी जल्दी मुमकिन हो, फैसले लेने लायक सरकार बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी. 
जानिए, किस पार्टी ने क्या कहा.

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एसपीडी ने मानी 'ऐतिहासिक हार', सीडीयू की जीत पर दी बधाई को स्किप करें
२३ फ़रवरी २०२५

एसपीडी ने मानी 'ऐतिहासिक हार', सीडीयू की जीत पर दी बधाई

ओलाफ शॉल्त्स
चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की पार्टी एसपीडी ने हार स्वीकार कर ली हैतस्वीर: Liesa Johannssen/REUTERS

जर्मनी की सत्तारूढ़ सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी (एसपीडी) के महासचिव मथियास मिर्ष ने क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू) और फ्रीडरिष मैर्त्स को जीत की बधाई दी और अपनी पार्टी की "ऐतिहासिक हार" स्वीकार की.
एसपीडी को महज 16 फीसदी वोट मिलने का अनुमान लगाया गया है. इसके बाद मिर्ष ने कहा, "यह एक ऐतिहासिक हार है, एक बेहद कड़वी शाम.”
उन्होंने स्वीकार किया कि यह हार हाल के आठ हफ्तों में नहीं हुई, बल्कि गठबंधन सरकार पिछले कुछ वर्षों से कठिन दौर से गुजर रही थी और अब मतदाताओं ने उसे खारिज कर दिया. मिर्ष ने कहा, "अब यह देखना होगा कि किस तरह की सरकार बनेगी? और एसपीडी किस हद तक सरकार में अपनी भूमिका निभाएगी. इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता. फिलहाल, मैर्त्स को सरकार बनाने का जनादेश मिला है और हमें देखना होगा कि संभावित गठबंधन कैसे बनते हैं."
चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के भविष्य को लेकर पूछे गए सवाल पर मिर्ष ने कहा, "हमारे पास एक चांसलर था जिसने देश को मुश्किल समय में नेतृत्व दिया, लेकिन आखिरकार वह मतदाताओं को नहीं जीत पाए. यह इस निराशाजनक रात की सच्चाई है."

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शुरुआती रुझानों में सभी पार्टियों की स्थिति को स्किप करें
२३ फ़रवरी २०२५

शुरुआती रुझानों में सभी पार्टियों की स्थिति

मतदान खत्म होने के तुरंत बाद आए एग्जिट पोल्स में सीडीयू/सीएसयू के सबसे बड़ी पार्टी बनने का अनुमान जताया गया है. शुरुआती रुझानों में भी यही नतीजे दिख रहे हैं.

 

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ग्रीन्स पार्टी ने की भारी मतदान की तारीफ को स्किप करें
२३ फ़रवरी २०२५

ग्रीन्स पार्टी ने की भारी मतदान की तारीफ

जर्मन चुनाव 2025
तस्वीर: Antonio Pisacreta/ROPI/picture alliance

जर्मनी की ग्रीन पार्टी ने इस बात के लिए मतदाताओं की तारीफ की है. देश में 84 फीसदी मतदान हुआ है जो 1990 के बाद सबसे ज्यादा है.

एग्जिट पोल के नतीजों पर ग्रीन पार्टी ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है. सत्तारूढ़ गठबंधन की तीन पार्टियों में से, ग्रीन पार्टी को 13.5 फीसदी वोट मिलने का अनुमान लगाया गया, जो 2021 में मिले 14.8 फीसदी वोट की तुलना में मामूली गिरावट है. इसके बावजूद, पर्यावरण समर्थक यह पार्टी उम्मीद कर रही है कि अंतिम नतीजे शुरुआती अनुमानों से बेहतर होंगे.

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सीडीयू/सीएसयू सबसे आगे, एएफडी दूसरे स्थान पर को स्किप करें
२३ फ़रवरी २०२५

सीडीयू/सीएसयू सबसे आगे, एएफडी दूसरे स्थान पर

फ्रीडरिष मैर्त्स
फ्रीडरिष मैर्त्सतस्वीर: Frank Hoermann/SVEN SIMON/picture alliance

जर्मनी के 2025 के संघीय चुनावों के शुरुआती एग्जिट पोल में, सेंटर राइट पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन 29 फीसदी मतों के साथ सबसे आगे है. दक्षिणपंथी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) लगभग 20 फीसदी वोटों के साथ दूसरे स्थान पर है. सत्तारूढ़ सेंटर-लेफ्ट सोशल डेमोक्रैट्स (एसपीडी) 16 फीसदी पर है, जबकि उनके गठबंधन की सहयोगी, ग्रीन्स, 13.5 फीसदी पर है.

देश में रविवार को 84 फीसदी मतदान हुआ, जो 1990 के बाद से सबसे अधिक है. नए चांसलर का चुनाव तब तक नहीं होगा जब तक कि एक सत्तारूढ़ गठबंधन नहीं बन जाता. ऐसा होने में महीनों तक का वक्त लग सकता है. अगर शुरुआती अनुमान सही साबित होते हैं, तो सीडीयू/सीएसयू के उम्मीदवार फ्रीडरिष मैर्त्स मौजूदा चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के उत्तराधिकारी बनने के प्रमुख दावेदार हो सकते हैं. शॉल्त्स की वर्तमान सरकार तब तक कार्यवाहक रूप में काम करती रहेगी जब तक बुंडेस्टाग नए चांसलर का चुनाव नहीं कर लेता.

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नतीजों की तैयारी में जुटी एसपीडी को स्किप करें
२३ फ़रवरी २०२५

नतीजों की तैयारी में जुटी एसपीडी

बर्लिन से तस्वीर
नतीजों की तैयारी में जुटी एसपीडी, और पार्टी ऑफिस में जमा लोग और मीडियातस्वीर: Karim Nasser/DW


डीडब्ल्यू अंग्रेजी से बातचीत के दौरान एसपीडी पार्टी ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि इस चुनाव में उन्हें जनता का पूरा समर्थन मिलेगा. पार्टी को लग रहा है कि पोल्स में जो अनुमान लगाए गए हैं उन्हें उनसे अधिक वोट मिलेंगे.
 

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कर्मचारी वर्ग की पसंद कौन? को स्किप करें
२३ फ़रवरी २०२५

कर्मचारी वर्ग की पसंद कौन?

मतदान केंद्र की तस्वीर
अपना वोट डालते डैनिलोतस्वीर: Matthias Bein/dpa/picture alliance

यह हैं डैनिलो रॉटर. इन्होंने जो कपड़े पहने हैं, वह कभी जर्मनी में चिमनी की सफाई करने वाले कर्मचारियों की वर्दी हुआ करती थी. हालांकि, यूरोप के कई अन्य इलाकों में भी कर्मचारी ऐसी यूनिफॉर्म पहना करते थे.

चिमनी की सफाई अब भी होती है, लेकिन जरूरी नहीं कि कर्मचारी आपको इस यूनिफॉर्म में दिखें. जर्मनी में इन्हें शुभ संकेत के तौर पर भी देखा जाता है.

जर्मनी की अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है. कर्मचारी वर्ग के लोगों को अगली सरकार से उम्मीद है कि शायद वह ठहरी हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला सके. 

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जर्मनी के आम चुनाव में जयपुर के सिद्धार्थ भी हैं उम्मीदवार को स्किप करें
२३ फ़रवरी २०२५

जर्मनी के आम चुनाव में जयपुर के सिद्धार्थ भी हैं उम्मीदवार

सिद्धार्थ मुद्गल की तस्वीर
सिद्धार्थ मुद्गल एक सफल उद्यमी हैं. वह साल 2011 से सीएसयू के सदस्य हैं. तस्वीर: Am Hart/CSU

'क्रिश्चियन सोशल यूनियन' (सीएसयू) जर्मन राज्य बवेरिया की एक क्षेत्रीय पार्टी है. 23 फरवरी 2025 को हो रहे आम चुनाव के लिए पार्टी ने जिन उम्मीदवारों को चुना है, उनमें एक सिद्धार्थ मुद्गल भी हैं.

यह पहली बार है, जब सीएसयू ने जर्मनी की संसद के निचले सदन, यानी बुंडेस्टाग के संभावित उम्मीदवारों की सूची में भारतीय मूल के किसी शख्स को जगह दी हो. 

बवेरिया की राजधानी म्युनिख, सीएसयू और सिद्धार्थ दोनों का घर है. सिद्धार्थ 21 साल से जर्मनी में रह रहे हैं. साल 2010 में सामुदायिक सेवा का बढ़िया रिकॉर्ड देखते हुए बवेरिया के गृहमंत्री योआखिम हरमन ने उन्हें जर्मन नागरिकता की पेशकश की.

सिद्धार्थ मानते हैं कि जर्मन समाज और व्यवस्था में इतनी अच्छी तरह घुल-मिल जाना, इतना आगे पहुंचना केवल उनकी निजी सफलता नहीं है. उनके मुताबिक, यह जर्मनी में रह रहे भारतीय समुदाय की कामयाबी को भी दिखाती है.

पढ़ें, जर्मनी में सिद्धार्थ के अब तक के सफर के बारे में

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बसंत और नई सरकार का इंतजार को स्किप करें
२३ फ़रवरी २०२५

बसंत और नई सरकार का इंतजार

सैक्सनी के एक मतदान केंद्र में वोट डालते निको
सैक्सनी के निको एल्विस प्रेसली के कॉस्ट्यूम में वोट डालने आएतस्वीर: Hauke-Christian Dittrich/dpa/picture alliance

जर्मनी के सैक्सनी के डैम इलाके में 23 फरवरी ना सिर्फ मतदान का दिन है, बल्कि आज यहां का पारंपरिक कार्निवाल भी है. इसमें करीब 9,000 लोग हिस्सा लेते हैं.

अपने नीले और गुलाबी कॉस्ट्यूम में वोट डालने आए निको, रेट्रो पॉप स्टार एल्विस प्रेसली सरीखे लग रहे हैं. सैक्सनी, जर्मनी के उन राज्यों में शामिल है, जहां धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी का जनाधार बढ़ रहा है. 

जर्मनी में मतदान के नतीजे भले ही आ जाएं, लेकिन किसी एक पार्टी को बहुमत ना मिलने की सूरत में गठबंधन सरकार की राह बनेगी. गठबंधन में कौन-कौन सी पार्टियां शामिल होंगी, इसकी परेड कई हफ्तों तक चल सकती है. सहमति बनाने की राह लंबी हो सकती है. 

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वोटिंग "कार्निवाल" को स्किप करें
२३ फ़रवरी २०२५

वोटिंग "कार्निवाल"

सैक्सनी के एक मतदान केंद्र की तस्वीर
अपने शानदार कॉस्ट्यूम में वोट डालती लिंडातस्वीर: Hauke-Christian Dittrich/dpa/picture alliance


जर्मनी में 23 फरवरी को संसदीय चुनाव के लिए मतदान हुआ. चूंकि फरवरी में कार्निवाल का मौसम होता है, तो कई मतदाता रंग-बिरंगे कॉस्ट्यूम पहनकर वोट डालने पहुंचे. कोई किसी फिल्मी किरदार का कॉस्ट्यूम पहने दिखा, तो कोई किसी जानवर का, कोई बना समुद्री लूटेरा, तो कोई डायनासोर

जर्मनी में कार्निवाल की शुरुआत हर साल 11 नवंबर सुबह 11:11 बजे हो जाती है. ये खत्म होता है बसंत के मौसम में. इस दौरान जर्मनी में सड़कों पर लोग तरह-तरह के कॉस्ट्यूम पहने दिखाई देते हैं.

यहां इसे पांचवां मौसम भी कहा जाता है. सैक्सनी के एक बूथ पर पर वोट डालने आई लिंडा किसी ऐतिहासिक किरदार का कॉस्ट्यूम पहने दिखीं. 

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जर्मनी में क्यों हो गई है लोगों को पासपोर्ट की चिंता को स्किप करें
२३ फ़रवरी २०२५

जर्मनी में क्यों हो गई है लोगों को पासपोर्ट की चिंता

जर्मनी में आप्रवास या माइग्रेशन लंबे समय से एक अहम मुद्दा रहा है. जर्मनी में 1950 के बाद से लगभग एक करोड़ 40 लाख लोग विदेशों से आए हैं. इस समय आबादी का 23 फीसदी हिस्सा विदेशी मूल का है.

कभी युद्ध में ध्वस्त जर्मनी को विकास के लिए विदेशी कामगारों की जरूरत थी, इसलिए माइग्रैंट्स का खूब स्वागत हुआ. लेकिन तब से माहौल बहुत बदल चुका है.

शरणार्थियों और अवैध आप्रवासन को लेकर चुनौतियां बढ़ी हैं. शरणार्थी नीति और नियमों को भी लगातार कड़ा किया गया है. इस कारण 2024 में जर्मनी में शरण आवेदनों में 34 फीसदी की गिरावट आई, जो 2023 में 322,636 से घटकर 213,499 हो गया.

2024 में 18,384 लोगों को डिपोर्ट किया गया, जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है. इसके बावजूद, आप्रवासियों से जुड़े घटनाक्रमों ने जनता में चिंता बढ़ाई है, और एएफडी के उदय के बाद से राजनीतिक विवाद गहराता गया है.

जर्मनी में क्यों हो गई है लोगों को पासपोर्ट की चिंता

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जर्मन अर्थव्यवस्था की मुश्किलें भी तय करेंगी चुनाव का रुख को स्किप करें
२३ फ़रवरी २०२५

जर्मन अर्थव्यवस्था की मुश्किलें भी तय करेंगी चुनाव का रुख

वोट डालने आया एक युवा मतदाता
सिर्फ कार उद्योग ही नहीं जर्मनी का रसायन उद्योग भी मुश्किलों से जूझ रहा है. दूसरी तरफ स्टील उद्योग एक के बाद एक संकट फंसा हुआ है.तस्वीर: Fabrizio Bensch/REUTERS

जर्मनी में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी लगातार दूसरे साल नीचे गया है. इस लिहाज से यह बीते दो दशकों में देश की अर्थव्यवस्था की सबसे देर तक चली मंदी है. इस बीच अर्थव्यवस्था का कभी प्रमुख स्तंभ रहे उत्पादन क्षेत्र की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं.

यह आज भी दूसरी कई उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले जर्मनी में बड़ा है लेकिन फिलहाल गहरी ढांचागत समस्याओं से जूझ रहा है. इसकी वजह से कई तरह की आशंकाएं सिर उठा रही हैं.

कभी यूरोप का पावरहाउस कहा जाने वाला जर्मनी आज आर्थिक दुविधा में घिरा है. बहुत से नागरिकों और कारोबारों को उम्मीद है कि रविवार को हो रहे चुनाव के बाद नई सरकार इसका समाधान करेगी.

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जर्मन चुनाव में कहां खड़े हैं भारतीय मूल के लोग को स्किप करें
२३ फ़रवरी २०२५

जर्मन चुनाव में कहां खड़े हैं भारतीय मूल के लोग

जर्मनी के चुनाव में जिस पार्टी पर दुनिया भर के लोगों की नजरें टिकी हैं, उसका नाम है एएफडी. विदेशी मूल के लोगों को वापस उनके देश भेजने की बात करने वाली इस पार्टी को लेकर प्रवासी समुदायों में खासी चिंता है.

 

जर्मन चुनाव में कहां खड़े हैं भारतीय मूल के लोग

 

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जर्मनी में मतदान जारी, सरकार बनने में लग सकते हैं कई हफ्ते को स्किप करें
२३ फ़रवरी २०२५

जर्मनी में मतदान जारी, सरकार बनने में लग सकते हैं कई हफ्ते

जर्मनी के मौजूदा चांसलर और एसपीडी के नेता ओलाफ शॉल्त्स 23 फरवरी को पोट्सडाम के एक मतदान केंद्र में वोट डालते हुए
जर्मनी में 23 फरवरी को आम चुनाव के लिए मतदान हुआतस्वीर: Ralf Hirschberger/AFP/Getty Images

जर्मनी में आज संसदीय चुनाव के लिए मतदान हो रहा है. नतीजे आने के बाद भी सरकार बनने में काफी वक्त लग सकता है. जानिए, किस पार्टी की क्या स्थिति है.

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