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जर्मन चुनाव में इस बार क्या दांव पर लगा है?

सबीने किंकार्त्स
२२ फ़रवरी २०२५

जर्मनी में संसदीय चुनाव के लिए 23 फरवरी को मतदान है. चुनावी अभियान में इमिग्रेशन और अर्थव्यवस्था सबसे प्रमुख विषय रहे. पोल्स में सीडीयू/सीएसयू सबसे आगे है. इस चुनाव में क्या दांव पर लगा है?

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जर्मन चुनाव 2025 के लिए एक सड़क किनारे सीडीयू नेता फ्रीडरिष मैर्त्स और एसपीडी के नेता ओलाफ शॉल्त्स के चुनावी पोस्टर
पोल्स में सीडीयू/सीएसयू सबसे आगे है. उसे तकरीबन 30 फीसदी वोट मिलने का अनुमान हैतस्वीर: Martin Meissner/AP Photo/picture alliance

जर्मनी में हो रहे मध्यावधि चुनाव में इलेक्शन कैंपेन के लिए बहुत लंबा वक्त नहीं था. चुनाव प्रचार अपेक्षाकृत संक्षिप्त, लेकिन जोरदार और तीखा रहा. चुनावी अभियान में एक बात साफ नजर आई कि जर्मनी में बदलाव की इच्छा मजबूत है.

क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू) और उसकी सहयोगी पार्टी क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू) की ओर से चांसलर पद के उम्मीदवार फ्रीडरिष मैर्त्स ने कहा, "जर्मनी में वामपंथी नीतियां लागू करने के लिए आपने तीन साल तक कोशिश की. अब आप ऐसा नहीं कर पाएंगे."

जर्मनी की राजधानी बर्लिन में सड़क किनारे ग्रीन पार्टी के चांसलर पद के उम्मीदवार रोबर्ट हाबेक और एसपीडी नेता ओलाफ शॉल्त्स के चुनावी पोस्टर
चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के नेतृत्व में गठित गठबंधन सरकार का हिस्सा रही ग्रीन पार्टी पोल्स में चौथे नंबर पर हैतस्वीर: Florian Gaertner/IMAGO

मैर्त्स ने यह बात ओलाफ शॉल्त्स की सोशल डेमोक्रैट्स (एसपीडी) और पर्यावरण समर्थक ग्रीन्स पार्टी को लक्ष्य करके कही. ये दोनों दल 2021 से केंद्र में रही तीन पार्टियों की गठबंधन सरकार का हिस्सा थे. फ्री डेमोक्रैट्स (एफडीपी) गठबंधन की तीसरी पार्टी थी. गठबंधन सरकार में लगातार असहमतियां बनी रहीं. बजट को लेकर कई महीनों तक जारी वाद-विवाद के बाद आखिरकार नवंबर 2024 में गठबंधन टूट गया. इसके करण ही जर्मनी में मध्यावधि चुनाव करवाने की नौबत आई.   

एसपीडी को होता दिख रहा है बहुत बड़ा नुकसान

ताजा चुनावी सर्वेक्षणों के मुताबिक, ग्रीन्स को तकरीबन उतने ही वोट मिलते दिख रहे हैं, जितने 2021 के पिछले संसदीय चुनाव में मिले थे. एसपीडी और एफडीपी को बड़ा नुकसान होता नजर आ रहा है. कारोबार समर्थक एफडीपी तो शायद पांच प्रतिशत वोट भी ना पा सके. बुंडेसटाग, यानी जर्मन संसद के निचले सदन में प्रतिनिधित्व के लिए कम-से-कम पांच फीसदी वोट चाहिए.

चांसलर शॉल्त्स की पार्टी एसपीडी की हालत पस्त है. पिछले चुनाव में पार्टी को 25.7 प्रतिशत वोट मिले थे. ताजा पोल्स में इस बार एसपीडी को 15 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. अगर पार्टी का वोट प्रतिशत 20 से कम रहा, तो दूसरे विश्व युद्ध के बाद के जर्मन संसदीय चुनावों की तारीख में यह उसका सबसे खराब प्रदर्शन होगा. इस तरह चांसलर शॉल्त्स पिछले 50 साल में सबसे कम अवधि तक सरकार का नेतृत्व करने वाले नेता बन जाएंगे. वह एसपीडी के अब तक के पहले चांसलर भी हो सकते हैं, जिन्हें दोबारा ना चुना गया हो. 

तस्वीर में जर्मनी के संसदीय चुनाव के लिए एक बैलेट पेपर नजर आ रहा है.
2025 के इस चुनाव में ओलाफ शॉल्त्स की पार्टी एसपीडी को खासा नुकसान होता नजर आ रहा हैतस्वीर: Oliver Kaelke/DeFodi Images/picture alliance

दूसरे नंबर पर एएफडी

पोल्स के मुताबिक, मैर्त्स के चांसलर बनने की संभावना सबसे अधिक है. 2021 में हुए पिछले चुनाव में सीडीयू/सीएसयू सबसे बड़ा विपक्षी धड़ा था. इससे पहले सीडीयू की नेता अंगेला मैर्केल लगातार 16 साल तक चांसलर रही थीं.

सर्वेक्षणों में धुर-दक्षिणपंथी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) दूसरे नंबर पर बनी हुई है. उसे 20 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है. 2021 के चुनाव के मुकाबले यह दोगुना है.

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मैर्त्स देश की अर्थव्यवस्था की ओर ध्यान दिलाते हैं. उन्होंने कहा, "हमारे देश की इकॉनमी यूरोपियन यूनियन में पीछे चली गई है." करीब 50,000 कारोबार बंद हो गए. तकरीबन 100 अरब यूरो मूल्य का कंपनी कैपिटल हर साल विदेश जा रहा है. मैर्त्स ने कहा, "हमारी अर्थव्यवस्था सिकुड़ रही है. लगातार तीसरे साल हमारे यहां मंदी है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद के जर्मन इतिहास में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ."

जर्मन अर्थव्यवस्था की मुश्किलें भी तय करेंगी चुनाव का रुख

शॉल्त्स की सरकार में आर्थिक मामलों के मंत्री रहे रोबर्ट हाबेक, ग्रीन्स पार्टी की ओर से चांसलर पद के उम्मीदवार हैं. मैर्त्स के मुताबिक, शॉल्त्स और हाबेक दोनों ही असलियत को नहीं भांप पा रहे हैं. उन्होंने कहा, "आपको पता है, वे दोनों मुझे किसकी याद दिलाते हैं? किसी कंपनी की ओर से रखे गए दो ऐसे मैनेजिंग डायरेक्टरों की, जिन्होंने कंपनी को मिट्टी में मिला दिया और फिर मालिकों के पास जाकर कहते हैं: हम अगले चार साल भी इसी तरह काम जारी रखना चाहेंगे."

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युद्ध, ऊर्जा संकट, महंगाई

चुनाव प्रचार के दौरान मैर्त्स जहां और अधिक हमलावर होते रहे, वहीं चांसलर शॉल्त्स बचाव करते नजर आए. हालांकि, हालिया सालों की तुलना में वह अपेक्षाकृत ज्यादा जुझारू दिखे लेकिन अपनी सरकार के कामकाज का बचाव करने और उन्हें तर्कसंगत ठहराने में वो संघर्ष करते नजर आए. शॉल्त्स की सरकार दूसरे विश्व युद्ध के बाद के जर्मन इतिहास में सबसे अलोकप्रिय सरकारों में गिनी जाती है.

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फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ऊर्जा संकट और महंगाई की स्थिति पैदा हुई. शॉल्त्स ने कहा, "तब से ही अर्थव्यवस्था उसके (युद्ध) नतीजों के साथ संघर्ष करती आ रही है." अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के तहत नीतियों में आए बदलाव के संदर्भ में शॉल्त्स ने चेतावनी दी कि आगे और मुश्किल हालात बन सकते हैं, "मुश्किल हवा बह रही है. और सच्चाई यह है कि आने वाले सालों में यह बदलने वाला नहीं है."

प्रमुख मुद्दा है माइग्रेशन

कमजोर हो रही अर्थव्यवस्था को कैसे दुरुस्त किया जाए, यह सवाल इस बार सबसे प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक था. हालांकि, बवेरिया राज्य के आशाफेनबुर्ग शहर में हुए हमले और हालिया समय में कई सार्वजनिक जगहों पर हुए हमलों की पृष्ठभूमि में इमिग्रेशन सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया.

आशाफेनबुर्ग हमले में शामिल हमलावर अफगान है और उसका असाइलम आवेदन रद्द किया जा चुका था. इस अपराध के बाद खासतौर पर मैर्त्स ने जर्मनी की शरण देने संबंधी नीतियों में चुनाव से पहले ही कड़ाई लाने की कोशिश की. इसके लिए वह संसद में एएफडी से समर्थन लेने के लिए भी तैयार थे.

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एएफडी के सांसदों में तब खुशी मनाई, जब जनवरी 2025 में मैर्त्स के लाए एक प्रस्ताव को पहली बार एएफडी के सहयोग से बुंडेसटाग में बहुमत मिला. एएफडी संसदीय समूह के नेता बर्न्ड बाउमान ने कहा, "अब कुछ नया शुरू हो रहा है और हम इसका नेतृत्व कर रहे हैं."

सीडीयू के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स 11 फरवरी को चुनाव से पहले संसद के आखिरी सत्र में भाषण देते हुए
सीडीयू के नेता और चांसलर पद के उम्मीदवार मैर्त्स ने संकल्प लिया कि उनकी पार्टी किसी भी परिस्थिति में एएफडी के साथ गठबंधन नहीं बनाएगीतस्वीर: Ebrahim Noroozi/AP/picture alliance

धुर-दक्षिणपंथ के साथ कोई सहयोग नहीं

बुंडेसटाग में हुए मतदान के बाद देशभर में लाखों लोगों ने जर्मनी में राइट विंग की तरफ बढ़ते रुझान के खिलाफ प्रदर्शन किया. वहीं, शॉल्त्स और उनकी पार्टी ने सीडीयू और एएफडी पर आरोप लगाया कि वे चुनाव के बाद गठबंधन सरकार बनाने का इरादा रखते हैं.

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इसके बाद मैर्त्स एएफडी के साथ किसी भी तरह के सहयोग की संभावनाओं को खारिज करने की भरसक कोशिश करते दिखे. उन्होंने कहा कि दक्षिणपंथी चरमपंथी सीडीयू और सीएसयू को तबाह करना चाहते हैं. उन्होंने संकल्प लिया कि सीडीयू/सीएसयू किसी भी परिस्थिति में एएफडी के साथ गठबंधन नहीं बनाएगी.

कौन बना सकता है नई गठबंधन सरकार?

जर्मनी की चुनावी व्यवस्था इस तरह बनाई गई है कि वे गठबंधन सरकारों की तरफदारी करती है. सीडीयू/सीएसयू अकेले सरकार नहीं चला पाएंगे. चुनाव के बाद उन्हें कम-से-कम एक गठबंधन सहयोगी की तलाश करनी होगी, ताकि कानून पारित करने के लिए जरूरी बहुमत हासिल कर सकें.

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बुंडेसटाग में जितने ज्यादा दल होंगे, सरकार बनाना उतना ही मुश्किल होगा. ऐसे में यह अहम होगा कि सोशलिस्ट लेफ्ट पार्टी- जारा वागेनक्नेष्ट अलायंस (बीएसडबल्यू) और एफडीपी को संसद में प्रतिनिधित्व मिल पाता है या नहीं. दो दलों के गठबंधन के लिए सीडीयू/सीएसयू या तो एसपीडी या फिर ग्रीन पार्टी से बात कर सकती है. नीतियों और सिद्धांतों में सामंजस्य बिठाना आसान नहीं होगा.

11 फरवरी 2025 को जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में चुनाव पूर्व हुए आखिरी सत्र में भाषण देते समय कैमरे की स्क्रीन पर नजर आ रहीं एएफडी की नेता अलीस वाइडेल.
जर्मनी की बाकी सभी पार्टियों ने कहा है कि वे एएफडी के साथ मिलकर काम नहीं करेंगीतस्वीर: Odd Andersen/AFP

एसपीडी के अजेंडे में उसकी सामाजिक नीतियां सबसे ऊपर हैं. वहीं, ग्रीन पार्टी के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता है जलवायु सुरक्षा. अगर छोटी पार्टियां संसद में पहुंचती हैं, तो स्थिर सरकार बनाने के लिए तीन दलों की जरूरत पड़ सकती है.

एएफडी अलग-थलग है. बाकी सभी दलों ने संकल्प जाहिर किया है कि वे उसके साथ काम नहीं करेंगे. एएफडी की उम्मीदवार अलीस वाइडेल ने कहा है कि ये सत्ता तक पहुंचने में उनका रास्ता नहीं रोक पाएगी. वाइडेल के मुताबिक, राजनीतिक बदलाव होने वाला है और इसे बस "गैर-जरूरी तरीके से लटकाया" जा रहा है.
मैर्त्स ने जोर दिया है कि नई सरकार एएफडी की उपजाऊ जमीन कम करने के लिए आखिरी मौकों में से एक होगी.

जर्मन चुनाव से पहले आखिरी संसद सत्र में तीखी बहस

उन्होंने कहा, "अगर यह कामयाब नहीं हुआ, तो हम केवल 20 फीसदी धुर-दक्षिणपंथ लोकलुभावनवाद का सामना नहीं कर रहे होंगे." मैर्त्स का यह भी कहना है कि पारंपरिक दलों के ऊपर एक "राजनीतिक जिम्मेदारी" है कि वे जर्मनी की मुश्किलों को सुलझाने के लिए साथ आएं. उन्होंने एसपीडी और ग्रीन्स को संबोधित करते हुए कहा, "यह एक ऐसी जवाबदेही है, जिससे आप नहीं बच सकते. और, हम भी इससे बचकर नहीं निकल सकते."