जर्मन इकॉनमी कभी समूचे यूरोप की अर्थव्यवस्था का इंजन हुआ करती थी, लेकिन अब हालात बदल गए हैं. जर्मन इकॉनमी लड़खड़ा रही है. निर्यात घट रहा है. जर्मन कंपनियां अपने घरेलू बाजार में भी पिछड़ रही हैं. विशेषज्ञ कामगारों की कमी और लाल फीताशाही को इसकी बड़ी वजह मानते हैं. क्या जर्मनी इस संकट से निकल पाएगा? क्या जर्मन अर्थव्यवस्था की खोई रंगत लौट पाएगी?