एक ओर जर्मनी में कामगारों की भारी कमी है, दूसरी ओर आप्रवासियों के लिए स्थितियां कठिन हो रही हैं. इसके अलावा जर्मनी की अर्थव्यवस्था के सामने कर्ज लेकर तरक्की को बढ़ाने की दुविधा भी है. स्थिरता और तरक्की की तलाश करते देश को इन चुनौतियों से जल्द से जल्द निपटना जरूरी होगा.