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अपराधयूरोप

फ्रांस के स्कूलों में अब बच्चों के बैग चेक करेगी पुलिस

२१ फ़रवरी २०२५

फ्रांस की शिक्षा मंत्री ने एलान किया है कि स्कूलों में हिंसा रोकने के लिए अब सरकार पुलिस की मदद लेगी. इसके लिए ऐसे स्कूलों की पहचान की जाएगी जहां हिंसा होने की अधिक संभावना है और वहां बैग चेक होंगे.

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फ्रास के एक स्कूल की तस्वीर
फ्रांस की सरकार ने तय किया है कि अब स्कूलों में हिंसा रोकने के लिए पुलिस छात्रों का बैग चेक किया करेगी. हाल के कुछ दिनों में किशोर हिंसा की बढ़ती वारदातों के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है.तस्वीर: Miguel Medina/AFP

स्कूलों में हिंसा रोकने की जिम्मेदारी फ्रांस की सरकार ने अब वहां की पुलिस को सौंप दी है. फ्रांस की शिक्षा मंत्री एलिजाबेथ बोर्न ने वहां की मीडिया से कहा है कि बसंत में शुरू होने जा रहे सत्र से स्कूलों में पुलिस वाले छात्रों के बैग चेक किया करेंगे. बैग चेकिंग का यह काम स्कूलों के गेट पर ही होगा.

बोर्न के मुताबिक स्कूल के स्टाफ को इसलिए ये जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है क्योंकि यह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. वह गृहमंत्री ब्रूनो रटयू के साथ मिल कर इस योजना पर काम कर रही हैं. उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय अधिकारी और सरकारी वकील स्कूलों के लगातार संपर्क में हैं. वे स्कूल के प्रिंसिपल के साथ मिल यह तय करेंगे कि किन स्कूलों में छात्रों के बैग की जांच होगी.

फ्रांस की स्थानीय मीडिया के मुताबिक पेरिस के सेन सेंट डेनिस नाम के इलाके में करीब 20 स्कूलों को चिह्नित किया गया है. इन सारे स्कूलों पर पुलिस की निगरानी है ताकि यहां भविष्य में कोई हिंसक घटना ना हो. 

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फ्रांस के स्कूलों में बढ़ती हिंसा बनी वजह

इस साल फरवरी की शुरुआत में उत्तरी पेरिस के एक स्कूल में एक 17 साल का छात्र चाकूबाजी की घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया था. यह घटना स्कूल परिसर में ही हुई थी. 2024 फ्रांस के स्कूलों के लिए वह साल रहा जहां स्कूलों में हिंसा की कई घटनाओं की खबरें आईं.

अप्रैल, 2024 में एक 15 साल के छात्र को उस वक्त कुछ लड़कों ने बेरहमी से पीटा जब वह अपने घर जा रहा था. इलाज के दौरान छात्र की मौत हो गई थी. इसी महीने मोनपेलिये में 14 साल की एक छात्रा को स्कूल के बाहर उसकी ही उम्र के दो लड़कों और एक लड़की ने इतनी बेरहमी से पीटा था कि वह कोमा में चली गई.

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हिंसा की ये घटनाएं फ्रांस के लिए इसलिए परेशानी बन चुकी हैं क्योंकि इसमें हिंसा करने वाले भी किशोर उम्र के ही छात्र हैं. फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों भी इस मुद्दे पर चिंता जता चुके हैं. बीते साल तत्कालीन फ्रेंच प्रधानमंत्री गाब्रिएल अट्टाल ने कहा था कि फ्रांस के किशोरों को हिंसा की लत लग चुकी है. उनके इस बयान की काफी आलोचना भी हुई थी. 

उन्होंने यह सुझाव दिया था कि अशांति फैलाने वाले छात्रों को बोर्डिंग स्कूल भेज दिया जाए. उन्होंने यह भी कहा था कि आज के युवा और किशोर ड्रग्स, हिंसा, हथियारबंद लूट जैसी घटनाओं में अधिक शामिल होने लगे हैं. उन्होंने बढ़ते इस्लामिक प्रभावों को भी इसकी एक वजह बताया था.

सिर्फ फ्रांस की समस्या नहीं स्कूलों में होने वाली हिंसा

स्कूलों में होने वाली हिंसा का भुक्तभोगी सिर्फ फ्रांस नहीं है. यूनेस्को की एक रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में हर तीन में से एक छात्र ने कभी ना कभी शारीरिक हिंसा का सामना जरूर किया होता है. स्कूलों में होने वाली हिंसा कितनी गंभीर समस्या है इसे उजागर करने के लिए 2019 से यूनेस्को ने हर साल सात नवंबर को स्कूलों में होने वाली हिंसा और उत्पीड़न के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने का फैसला किया था.

अमेरिका के स्कूलों में हिंसा तो जैसे एक सामान्य बात बन चुकी है. अमेरिकी सरकार के पिछले साल के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिकी स्कूलों में छात्रों के बीच होने वाली लड़ाई में तो गिरावट देखी गई है लेकिन गोलीबारी की घटनाएं बढ़ी हैं. हालांकि, अमेरिकी परिपेक्ष्य में यह हिंसा बंदूक के कानून से अधिक जुड़ी हुई है.

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जर्मनी में भी पिछले कुछ सालों में स्कूली हिंसा में बढ़ोतरी हुई है. पिछले साल अप्रैल में हुए एक स्कूल बैरोमीटर नाम के एक सर्वे के मुताबिक हर दूसरे शिक्षक ने छात्रों के बीच शारीरिक या मानसिक हिंसा होते देखी. हिंसा सिर्फ किशोर नहीं बल्कि 10 साल से कम उम्र के छात्रों के बीच भी देखी जा रही है. हालांकि, शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस हिंसा को कम करने में शिक्षकों और सरकार की नीतियों की भूमिका सबसे अहम है.

आरआर/एनआर (डीपीए)

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