इस गुफा में छिपे हैं 30,000 साल पुराने रहस्य
दक्षिणपश्चिमी फ्रांस की एक गुफा के भीतर 30,000 साल पहले इंसान रहते थे. उन्होंने गुफा की दीवारों पर घोड़े, मैमथ और गैंडों की आकृतियां उकेरी हैं. प्रागैतिहासिक काल की इस लंबी गुफा के अभी कई रहस्यों का खुलना बाकी है.
सितंबर, 2000 में हुई थी गुफा की खोज
साल 2000 में एक खोजी यात्री ने इस गुफा की खोज की थी. दोदॉन्य की ग्रोथ क्यूसाच गुफाओं में मौजूद प्राचीन मानव के अवशेष, बहुत पहले लुप्त हो चुके भालुओं की निशानियां और यहां की नाजुक कलाकृतियां हैरत में डालती हैं. इसे बचाने के लिए काफी मेहनत की गई है.
केवल रिसर्चर जाते हैं गुफा में
फ्रांस के अधिकारी गुफा में किसी को आने नहीं देते. रिसर्चरों को भी साल में सिर्फ चार हफ्ते के लिए यहां आने की इजाजत मिलती है. हाल ही में पहली बार एएफपी के पत्रकारों की एक टीम को वैज्ञानिकों के साथ यहां आने की अनुमति मिली.
कलाकृति के साथ कब्रें
भालुओं के शीतनिद्रा कक्षों के भीतर रिसर्चरों को छह मानव शरीरों के अवशेष भी मिले हैं. उनकी आयु भी वही है जो यहां की आकृतियों की है. यह अब तक ज्ञात अकेली ऐसी गुफा है जिसे प्रागैतिहासिक काल में इंसानों को दफनाने और कला रचने दोनों के लिए इस्तेमाल किया गया है.
गुफा में जाने की सावधानियां
प्रवेश द्वार से अंदर पहुंचते ही पूरे समूह को सफेद रंग के सुरक्षात्मक कपड़े पहना दिए गए. सिर पर टोपी और हाथों में दस्ताने भी थे यहां तक कि उनके जूतों के सोल को भी कीटाणुरहित किया गया. अधिकारी कोई जोखिम नहीं लेना चाहते. फ्रांस की मशहूर लास्कू गुफाओं को सैलानियों के साथ आए सूक्ष्मजीवों से भारी नुकसान पहुंचा था.
पूरी तरह नहीं हुई है गुफा की जांच
इस गुफा को अभी तक पूरी तरह से नहीं जांचा गया है. इसमें इतिहास के कई रहस्य छिपे हो सकते हैं. यहां की कलाकृतियों की नकल तैयार कर अक्टूबर,2024 में एक प्रदर्शनी भी लगाई गई थी. इसकी सुरक्षा को लेकर अधिकारी बहुत चौकसी बरत रहे हैं और उनका कहना है कि इस गुफा को आम लोगों के लिए खोला जाए इसके कोई आसार नहीं हैं.
1.6 किलोमीटर लंबी गुफा
गुफा की लंबाई 1.6 किलोमीटर है और इसमें 1,000 से ज्यादा आकृतियां उकेरी गई हैं. इनमें जानवर और महिलाएं शामिल हैं. वैज्ञानिकों ने इनकी आयु 26,000 से 35,000 साल बताई है. यह वही समय था, जब यूरोप में प्राचीन ग्रेवेटियन संस्कृति फलफूल रही थी.
गुफा में भालू के पंजों के निशान
गुफा अंदर से काफी अच्छी स्थिति में संरक्षित है. यहां प्राचीन गुफा में भालू के पंजों के निशान भी दिखाई पड़े हैं, जिससे पता चलता है कि इसमें भालू रहा करते थे. ये भालू, भूरे भालुओं के पूर्वज माने जाते हैं.
संकरी गलियों से निकलता है रास्ता
क्यूसाच गुफा तक रास्ता एक पतली गली से होकर जाता है. वहां मौजूद बड़ी-चट्टानों ने इसके अंदरूनी हिस्सों को हजारों साल तक बंद रखा था. सिर पर लगी लैंप की रोशनी में वैज्ञानिक उसी संकरे रास्ते से अंदर जाते हैं जिसके सहारे खोजी यात्री मार्क डेलुच सबसे पहले यहां सितंबर, 2000 में पहुंचे थे.