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जमीन पर रहने वाले मगरमच्छ का 50 लाख साल पुराना जीवाश्म

३० अप्रैल २०२५

डोमिनिकन गणराज्य में लाखों साल पहले जमीन पर रहने वाले एक मगरमच्छ के जीवाश्म मिले हैं. करीब 50 से 70 लाख पुराने जीवाश्मों का यहां मिलना यह दिखाता है कि ये जीव इंसान के अनुमान से पहले भी पृथ्वी पर मौजूद थे.

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एक सेबेसिड का चित्र जो देखने में एक छोटे डायनासोर सा लग रहा है
इन जीवों की खोपड़ी संकरी और गहरी थी जो ऊपर से एक मांसाहारी डायनासोर की खोपड़ी जैसी लगती थीतस्वीर: Jorge Machuky/REUTERS

इन मगरमच्छों को सेबेसिड कहा जाता है. अभी तक इनके सबसे ताजा जीवाश्म कोलंबिया में मिले थे जिन्हें 1.05 से 1.25 करोड़ साल पुराना बताया गया. डोमिनिकन गणराज्य में पाए गए जीवाश्म करीब 50 से 70 लाख साल पुराने हैं.

सबसे लंबे सेबेसिड करीब 20 फुट (छह मीटर) तक लंबे थे, हालांकि डोमिनिकन गणराज्य में मिले आंशिक अवशेष संकेत दे रहे हैं कि यह जीव करीब सात फुट (दो मीटर) लंबा था. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या क्रमिक विकास इनका आकार छोटा कर रहा था. वैज्ञानिक आने वाले दिनों में ऐसी गुत्थियां सुलझाने की कोशिश करेंगे. इस खोज के बारे में बताती रिसर्च इसी हफ्ते प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी में छपी है.

कैसे दिखते थे ये मगरमच्छ

शोध के मुख्य लेखक लाजारो विनोला लोपेज ने बताया, "यह उस तरह के परभक्षी थे जिनके बारे में माना जाता है कि वो डायनासोर युग से मौजूद थे." लेकिन उन्होंने कहा कि सच यह है कि ये दक्षिण अमेरिका में स्तनधारी जीवों के युग में फूड चेन में बिल्कुल ऊपर थे. उस समय इस स्थान पर उनके साथ 'टेरर बर्ड्स', करीब 10 फुट तक लंबी विशालकाय पक्षी और सेबर टूथ धानीप्राणी (मार्सुपियल) जी भी थे.

ऑस्ट्रेलिया के खारे पानी में जबड़ा खोले एक मगरमच्छ
आकार में सेबेसिड आज के सबसे बड़े मगरमच्छों जितने ही होते थे लेकिन वे दौड़ कर शिकार का पीछा कर सकते थेतस्वीर: Brian Cassey/AAP/dpa/picture alliance

20 करोड़ साल से भी पहले ट्राइऐसिक युग के समय से ही धरती पर कई तरह के मगरमच्छ रहे हैं. इनमें से अधिकांश जमीन पर और पानी में दोनों जगह रहते थे, जैसे आज के मगरमच्छ रहते हैं. कुछ पानी के राजा भी थे और कुछ सिर्फ धरती पर रहे थे, जैसे सेबेसिड. दूसरे मगरमच्छों के मुकाबले इनका आकार भी अलग था.

इनके पैर लंबे थे और तुलनात्मक रूप से ज्यादा खड़ी मुद्रा में रहते थे, जो इन्हें शिकार का पीछा करने के लिए तेज भागने के काबिल बनाता था. इनकी खोपड़ी संकरी और गहरी थी जो ऊपर से एक मांसाहारी डायनासोर जैसी लगती थी. इसके विपरीत, आधुनिक मगरमच्छों की खोपड़ी चौड़ी और कम गहरी होती है.

सेबेसिड के मुख्य दांत लंबे और नुकीले थे. साथ ही किनारे के दांत धारीदार थे. इनसे वो मांस को काटते थे. कई अन्य मगरमच्छों की तरह उनकी त्वचा में भी उनका बचाव करने वाला एक कवच जैसा था जो स्कूट्स नाम के हड्डियों वाली प्लेटों से बना हुआ था.

कैसे पहुंचे वेस्ट इंडीज?

रिसर्च के सह-लेखक जोनाथन ब्लॉच ने बताया, "यह सोचकर अद्भुत लगता है कि ये मगरमच्छ बस कुछ लाख सालों पहले तक कैरिबियन में जिंदा थे और स्लॉथ, चूहे और जो भी उस समय वहां मिलता था उसका शिकार कर रहे थे." ब्लॉच फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के प्राकृतिकइतिहास संग्रहालय में वर्टिब्रेट जीवाश्मिकी के क्यूरेटर हैं.

मगरमच्छों के साथ जिंदगी

रिसर्चरों का कहना है कि इससे पहले क्यूबा और पुएर्तो रिको में मिले जीवाश्मों से संकेत मिल रहा है कि यह प्रजाति वेस्ट इंडीज के द्वीपों में काफी फैली हुई थी. लेकिन सवाल यह उठता है कि दक्षिण अमेरिका में धरती पर रहने वाले मगरमच्छ वेस्ट इंडीज कैसे पहुंचे?

रिसर्चरों ने कहा कि यह इस बात का एक और सबूत है कि हो सकता है जमीन पर अस्थायी पुलों का या द्वीपों की शृंखला का एक रास्ता रहा हो, जिसके जरिए ये जीव करीब 3.2 से 3.5 करोड़ साल पहले दक्षिण अमेरिका से कैरिबियन की तरफ चले गए हों.

लोपेज ने कहा, "उस समय इन द्वीपों और उत्तरी दक्षिण अमेरिका के बीच की दूरी आज के मुकाबले काफी कम थी. यह दिखाता है कि द्वीप एक बायोडायवर्सिटी संग्रहालय के रूप में कितने महत्वपूर्ण हो सकते हैं और उन समूहों के आखिरी सदस्यों के अवशेष संजोये हुए हो सकते हैं जो दूसरी जगह विलुप्त हो गए."