ट्रंप और पुतिन के लिए बहुत बड़ी चुनौती है समझौता
१३ अगस्त २०२५डॉनल्ड ट्रंप अपने रूसी समकक्ष पुतिन से अलास्का में शुक्रवार को यूक्रेन युद्ध पर बातचीत करेंगे. दोनों राष्ट्रपतियों की अकेले में 2018 के बाद पहली मुलाकात होगी. हेलसिंकी की उस मुलाकात में ट्रंप का नरम रुख लंबे समय तक उन्हें परेशान करता रहा था.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि पुतिन ने खुद ही इस बातचीत के लिए कहा था. ट्रंप उन्हें न्यौता देने को रजामंद हुए, हालांकि सार्वजनिक तौर पर दुनिया ने यह देखा कि ट्रंप इस बात से परेशान हैं कि पुतिन जंग रोकने के उनके प्रस्तावों को ठुकरा रहे हैं.
पुतिन की पहली जीत
पुतिन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत ने गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है. ट्रंप का पुतिन को न्यौता पश्चिमी देशों के पुतिन के बहिष्कार को खत्म कर देगा जो 2022 में यूक्रेन पर हमले के साथ शुरू हुआ था. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का कहना है कि अलास्का का न्यौता पुतिन के लिए "निजी जीत है."
ट्रंप के सहयोगियों ने तुरंत ही यह बताने की कोशिश की कि इसे ज्यादा महत्व ना दिया जाए. विदेश मंत्री मार्क रूबियो ने एक रेडियो इंटरव्यू में कहा कि यह मुलाकात "कोई छूट नहीं" है और ट्रंप "इस शख्स से सीधे मिलना" और देखना चाहते हैं कि क्या वह गंभीर हैं. ट्रंप का भी कहना है कि यह मुलाकात का अनुभव लेने के लिए है और यहां यूक्रेन पर कोई समझौता नहीं होगा.
उनका कहना है कि वह मुलाकात के तुरंत बाद जेलेंस्की और दूसरे यूरोपीय नेताओं से बात करेंगे जो इस बात पर जोर दे रहे हैं कि यूक्रेन को इस बातचीत में उसकी किस्मत पर नहीं छोड़ देना चाहिए. वैसे जर्मन चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स और दूसरे नेताओं के साथ ट्रंप की एक वर्चुअल मीटिंग बुधवार, 13 अगस्त को दोपहर में भी हुई है.
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस की फेलो लियाना फिक्स का कहना है, "यूरोपीय नेताओं का पहले से अनुभव है कि जो डॉनल्ड ट्रंप से आखिर में बात करता है वह सबसे ज्यादा असर छोड़ता है." उन्होंने यह भी कहा कि डॉनल्ड ट्रंप के मन में यह तीव्र इच्छा है कि व्लादिमीर पुतिन को वह संघर्ष विराम के लिए मना लें भले ही कुछ ही देर के लिए."
यूक्रेन युद्ध में हजारों लोगों की जान गई है. ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद 24 घंटे के भीतर युद्ध रुकवाने की बात कही थी. हालांकि बाद में उन्हें इस रास्ते की मुश्किलों का अंदाजा हुआ. उनकी रणनीतियां भी ध्वस्त होती दिखीं.
क्या ट्रंप ने नरमी दिखाई है
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कैमरे पर जेलेस्की से मुलाकात में भी उनको खरी खरी सुनाई. उसी मुलाकात में उप-राष्ट्रपति जेडी वैंस ने तो यूक्रेन पर अमेरिकी मदद के लिए नाशुक्र होने का आरोप भी लगाया. ट्रंप ने कुछ समय के लिए अमेरिकी मदद बंद भी की थी. यूक्रेन ने तुरंत ही समझ लिया कि उसे ट्रंप की कोशिशों में साथ देना होगा और संघर्षविराम के लिए हां भी कह दिया. जब पुतिन ने ऐसा नहीं किया तो ट्रंप ने रूस पर प्रतिबंध लगाने की धमकियां दी, ताकि पुतिन बैठक के लिए तैयार हो जाएं.
रूसी राजनीतिक विश्लेषक कोंस्टांटिन कालाचेव का कहना है, "इस तरह की बैठक की सच्चाई पुतिन के लिए जीत होगी. पुतिन ने ट्रंप को कुछ अहम देने का प्रस्ताव नहीं दिया है और ट्रंप उन्हें अलास्का बुला रहे हैं." कालाचेव ने यह भी कहा ट्रंप का नए प्रतिबंधों की घोषणा नहीं करना भी रूस के लिए "बिना शर्त जीत है."
ट्रंप ने नरम होने की आलोचना खारिज की है उन्होंने भारत के खिलाफ टैरिफ बढ़ाने की ओर ध्यान दिलाया, जो रूसी तेल का बड़ा खरीदार है. हालांकि ट्रंप ने जेलेंस्की की ओर से छूट पाने के लिए भी दबाव बनाया है. जेलेस्की ने रूसी कब्जे में गई जमीन को छोड़ने से इनकार किया है.
सीआईए में रशिया एनालिसिस के पूर्व निदेशक जॉर्ज बीबे, क्विंसी इंस्टिट्यूट के निदेशक हैं. यह संगठन सैन्य संयम का समर्थन करता है. बीबे का कहना है कि ट्रंप युद्ध खत्म करने की रूपरेखा के लिए समझौते पर काम शुरू कर सकते हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इतने कम समय के नोटिस पर बुलाई गई राष्ट्रपतियों की बैठक ने उम्मीदें इतनी ज्यादा बढ़ा दी हैं कि उनके पूरे होने के आसार नहीं हैं. बीबे ने कहा, "ट्रंप एक ऐसे मुद्दे से निपट रहे हैं जो राजनीतिक खतरे से भरा हुआ है और निश्चित रूप से इसमें सफलता की कोई गारंटी नहीं है."