पहली बार गाजा में अकाल की स्थिति की पुष्टि; इस्राएल का इनकार
प्रकाशित २२ अगस्त २०२५आखिरी अपडेट २२ अगस्त २०२५आपके लिए अहम जानकारी
- बिहार: ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाए गए लोग आधार कार्ड के साथ कर सकेंगे आवेदन
- अमेरिकी वीजा धारकों की कड़ी जांच, 5.5 करोड़ से अधिक लोगों पर नजर
- हिमाचल हाईकोर्ट ने कहा, ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ कहना राजद्रोह नहीं, जब तक…
- नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन विस्फोट मामले में गिरफ्तारी, जर्मनी ने बताया ‘बड़ी कामयाबी’
बूढ़े हो रहे जर्मनी को सैनिकों, जासूसों और नर्सों की तलाश
जर्मनी की आबादी बूढ़ी हो रही है और देश को सुरक्षा के लिए नए सैनिकों और जासूसों की जरूरत है, साथ ही अपने बुजर्गों की देखभाल के लिए नर्सों की भी. जर्मनी इन कमियों को दूर करने के लिए कई उपाय कर रहा है. उनमें से एक है इंडोनेशिया में कामगारों की तलाश.
जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वाडेफुल ने गुरुवार को इंडोनेशिया में एक जर्मन भाषा के स्कूल का दौरा किया. यह दौरा दक्षिण-पूर्व एशिया से विशेष कुशल कामगारों की भर्ती की योजना के तहत किया गया.
जर्मनी की जनसंख्या तेजी से बूढ़ी हो रही है, जबकि इंडोनेशिया में स्थिति इसके उलट है. भारत, चीन और अमेरिका के बाद इंडोनेशिया दुनिया का चौथा सबसे अधिक आबादी वाला देश है. यहां की आधी आबादी 30 साल से कम उम्र की है.
राजधानी जकार्ता में वाडेफुल ने एक नर्सिंग स्कूल का दौरा किया और युवा छात्रों से उनके भविष्य की योजनाओं पर बातचीत की. उनके साथ इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्री बुडी गुनादी सादिकिन और गोएथे इंस्टीट्यूट इंडोनेशिया की निदेशक कॉन्टांजे मिशेल भी मौजूद रहीं.
भाषा की कठिनाइयां विदेशी कामगारों के लिए अब तक बड़ी बाधा रही हैं. इसी को देखते हुए वाडेफुल ने इंडोनेशिया में चार नए भाषा स्कूल खोलने के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए.
फिलहाल केवल एक हजार वर्क वीजा ही इंडोनेशियाई नागरिकों को हर साल दिए जाते हैं. इसकी मुख्य वजह है शिक्षा की कमी, भाषा कौशल की समस्या और जर्मनी द्वारा विदेशी प्रमाणपत्रों को मान्यता ना देना.
राजनाथ सिंह ने की नई नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था बनाने की मांग
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को नई नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था बनाने की मांग की. उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक व्यवस्था में कुछ देशों को तो बहुत समृद्धि मिली है, लेकिन विश्व की आबादी के बड़े हिस्से को सिर्फ असमानता, असुरक्षा और अनिश्चितता मिली है. यह बात उन्होंने 'इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम 2025' में अपने संबोधन में कही.
उन्होंने कहा, "ऐसी स्थिति में यह जरूरी है कि हम एक नई नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था का निर्माण करें. एक ऐसी वैश्विक व्यवस्था जहां समानता हो, सभी के लिए बराबर मौके हों. संघर्ष की बजाय सहयोग हो. प्रतिस्पर्धा की बजाय साझेदारी हो. मैं मानता हूं कि ऐसी वैश्विक व्यवस्था सिर्फ भारत के नेतृत्व में ही बनाई जा सकती है."
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि हमने हमेशा ऐसी वैश्विक व्यवस्था की कल्पना की है, जहां ताकत को जिम्मेदारी द्वारा निर्देशित किया जाए और उद्देश्य सभी की भलाई में निहित हों. उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक व्यवस्था को प्रभुत्व की लड़ाई के तौर पर नहीं देखता, बल्कि सद्भाव, गरिमा और आपसी सम्मान की दिशा में एक साझा यात्रा के तौर पर देखता है.
भारत की प्रमुख गेमिंग ऐप्स पर बंद हुआ रुपयों का खेल
भारत की कई शीर्ष मोबाइल गेमिंग ऐप्स ने रुपयों से खेले जाने वाले गेम्स को निलंबित कर दिया है. इनमें ड्रीम 11, पोकरबाजी और मोबाइल प्रीमियर लीग जैसे ऐप्स शामिल हैं, जो ऐसे गेम्स के लिए लोकप्रिय थे, जिनमें असली रुपये लगाए जाते थे. भारतीय संसद में ऐसे गेमों पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून पास होने के बाद इन ऐप्स ने यह फैसला लिया है.
एक समय पर अनुमान लगाया गया था कि भारत में मनी-गेमिंग सेक्टर 2029 तक 3.6 अरब डॉलर का हो जाएगा. लेकिन अब भारत सरकार द्वारा अचानक उठाए गए इस कदम से मनी-गेमिंग सेक्टर का भविष्य खतरे में आ गया है. वहीं, सरकार ने इन मनी गेम्स को “सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम” बताते हुए कहा है कि मध्यम वर्ग के युवा इन गेमों की लत का शिकार हो रहे हैं.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, भारतीय गेमिंग कंपनियां इस प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए वकीलों से सलाह-मशवरा कर रही हैं. गेमिंग कंपनियों का तर्क है कि यह बैन लगाने से पहले उनके साथ बातचीत नहीं की गई और इसमें पोकर जैसे कौशल-आधारित खेलों को गलत तरीके से शामिल किया गया है.
पहली बार मानी गई गाजा में भुखमरी और अकाल की स्थिति; इस्राएल का इनकार
गाजा पट्टी में पांच लाख से ज्यादा लोग गंभीर अकाल झेल रहे हैं, जहां भूख, कुपोषण और रोकी जा सकने वाली मौतें तेजी से बढ़ रही हैं. यह बात 'इंटीग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज क्लासिफिकेशन' (आईपीसी) की नई रिपोर्ट में कही गई है. चेतावनी दी गई है कि आने वाले हफ्तों में गाजा शहर से यह संकट देर अल बलाह और खान यूनिस तक फैल सकता है.
यह पहली बार है जब आईपीसी ने मध्यपूर्व के किसी इलाके में अकाल पड़ने की बात मानी है. संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों- खाद्य एवं कृषि संगठन, यूनिसेफ, विश्व खाद्य कार्यक्रम और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दोहराया है कि गाजा में स्थिति बेहद गंभीर है और तुरंत बड़े पैमाने पर मानवीय मदद पहुंचाई जानी चाहिए. एजेंसियों के अनुसार, हजारों लोग कई-कई दिनों तक बिना भोजन के रह रहे हैं और कुपोषण तेजी से बढ़ रहा है.
एजेंसियों ने जोर देकर कहा कि अकाल को हर हाल में रोका जाना चाहिए. इसके लिए तुरंत संघर्षविराम और राहत कार्यों के लिए सुरक्षित रास्ता जरूरी है. साथ ही गाजा सिटी में संभावित सैन्य कार्रवाई और बढ़ते संघर्ष को लेकर गहरी चिंता जताई गई है. इससे आम नागरिकों, खासकर बीमार और कुपोषित बच्चों, बुजुर्गों और विकलांग लोगों पर घातक असर पड़ सकता है.
इस्राएल ने इस संयुक्त राष्ट्र समर्थित रिपोर्ट को गलत बताया है. इस्राएली विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि गाजा में कोई अकाल नहीं पड़ा है और ये खाद्य सुरक्षा वाली रिपोर्ट असल में "हमास के फैलाए झूठ पर आधारित है जिसे अपना हित साधने वाले संगठन फैला रहे हैं."
बिहार: ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाए गए लोग आधार कार्ड के साथ कर सकेंगे आवेदन
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार, 22 अगस्त को बिहार की एसआईआर प्रक्रिया के मामले पर सुनवाई हुई. चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई ड्राफ्ट मतदाता सूची में जिन लोगों के नाम नहीं हैं, उन्हें कोर्ट ने आदेश दिया कि वे सूची में शामिल होने के लिए ऑनलाइन आवेदन दे सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि आवेदन फॉर्म के भौतिक रूप से जमा करवाने की जरूरत नहीं है.
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आवेदन के साथ चुनाव आयोग द्वारा बताए गए 11 दस्तावेजों में से कोई एक या आधार कार्ड दिया जा सकता है. बिहार में चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई ड्राफ्ट मतदाता सूची में 65 लाख मतदाताओं के नाम नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को इन सभी मतदाताओं की सूची प्रकाशित करने का आदेश दिया था, जिनके नाम एसआईआर प्रक्रिया के दौरान हटाए जाने थे.
कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार की 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों को भी निर्देश दिया कि वे अपने बूथ स्तर के एजेंटों को ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाए गए वोटरों की मदद करने के लिए कहें. कोर्ट ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि पार्टियों के बूथ स्तर पर 1.6 लाख एजेंट होने के बावजूद, उनसे सिर्फ दो आपत्तियां आईं. हालांकि, कई पार्टियों ने कोर्ट को बताया कि अधिकारी उनके एजेंटों द्वारा उठाई जा रहीं आपत्तियों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं.
अमेरिका से भेजे गए प्रवासियों को अपनाने पर युगांडा राजी
युगांडा ने अमेरिका के साथ एक समझौते पर सहमति जताई है, जिसके तहत अमेरिका द्वारा वापस भेजे गए प्रवासियों को युगांडा में आने की अनुमति दी जाएगी, बशर्ते कि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड ना हो और वे बगैर अभिभावक के नाबालिग ना हों.
युगांडा के विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि "दोनों पक्ष यह तय कर रहे हैं कि समझौते को कैसे लागू किया जाएगा." मंत्रालय ने यह भी बताया कि युगांडा चाहता है कि देश में लाए जाने वाले लोग अफ्रीकी देशों के नागरिक हों. समझौते पर हस्ताक्षर हुए या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन मंत्रालय ने इसे ‘मुकम्मल’ बताया है.
अंतरराष्ट्रीय मामलों के मंत्री हेनरी ओकेलो ओर्यम ने समाचार एजेंसी एपी को बताया कि युगांडा को शरणार्थियों के प्रति उदार नीति के लिए जाना जाता है, लेकिन इसकी भी कुछ सीमाएं है.
हिमाचल हाईकोर्ट ने कहा, ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ कहना राजद्रोह नहीं, जब तक…
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि भारत की निंदा किए बिना, किसी अन्य देश की प्रशंसा करना राजद्रोह नहीं है क्योंकि इससे अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा नहीं मिलता. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, जस्टिस राकेश कैंथला ने एक व्यक्ति की जमानत मंजूर करते समय यह टिप्पणी की. उस व्यक्ति पर आरोप था कि उसने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक तस्वीर शेयर की थी और उसके कैप्शन में “पाकिस्तान जिंदाबाद” लिखा था.
जस्टिस कैंथला ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो दिखाता हो कि आरोपी के कृत्य से भारत सरकार के खिलाफ नफरत, असंतोष या अलगाववादी भावनाएं भड़कीं. कोर्ट ने कहा, ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ शब्द अपने आप में “राजद्रोह का अपराध नहीं हैं, क्योंकि ये ना तो सशस्त्र विद्रोह को उकसाते हैं और ना ही विध्वंसक या अलवाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं.”
खबर के मुताबिक, इस मामले में आरोपी व्यक्ति एक अशिक्षित फल विक्रेता है, जिसे सोशल मीडिया की उतनी समझ नहीं है. उसके बेटे ने कथित तौर पर उसका फेसबुक अकाउंट बनाया था. बचाव पक्ष का आरोप है कि मामले की सूचना देने वाले व्यक्ति के साथ आरोपी का लेन-देन को लेकर विवाद था. बचाव पक्ष का यह भी आरोप है कि सूचना देने वाले व्यक्ति की आरोपी के फोन तक पहुंच थी और उसने ही विवादित पोस्ट की थी.
इस साल दिल्ली में अपना ऑफिस खोलेगी ओपनएआई, भर्ती भी शुरू की
चैटजीपीटी की पेरेंट कंपनी ओपनएआई इस साल नई दिल्ली में अपना ऑफिस खोलेगी. यह भारत में कंपनी का पहला ऑफिस होगा. कंपनी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि ओपनएआई भारत में एक कानूनी इकाई के तौर पर स्थापित है और उन्होंने स्थानीय टीम के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है.
यूजर्स की संख्या के लिहाज से भारत चैटजीपीटी के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार है. कंपनी ने हाल ही में भारत के लिए एक खास प्लान लॉन्च किया है, जिसके लिए यूजर्स को हर महीने सिर्फ 399 रुपये देने होंगे. यह कंपनी के अन्य प्लानों की तुलना में काफी सस्ता है. हालांकि, इसमें मिलने वाली सुविधाएं भी सीमित हैं.
ओपनएआई को भारत में गूगल के जेमिनाई और एआई स्टार्टअप परप्लेक्सिटी जैसे प्रतिद्वंदियों से कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है. इन दोनों ही कंपनियों ने ऐसे ऑफर बाजार में उतारे हैं, जिनसे यूजर्स मुफ्त में इनके प्रीमियम वर्जनों का लाभ उठा सकते हैं. जैसे, एक टेलीकॉम कंपनी के रिचार्ज के साथ परप्लेक्सिटी प्रो का सब्सक्रिप्शन मुफ्त में मिलता है.
श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को क्यों किया गया गिरफ्तार
श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को शुक्रवार, 22 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया गया. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि उन्हें कथित तौर पर सरकारी धन का दुरुपयोग करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. अधिकारी ने बताया कि उन पर व्यक्तिगत उद्देश्यों के लिए सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल करने का आरोप है.
यह मामला सितंबर 2023 का है, जब विक्रमसिंघे श्रीलंका के राष्ट्रपति थे. वे जी77 समिट में शामिल होने के लिए हवाना गए थे. वहां से लौटते वक्त वे लंदन में रुके थे और वहां वे एक ब्रिटिश यूनिवर्सिटी के समारोह में अपनी पत्नी के साथ शामिल हुए थे. विक्रमसिंघे ने कहा था कि उनकी पत्नी की यात्रा का खर्च उन्होंने उठाया था और सरकारी धन का कोई इस्तेमाल नहीं हुआ था.
हालांकि, बाद में पुलिस के आपराधिक जांच विभाग ने आरोप लगाया कि विक्रमसिंघे ने अपनी निजी यात्रा के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल किया और उनके अंगरक्षकों को भी सरकार की ओर से भुगतान किया गया. इन्हीं आरोपों के चलते उनकी गिरफ्तारी हुई है. विक्रमसिंघे जुलाई 2022 से लेकर पिछले साल सितंबर तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे थे.
जर्मनी की अर्थव्यवस्था में मंदी, इस तिमाही 0.3% की गिरावट
जर्मनी की अर्थव्यवस्था अप्रैल से जून तिमाही में 0.3 फीसदी घट गई है. यह आंकड़ा संघीय सांख्यिकी कार्यालय यानी फेडरल स्टैटिस्टिकल ऑफिस ने शुक्रवार को जारी किया. यह पहले के उस अनुमान से भी खराब है, जिसमें अर्थव्यवस्था में 0.1 फीसदी की गिरावट होने की बात कही गई थी.
साल की शुरुआत में जर्मनी की अर्थव्यवस्था में बढ़त देखी गई थी, खासकर तब जब कंपनियों ने राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफों से पहले अमेरिका के साथ व्यापार बढ़ाया था. संघीय सांख्यिकी कार्यालय ने कहा, “औद्योगिक उत्पादन, विशेष रूप से, शुरुआती अंदाजे से ज्यादा खराब निकला.”
इसके अलावा, लोगों की घरेलू खपत भी कम होकर केवल 0.1 फीसदी रह गई. यह संशोधन जून महीने के होटल और खाद्य सेवा जैसी सेवाओं के डेटा पर आधारित है. सरकारी अंतिम उपभोग व्यय यानी गवर्नमेंट फाइनल कंजम्प्शन एक्सपेंडिचर, पिछली तिमाही की तुलना में 0.8 फीसदी बढ़ा. वहीं निवेश, निर्माण क्षेत्र और शुद्ध निर्यात में गिरावट दर्ज की गई.
बैंकॉक कोर्ट ने थक्सिन शिनावत्रा को बरी किया, राजशाही निंदा के आरोप खारिज
थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थकसिन शिनावत्रा को शुक्रवार को बैंकॉक की अदालत ने राजशाही की निंदा यानी रॉयल डेफेमेशन के आरोपों से बरी कर दिया. 76 वर्षीय थकसिनजेल भी जा सकते थे, लेकिन जजों ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है. यह फैसला उनके परिवार की राजनीतिक गतिविधियों के लिए एक बड़ी राहत का संकेत है.
थकसिन पर क्या आरोप थे?
अभियोजकों ने थकसिन पर थाईलैंड के ‘लेसे मेजेस्टे’ कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. यह कानून राजा महा वजीरालोंगकॉर्न और उनके परिवार की आलोचनाको अपराध मानता है.
यह कानून दुनिया के सबसे सख्त कानूनों में से एक है और हर उल्लंघन पर तीन से 15 साल तक की जेल की सजा हो सकती है. यह मामला 2015 में थकसिन द्वारा दक्षिण कोरियाई मीडिया को दिए गए एक इंटरव्यू से जुड़ा था.
उस इंटरव्यू में उन्होंने 2014 में हुए उस तख्तापलट पर टिप्पणी की थी, जिसमें उनकी बहन यिंगलुक शिनावत्रा को सत्ता से हटाया गया था. अभियोजकों का कहना था कि उनकी टिप्पणी राजशाही की निंदा के समान थी.
थकसिन की कानूनी टीम ने आरोपों का खंडन किया और कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया. बैंकॉक क्रिमिनल कोर्ट ने यह तय किया कि सजा के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं और थक्सिन को बरी कर दिया गया.
अमेरिकी वीजा धारकों की कड़ी जांच, 5.5 करोड़ से अधिक लोगों पर नजर
अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने गुरुवार को कहा कि वह 5.5 करोड़ से अधिक वीजा धारकों की जांच कर रहा है. इसका मकसद यह देखना है कि कोई भी वीजा धारक नियमों का उल्लंघन तो नहीं कर रहा, जिससे उन्हें देश से निकाला जा सके. यह खबर समाचार एजेंसी एपी के हवाले से आई है.
अमेरिका के विदेश विभाग ने एसोसिएटेड प्रेस के सवाल का लिखित जवाब देते हुए कहा कि सभी वीजा धारक—जिसमें कई देशों के पर्यटक भी शामिल हैं—“लगातार जांच” के दायरे में हैं. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी व्यक्ति अमेरिका में प्रवेश या रहने के लिए योग्य हों.
अगर जांच में कोई उल्लंघन पाया गया तो वीजा रद्द कर दिया जाएगा और यदि वीजा धारक अमेरिका में है, तो उसे देश से निकाला जा सकता है. ट्रंप प्रशासन ने गैरकानूनी तरीके से अमेरिका में रहने वाले प्रवासियों, स्टूडेंट्स और विजिटर वीजा धारकों को देश से बाहर करने पर जोर दिया है.
स्तन कैंसर का पता लगा सकेगा हीरा!
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने स्तन कैंसर का पता लगाने का एक नया तरीका ईजाद कर लिया किया है. इसमें हीरों का इस्तेमाल किया गया है.
जब कैंसर शरीर में फैलता है तो सबसे पहले यह पास के लसीका ग्रंथियों माने लिम्फ नोड्स तक पहुंचता है. डॉक्टर आमतौर पर कैंसर कोशिकाओं को अलग दिखाने के लिए रेडियोधर्मी द्रव्य या चमकदार डाई का इस्तेमाल करते हैं. इससे यह पता चलता है कि बीमारी कितनी फैली है. लेकिन कुछ मरीजों को डाई से एलर्जी हो जाती है और कई अस्पतालों में रेडियोधर्मी पदार्थ स्टोर करने की सुविधा नहीं होती.
अब शोधकर्ताओं ने एक नया सेंसर तैयार किया है. उनका कहना है कि यह तरीका ना तो जहरीला है और ना ही इसमें रेडियोधर्मी खतरा है. स्तन कैंसर की सर्जरी से पहले या उसके दौरान डॉक्टर मरीज के ट्यूमर में एक चुंबकीय तरल इंजेक्ट कर सकते हैं. यह तरल लिम्फ नोड्स तक पहुंच जाता है, ठीक वैसे ही जैसे कैंसर कोशिकाएं वहां फैलती हैं.
शोधकर्ताओं के अनुसार, तरल का पता लगाने और यह जानने के लिए कि कौन-सी लसीका ग्रंथियों को सर्जरी में हटाना चाहिए, डॉक्टर एक चुंबकीय क्षेत्र सेंसर का इस्तेमाल करेंगे. इस सेंसर के सिरे पर एक छोटा हीरा लगा होगा.
हीरों में नाइट्रोजन वेकेंसी सेंटर या रंगीन केंद्र होते हैं, जो चुंबकीय एनर्जी को महसूस कर सकते हैं. अध्ययन के लेखक और वारविक विश्वविद्यालय के भौतिकी प्रोफेसर गेविन मोर्ले ने कहा कि ये रंगीन केंद्र “हीरे को बहुत छोटे चुंबकीय बदलाव महसूस करने की क्षमता देते हैं और हीरे को एक बढ़िया गुलाबी रंग भी देते हैं.” इससे कैंसर का पता लगाने में मदद मिलती है.
कोलंबिया में कार बम धमाके और हेलीकॉप्टर हमले में 12 पुलिसकर्मी समेत 17 की मौत
कोलंबिया में गुरुवार को हुए दो हमलों में कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई. अधिकारियों ने बताया कि एक कार बम धमाका हुआ और दूसरा हमला पुलिस के हेलीकॉप्टर पर किया गया. कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो ने कहा कि इन दोनों हमलों के पीछे अब खत्म हो चुके वामपंथी गुट रेवोल्यूशनरी आर्म्ड फोर्सेज ऑफ कोलंबिया यानी एफएआरसी के सदस्य हैं.
हेलीकॉप्टर हमले में कम से कम 12 पुलिसकर्मियों की मौत हुई. अधिकारियों के मुताबिक यह हेलीकॉप्टर उत्तरी कोलंबिया के एंटिओकिया इलाके में पुलिसकर्मियों को ले जा रहा था. वहां कोका की फसल को नष्ट करने की योजना थी. कोका की पत्तियों से कोकीन बनाई जाती है.
गवर्नर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि हेलीकॉप्टर पर उड़ान के दौरान ड्रोन से हमला किया गया. कोलंबिया के रक्षा मंत्री पेद्रो सांचेज ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि हमले से हेलीकॉप्टर में आग लग गई. उन्होंने एक वीडियो भी साझा किया जिसमें हेलीकॉप्टर पहाड़ी से टकराता दिख रहा है.
नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन विस्फोट मामले में गिरफ्तारी, जर्मनी ने बताया ‘बड़ी कामयाबी’
जर्मनी के अभियोजकों ने गुरुवार को घोषणा की कि 2022 में नॉर्ड स्ट्रीम 1 और 2 पाइपलाइन पर हुए हमले के मामले में एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया है. ये पाइपलाइनें रूस से यूरोप तक गैस पहुंचाती थीं.
जानकारी के मुताबिक, संदिग्ध एक यूक्रेनी नागरिक है जिसे इटली के रिमिनी शहर के पास पकड़ा गया. जर्मन अभियोजकों ने कहा कि उन्होंने इटली के अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के सहयोग के लिए उनका शुक्रिया अदा किया.
संदिग्ध का नाम जर्मन गोपनीयता कानून के तहत सिर्फ सेरही के. बताया गया है. आरोप है कि वह उस समूह का हिस्सा था जिसने पाइपलाइन पर विस्फोटक लगाए थे. यह भी कहा गया कि उसने हमले की योजना बनाने और उसे पूरा करने में मदद की.
जर्मनी की न्याय मंत्री स्टेफानी हुबिग ने इस गिरफ्तारी को “एक बड़ी सफलता” बताया और कहा कि मामला तब तक ठंडा नहीं होगा जब तक सभी आरोपियों को पकड़ा नहीं जाता.
मामला क्या था?
26 सितंबर 2022 को डेनमार्क के अधिकारियों ने समुद्र के नीचे कई धमाके सुने जो नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन के पास हुए थे. इस संदिग्ध हमले और गैस रिसाव की वजह से तीन पाइपलाइनें निष्क्रिय हो गईं.
ये पाइपलाइनें पहले से ही विवादों में थीं. जब फरवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन पर युद्ध शुरू किया तो इन पाइपलाइनों पर और सवाल उठे. हमले के समय पाइपलाइनें गैस से भरी हुई थीं लेकिन चालू नहीं थीं. यह रूस पर लगाए गए शुरुआती प्रतिबंधों का हिस्सा था.