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अर्थव्यवस्थासंयुक्त राज्य अमेरिका

ट्रंप के टैरिफों से बचने की पूरी कोशिश कर रहे भारत और ईयू

२६ मार्च २०२५

डॉनल्ड ट्रंप 2 अप्रैल को रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने जा रहे हैं. कई देश इससे छूट पाने की कवायद में जुटे हैं. यूरोपीय संघ के अधिकारी वॉशिंगटन पहुंचे हैं तो अमेरिकी अधिकारी नई दिल्ली में हैं.

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एक एक्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन करने के बाद उसे मीडिया को दिखाते ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अगल-अलग देशों पर टैरिफ लगाने से जुड़े कई एक्जीक्यूटिव ऑर्डर साइन किए हैंतस्वीर: Chip Somodevilla/Getty Images

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की ओर से भारत, यूरोपीय संघ और अन्य देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जवाबी शुल्क लगाए जाने की अगली तारीख 2 अप्रैल तय की गई है. ट्रंप कह रहे हैं कि 2 अप्रैल, अमेरिकी अर्थव्यवस्था और व्यापार के अनुचित तरीकों के खिलाफ ‘स्वतंत्रता दिवस‘ होगा. यूरोपीय संघ और भारत के अधिकारी इससे बचने के लिए अमेरिका के साथ बातचीत में लगे हुए हैं. यूरोपीय संघ के ट्रेड कमिश्नर मारोस सेफकोविच ने टैरिफ में छूट पाने के लिए डॉनल्ड ट्रंप के मुख्य व्यापार अधिकारियों से मुलाकात की है. हालांकि अभी साफ नहीं है कि इस बातचीत का क्या नतीजा निकला.

सेफकोविच के मुताबिक उन्होंने अमेरिका के व्यापार मंत्री हॉवर्ड लुटनिक, अमेरिका के ट्रेड रिप्रजेंटेटिव जेमिसन ग्रियर और व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट से बातचीत की. डॉनल्ड ट्रंपके अधिकारियों के साथ इससे पहले हुई दो बार की बातचीत रेसिप्रोकल टैरिफ पर ट्रंप के रुख को बदल पाने में नाकाम रही थीं. हालांकि नई बातचीत के बारे में सेफकोविच ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "मेहनत जारी है. यूरोपीय संघ की प्राथमिकता है, अन्यायपूर्ण टैरिफों के बजाए, उचित और संतुलित डील. दोनों ही पक्षों का लक्ष्य औद्योगिक मजबूती है." हालांकि अमेरिका की ओर से यूरोपीय संघ के साथ जारी बातचीत पर कोई जानकारी नहीं दी गई है.

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भारत पहुंचे हैं ट्रंप के अधिकारी

ट्रंप अमेरिका के साथ व्यापार करने वाले अहम साझीदारों के लिए अमेरिका की ओर से लगने वाले आयात शुल्क को बढ़ाना चाहते हैं. वो कहते रहे हैं कि अमेरिका के अहम व्यापार साझीदार अमेरिका से होने वाले निर्यात पर भारी आयात शुल्क लगाते रहे हैं. इसकी वजह से उनके साथ व्यापार में अमेरिका को नुकसान होता है. ऐसे में जैसे को तैसा की तर्ज पर अमेरिका भी उन देशों से आयात होने वाले किसी खास सामान पर उतना ही टैरिफ यानी आयात शुल्क लगाएगा, जितना वो अमेरिका के उस सामान पर लगाते हैं.

टैरिफ को लेकर जारी इस बातचीत के बीच कुछ देश अमेरिका को टैरिफ में छूट देने की देने की तैयारी भी कर रहे हैं. टैरिफ के मुद्दे पर भारत भी अमेरिका के साथ बातचीत में लगा हुआ है. अमेरिका के असिस्टेंट ट्रेड रिप्रजेंटेटिव ब्रेंडन लिंच व्यापार पर बातचीत के सिलसिले में नई दिल्ली में हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने अमेरिका को टैरिफ से छूट देने के पहले चरण में करीब आधे से ज्यादा अमेरिकी आयातों पर टैरिफ घटाने की बात कही है. यह छूट अमेरिका से होने वाले करीब 23 अरब डॉलर के आयात को फायदा पहुंचाएगी.

भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में शामिल है. वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक भारत की ओर से लगाई जाने वाले टैरिफ की औसत दर 12 फीसदी से भी ज्यादा है. जबकि टैरिफ के मामले में अमेरिका की औसत दर 2.5 फीसदी है.

डॉनल्ड ट्रंप दिखा सकते हैं नरमी

सोमवार को ट्रंप ने एक नया बयान दिया है. इसके बाद रेसिप्रोकल टैरिफ के मुद्दे पर 2 अप्रैल को ट्रंप की ओर से कुछ नरमी दिखाए जाने के अनुमान लग रहे हैं. दरअसल ट्रंप ने कहा कि वो बहुत से देशों को टैरिफ में छूट दे सकते है. हालांकि उन्होंने देशों के नाम या छूट के बारे में कोई और जानकारी नहीं दी. ट्रंप ने यह भी कहा कि गाड़ियों, दवाओं और एल्युमिनियम पर निकट भविष्य में अलग से टैरिफ लगाए जाएंगे.

यूरोपीय संघ के अधिकारियों के लिए ट्रंप और उनके अधिकारियों से बातचीत आसान नहीं रही है. अभी तक बातचीत में कई ऐसे मोड़ आ चुके हैं, जब लगा कि अब बातचीत का बुरी तरह अंत होने वाला है और इसके बाद अटलांटिक महासागर के दोनों ओर व्यापार युद्ध जैसी स्थितियां बन जाएंगी. गाड़ियों, स्टील और एल्युमिनियम पर टैरिफ जैसे कदम इस उठापटक के केंद्र में रहे. अब यूरोपीय संघ के ट्रेड कमिश्नर मारोस सेफकोविच ने कहा है कि उनकी इच्छा है कि अटलांटिक महासागर के दोनों ही ओर गाड़ियों पर लगने वाले टैरिफ कम किए जाएं. यानी उस 10 फीसदी टैरिफ में कमी आए, जो यूरोपीय संघ अमेरिकी कारों पर लगाता है और उस 25 फीसदी टैरिफ में भी, जो अमेरिका बाहर से आने वाले ट्रकों पर लगाता है.

वैंकूवर, कनाडा की शराब दुकान में लगा साइनबोर्ड, जिसपर कनाडाई शराब खरीदने की अपील की गई है
वैंकूवर, कनाडा में एक शराब की दुकान के अमेरिकन व्हिस्की सेक्शन के सामने लगा कनाडाई शराब खरीदने की अपील वाला साइनबोर्डतस्वीर: Ethan Cairns/The Canadian Press/empics/picture alliance

कनाडा ने तो ट्रंप से बात ही नहीं की

कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने सीधे 2 अप्रैल को ट्रंप की ओर से लगाए जाने वाले टैरिफों के बदले में जवाबी टैरिफ लगाने की बात कही है. वहीं ट्रंप ने भी अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की शर्तों के मुताबिक नए टैरिफों से एक महीने के लिए दी गई छूट को खत्म करने की बात कही है. कभी अमेरिका से सबसे अहम सहयोगी रहे कनाडा के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद से मार्क कार्नी ने अब तक ट्रंप के साथ बातचीत नहीं की है.

कार्नी ने यह भी कहा है कि वो ट्रंप के साथ बातचीत के लिए बहुत जल्दी में नहीं हैं. उनके मुताबिक वो "दो संप्रभु देशों के बीच ठोस बातचीत" चाहते हैं. इस बात से उनका इशारा अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के उस बयान की ओर है, जिसमें वो बार-बार कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बात कहते रहे हैं.

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ट्रंप को सिर्फ टैरिफ से समस्या नहीं

ट्रंप की रेसिप्रोकल टैरिफ की चेतावनी की बाद भारत की ही तरह दूसरे देशों और यूरोपीय संघ ने भी अमेरिका को टैरिफ में कई छूट दी हैं. मसलन यूरोपीय संघ ने अमेरिकी शुल्कों की जवाबी कार्रवाई में जो शुल्क लगाए थे, उन्हें अप्रैल मध्य तक टाल दिया है. इसके अलावा अमेरिकी बर्बन व्हिस्की पर भी 50 फीसदी टैरिफ को टाल दिया गया है.

हालांकि वाइट हाउस के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि जो देश टैरिफ में छूट के लिए आतुर हैं, उन्हें पूरी तरह से उनसे बच जाने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. इसकी वजह ये है कि ट्रंप की ओर से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जाने का आधार सिर्फ टैरिफ ना होकर, वो गैर-टैरिफ बाधाएं भी होंगी, जो इन देशों की ओर से घरेलू बाजार में अमेरिकी सामान के लिए खड़ी की जाती हैं. मसलन देशों की मुद्रा नीति और ऐसे दूसरे कारक.

एडी/एनआर (रॉयटर्स, एएफपी)