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राजनीतिकजाखस्तान

कच्चे माल के लिए मध्य एशिया पर यूरोपीय संघ की नजर

आंचल वोहरा
४ अप्रैल २०२५

ईयू ने आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने और चीन पर निर्भरता कम करने के मकसद से मध्य एशिया के लिए अरबों डॉलर जुटाए हैं. इसकी वजह यह है कि ईयू को लगने लगा था कि यूरोप महत्वपूर्ण खनिजों के लिए चीन पर बहुत अधिक निर्भर है.

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खनिजों के मामले में धनी सेंट्रल एशियाई देश कजाखस्तान में जारी एक कच्चा माल हासिल करने का प्रोजेक्ट
खनिजों के मामले में धनी सेंट्रल एशियाई देश कजाखस्तान में जारी एक कच्चा माल हासिल करने का प्रोजेक्टतस्वीर: Jens Büttner/dpa/picture alliance

प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर मध्य एशिया के पांच देशों के साथ अपने पहले शिखर सम्मेलन में और यूरोपीय संघ उन महत्वपूर्ण खनिजों पर ध्यान दे रहा है, जिनकी जरूरत बढ़ते रक्षा उद्योग और यूरोपीय संघ के हरित बदलाव के लिए है. यूरोपीय संघ मध्य एशिया में काफी ज्यादा दिलचस्पी ले रहा है जिनमें उज्बेकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान शामिल हैं. इसकी वजह यह है कि ईयू को अहसास हो रहा है कि यूरोप महत्वपूर्ण खनिजों के लिए चीन पर बहुत अधिक निर्भर है.

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा उज्बेक शहर समरकंद में मध्य एशियाई नेताओं से मिलीं. इस दौरान अन्य मुद्दों के अलावा सतत विकास और प्रतिबंधों से बचने के रूसी प्रयासों पर भी चर्चा हुई. हालांकि, सबसे अधिक ध्यान मध्य एशिया में मौजूद मूल्यवान संसाधनों का दोहन करने के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे के विकास पर दिया जाना है.

खनिजों के लिए अहम है मध्य एशिया

यूरोपीय संघ के सांख्यिकी कार्यालय ‘यूरोस्टेट' के अनुसार, "महत्वपूर्ण कच्चे खनिज (सीआरएम) कई अहम क्षेत्रों के लिए जरूरी हैं, जैसे कि नेट जीरो इंडस्ट्री, डिजिटल इंडस्ट्री, अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र.”

चीन दुनिया में महत्वपूर्ण खनिजों के उत्पादन के लगभग 60 फीसदी और 85 फीसदी से ज्यादा प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) को नियंत्रित करता है. साल 2023 में, यूरोपीय संघ ने 94 फीसदी रेयर अर्थ एलिमेंट का आयात चीन, मलेशिया और रूस से किया.

वैसे तो चीन रूस का एक प्रमुख सहयोगी है और खुद के ग्रीन टेक उद्योग को विकसित कर रहा है, जिसके लिए उसे उन्हीं खनिजों की जरूरत है. इस वजह से इसने अतीत में कम से कम एक महत्वपूर्ण खनिज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. इससे यूरोपीय संघ में इसकी आपूर्ति श्रृंखलाओं में रुकावट की संभावना को लेकर चिंताएं पैदा हुई हैं.

अमेरिका को खनिजों का खजाना देगा यूक्रेन

हाल ही में चीन ने एंटीमनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो नाइट विजन चश्मे, बेहतर ऑप्टिक्स और कई सैन्य उपकरणों में इस्तेमाल होने वाला खनिज है. विशेषज्ञों का कहना है कि मध्य एशिया यूरोप की अधिकांश जरूरतों के लिए एक वैकल्पिक स्रोत है. थिंक टैंक यूरोपियन नेबरहुड काउंसिल के निदेशक सैमुअल वेस्टरबाय ने डीडब्ल्यू को बताया, "ईयू को जिन महत्वपूर्ण कच्चे माल की जरूरत है उनमें से कई मध्य एशिया में उपलब्ध हैं. उदाहरण के लिए, सौर पैनलों के लिए सिलिकॉन की जरूरत होती है. रडार और अन्य रक्षा उपकरणों के लिए कुछ खास तरह के टंगस्टन की जरूरत होती है. सबसे लोकप्रिय लिथियम है, जो बैटरी बनाने के लिए जरूरी है.”

मध्य एशियाई देश इन तीनों और कई अन्य खनिजों में समृद्ध हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश संसाधन अविकसित खनन क्षेत्र में दबे हुए हैं. यूरोपियन इंस्टीट्यूट फॉर एशियन स्टडीज (ईआईएएस) ने बताया कि उत्पादन बढ़ाने की संभावना काफी अधिक है. इसने पाया, "कजाखस्तान वर्तमान में यूरोपीय संघ के 34 महत्वपूर्ण कच्चे माल (सीआरएम) में से 19 का उत्पादन करता है और 21 तक विस्तार करने के लिए तैयार है. उज्बेकिस्तान दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा यूरेनियम आपूर्तिकर्ता है. यह देश चांदी, टाइटेनियम, मोलिब्डेनम और सोने में भी समृद्ध है.”

विशेषज्ञों का कहना है कि यूरोपीय संघ का उद्देश्य बुनियादी ढांचे को विकसित करना है, ताकि मध्य एशिया को इन खनिजों को टिकाऊ तरीके से निकालने में मदद मिल सके और बदले में यूरोपीय संघ को अपनी आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने में मदद मिले, ताकि वह कच्चे माल के लिए किसी एक देश पर निर्भर न रहे.

वेस्टरबाय ने कहा, "यूरोपीय संघ चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में अलग प्रस्ताव रखता है. वह मध्य एशियाई कंपनियों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है. इसका मतलब है ज्यादा निवेश, औद्योगीकरण और स्थानीय कारोबारों को बढ़ावा देना. मध्य एशियाई नेताओं के लिए यह बात अत्यंत सुखद है.”

अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है ईयू

यह क्षेत्र यूरोपीय संघ के 300 अरब यूरो यानी 324 अरब डॉलर के ग्लोबल गेटवे प्रोजेक्ट का एक बड़ा हिस्सा है, जिसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के प्रतिद्वंदी के रूप में पेश किया जाता है. यह ट्रांस-कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट रूट (टीआईटीआर) के विकास पर केंद्रित है. यह गलियारा यूरोपीय संघ और मध्य एशिया के बीच के संपर्क को बेहतर बनाएगा और यात्रा के समय को घटाकर 15 दिन कर देगा.

अनुमान के अनुसार, मध्य एशियाई सरकारों को आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 18.5 अरब यूरो की जरूरत है. पिछले साल जनवरी में, यूरोपीय संघ ने सदस्य देशों और निजी क्षेत्र के साथ-साथ यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक और यूरोपियन बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन ऐंड डेवलपमेंट से धन लेकर निवेशकों के एक मंच पर इसका आधा से अधिक हिस्सा जुटाया था.

यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन (ईसीएफआर) में यूरोप प्रोग्राम की निदेशक मरी डुमालौं ने ईमेल के माध्यम से डीडब्ल्यू को बताया कि यूरोपीय संघ की मध्य एशिया के प्रति रणनीति का एक मुख्य लक्ष्य इस क्षेत्र में और इसके माध्यम से संपर्क को बेहतर बनाना है. हालांकि, मध्य एशिया को रूस और चीन जैसे अन्य देशों से दूर लाने के लिए, यूरोपीय संघ को सक्रिय और प्रभावी दिखना होगा.

डुमालौं ने कहा, "मध्य एशियाई देशों को ग्लोबल गेटवे इनिशिएटिव का फायदा मिलना चाहिए, लेकिन ठोस परियोजनाएं धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हैं और ज्यादा नजर नहीं आ रही हैं. अगर यूरोपीय संघ इस क्षेत्र में मजबूत भूमिका निभाना चाहता है, तो इसमें जल्द सुधार करना होगा.”

स्वेज नहर और रूस का एक विकल्प है टीआईटीआर

ट्रांस-कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट रूट (टीआईटीआर) को चीन से यूरोप जाने का सबसे छोटा रास्ता माना जाता है. साथ ही, इसे स्वेज नहर और रूस का एक विकल्प भी बताया जाता है. यूरोपियन नेबरहुड काउंसिल के विशेषज्ञ वेस्टरबाय का मानना है कि इस रास्ते के निर्माण के साथ बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण से व्यापार में काफी वृद्धि होगी. उन्होंने कहा, "फिलहाल, मध्य एशियाई देशों से यूरोपीय संघ में लगभग 1,00,000 कंटेनर आते हैं, लेकिन एक बार गलियारा तैयार हो जाने और आधुनिकीकरण हो जाने के बाद, यूरोपीय संघ में 8,00,000 से अधिक कंटेनर आ सकते हैं.”

उन्होंने आगे कहा कि यूरोपीय संघ इस शिखर सम्मेलन में ‘कंपनियों के बीच ज्यादा समझौते करने' और ज्यादा महत्वपूर्ण खनिज हासिल करने पर ध्यान देगा. वह कहते हैं, "मुझे लगता है कि यूरोपीय संघ शायद अधिक बुनियादी ढांचे, अधिक पुल, अधिक बंदरगाह, और अधिक खनन देखना चाहेगा.”

क्या है बुनियादी ढांचे के विकास की असली वजह

हाल ही में तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात की यात्रा की दौरान यूरोपीय संघ की शीर्ष राजनयिक काया कलास ने इस मुद्दे को उठाया कि रूस प्रतिबंधों से बचने के लिए मध्य एशियाई देशों का इस्तेमाल कैसे कर रहा है. उन्होंने कहा, "रूसी कंपनियों को इन प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए मध्य एशिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.”

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्व सोवियत देशों में रूसी प्रभाव को कम करने के लिए यूरोपीय संघ को सख्ती और सहयोग, दोनों का इस्तेमाल करना होगा. साथ ही, विकास के लिए की जाने वाली साझेदारी से कई फायदे हो सकते हैं.

ब्रिटेन के थिंक टैंक द रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट (आरयूएसआई) के हालिया विश्लेषण के मुताबिक, "बुनियादी ढांचे के विकास में मदद करना यूरोपीय संघ की दीर्घकालिक व्यापारिक संबंध बनाने की प्रतिबद्धता दिखाने का एक तरीका हो सकता है. इससे अन्य क्षेत्रों, जैसे कि प्रतिबंध लागू करने में भी सहयोग बढ़ेगा.”