बीजिंग में गरमा-गरम बहस, कारोबार और भू-राजनीति पर खिंचाव
२६ जुलाई २०२५बीजिंग में इस सप्ताह यूरोपीय संघ (ईयू) और चीन के बीच हुए द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन की मुलाकात हुई. हालांकि यह बैठक व्यापार और जलवायु परिवर्तन पर कुछ मामूली सहमतियों के साथ खत्म हुई, लेकिन भू-राजनीतिक मुद्दों पर कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकी.
यूरोपीय नेताओं ने इस दौरान चीन से सस्ते सामानों के निर्यात के कारण यूरोपीय बाजारों में पैदा हुए असंतुलन और रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन की कथित भूमिका को लेकर चिंता जताई. चीन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए उल्टा ईयू से साझेदारी को और गहरा करने की अपील की.
फॉन डेय लाएन ने बैठक में शी से कहा, "जैसे-जैसे हमारी साझेदारी गहराई है, असंतुलन भी बढ़ा है.” उन्होंने चीन और ईयू के बीच व्यापार असंतुलन को "एक निर्णायक मोड़” करार देते हुए कहा कि अब चीन को "वास्तविक समाधान सामने लाने होंगे.”
इसके जवाब में शी जिनपिंग ने फॉन डेय लाएन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा से कहा, "हमारे बीच कोई मूलभूत हित टकराव या भू-राजनीतिक विरोधाभास नहीं हैं.” उन्होंने ईयू से आह्वान किया कि "विवादों और मतभेदों को सही ढंग से सुलझाया जाए.”
चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, शी ने यह भी कहा, "ऐसी अपेक्षा है कि यूरोपीय पक्ष व्यापार और निवेश के बाजार को खुला रखे और आर्थिक व व्यापारिक पाबंदियों के उपायों से परहेज करे.”
व्यापार और जलवायु पर मामूली सहमति
हालांकि व्यापार और यूक्रेन युद्ध पर मतभेद स्पष्ट रहे, लेकिन दोनों पक्ष जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर एकमत दिखे. एक संयुक्त बयान में दोनों ने पर्यावरण अनुकूल बदलावों (ग्रीन ट्रांजिशन) पर सहयोग को गहरा करने की प्रतिबद्धता जताई.
साथ ही, दोनों पक्षों ने दुर्लभ खनिजों को लेकर एक "अपग्रेडेड एक्सपोर्ट सप्लाई मैकेनिज्म” बनाने पर सहमति दी, जिससे निर्यात लाइसेंस प्रक्रिया को तेज किया जा सकेगा. इन खनिजों की वैश्विक आपूर्ति पर चीन का दबदबा है और उसने हाल ही में उनके निर्यात पर नियंत्रण बढ़ा दिया है.
फिर भी, जर्मनी के बर्लिन में स्थित एक प्रमुख शोध संस्थान मेरिक्स (MERICS) के फॉरेन रिलेशंस विभाग की प्रमुख एबिगेल वासेलियर ने एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि यह शिखर सम्मेलन ईयू-चीन तनाव की दिशा में कोई बड़ा बदलाव लाने वाला नहीं है. उन्होंने कहा, "यूरोप को लंबी अवधि की रणनीति के लिए तैयार रहना चाहिए और शायद अब उसे अपनी चीन नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है.”
शिखर सम्मेलन से पहले तनाव चरम पर
इस बैठक से पहले ईयू-चीन संबंध अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच चुके थे. इस महीने की शुरुआत में, यूरोपीय संघ ने रूस के खिलाफ एक नए प्रतिबंध पैकेज में पहली बार कुछ चीनी बैंकों और कंपनियों को भी शामिल किया था. इसके बाद बीजिंग ने चेतावनी दी थी कि वह इस कदम का "जरूरी जवाब” देगा, क्योंकि इससे "व्यापारिक, आर्थिक और वित्तीय संबंधों को गंभीर नुकसान” पहुंचा है.
फॉन डेय लाएन ने एक हालिया भाषण में चीन पर रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था को "वास्तविक रूप से सक्षम” बनाने का आरोप लगाया था. सम्मेलन के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने चीन से एक बार फिर अपील की कि वह अपने प्रभाव का उपयोग करे ताकि "रूस गंभीरता से बातचीत की मेज पर आए.”
ब्रसेल्स स्थित फ्री यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता जुजा आना फेरेन्सी ने कहा कि ईयू ने सम्मेलन के दौरान चीन को एक बार फिर "स्पष्ट और सुसंगत” संदेश दिया. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "यूरोप को अपने रुख पर कायम रहना चाहिए और जितना संभव हो उतना संगठित रहना चाहिए ताकि चीन हमारी एकता को कमजोर या विभाजित ना कर सके.”
शिखर सम्मेलन से पहले ब्रसेल्स में हलचल मच गई थी, जब खबर आई कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने ईयू के वरिष्ठ राजनयिक से स्पष्ट रूप से कह दिया कि "यूक्रेन में रूस की हार बीजिंग के हित में नहीं होगी.”
ताइवान स्थित चांग-हुआ इंस्टिट्यूट फॉर इकोनॉमिक रिसर्च के वांग गुओचेन के अनुसार, इन हालिया घटनाक्रमों ने तनाव और बढ़ा दिया है और यह सम्मेलन इस बात की पुष्टि करता है कि "ईयू-चीन संबंधों में सुधार की संभावना फिलहाल नहीं दिखती.”
चीन क्या चाहता था इस सम्मेलन से?
अपने भाषण में शी जिनपिंग ने कई बार "विन-विन सिचुएशन” (दोनों के लिए लाभदायक स्थिति) का जिक्र किया और ईयू से अपील की कि वे "समानता पर आधारित बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था” और "समावेशी आर्थिक वैश्वीकरण” को मिलकर आगे बढ़ाएं.
मेरिक्स के ब्रसेल्स कार्यालय के प्रमुख ग्रेत्सगोर्त्स स्टेक ने डीडब्ल्यू को बताया कि चीन का लक्ष्य ईयू की "डि-रिस्किंग” (जोखिम कम करने वाली रणनीति) और व्यापार सुरक्षा उपायों को कमजोर करना और यूरोपीय बाजार को अधिक समय तक खुला रखना है. इस समय चीन घरेलू मांग की कमी और 33 महीने से लगातार चली आ रही महंगाई के कारण अति-उत्पादन की स्थिति से जूझ रहा है. स्टेक के अनुसार, "चीन बहुत ज्यादा उत्पादन कर रहा है और उसे इन उत्पादों के लिए बाजार चाहिए. यही कारण है कि यूरोप तक पहुंच अभी भी उसके लिए बेहद जरूरी है.”
सम्मेलन में केवल दुर्लभ खनिजों से जुड़ी सहमति ही प्रमुख परिणाम रही, जिससे यह संकेत मिला कि चीन इन संसाधनों के निर्यात नियंत्रण का इस्तेमाल ईयू पर दबाव बनाने के लिए कर रहा है, खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों पर लगे 45 फीसदी तक के शुल्क को हटवाने के लिए.
नए नियमों के तहत, अब चीन से दुर्लभ खनिज और मैग्नेट का निर्यात करने वाले हर शिपमेंट के लिए लाइसेंस लेना जरूरी होगा और उपयोग की जानकारी देना अनिवार्य होगा. हालांकि सम्मेलन में "अपग्रेडेड सप्लाई मैकेनिज्म” पर सहमति बनी, लेकिन यूरोपीय कंपनियों की उम्मीदों के मुताबिक चीन के सख्त नियंत्रणों में ढील नहीं मिल सकी.
बीजिंग के लिए "सकारात्मक” नतीजे
हालांकि सम्मेलन में ठोस परिणाम नहीं निकले, फिर भी यह चीन के नजरिए से "सकारात्मक” माना जा सकता है, खासकर जब अमेरिका और ईयू के बीच संबंधों में तनाव बढ़ रहा है. सम्मेलन से एक दिन पहले ईयू राजनयिकों ने पत्रकारों को बताया कि ईयू और अमेरिका के बीच एक व्यापार समझौता होने की संभावना है, जिसमें वहां से अमेरिका भेजे जाने वाले सामानों पर 15 फीसदी शुल्क लगाया जाएगा, जो पहले प्रस्तावित 30 फीसदी की दर से कम होगा.
फिर भी, जर्मनी समेत ईयू के कई सदस्य देश 1 अगस्त तक समझौता नहीं होने की स्थिति में चीन पर "एंटी-कोएर्शन” (जबरदस्ती विरोधी) उपायों पर विचार कर रहे हैं. फेरेन्सी के अनुसार, "चीन खुद को एक सहयोगी, समाधान देने वाला और वैश्विक शांति का समर्थक दिखा सकता है. यही भाषा चीन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल करता है.”
उन्होंने कहा, "चीन यह संदेश देना चाहता है कि ईयू और चीन के बीच सकारात्मक सहयोग संभव है.”
हालांकि, सभी विशेषज्ञ इस नतीजे से सहमत नहीं हैं. चीन के अर्थव्यवस्था विशेषज्ञ वांग ने कहा, "मेरी नजर में, बीजिंग को इस बार नुकसान हुआ है.” उन्होंने कहा कि अमेरिका-ईयू संबंधों में तनाव के बावजूद "बीजिंग यूरोप को अपने पक्ष में लाने में सफल नहीं रहा.”