भारत की गणतंत्र दिवस परेड में मिस्र की सेना
भारत के 74वे गणतंत्र दिवस की परेड में एक टुकड़ी मिस्र की सेना की भी थी. मिस्र की सेना को मानव इतिहास की सबसे पुरानी सेना का उत्तराधिकारी माना जाता है.
पहली बार मिस्र बना मुख्य अतिथि
भारत के 74वे गणतंत्र दिवस पर पहली बार मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सीसी मुख्य अतिथि बने. दोनों देशों के बीच 75 साल पुराने संबंध हैं.
राष्ट्रपति थे सेना में जनरल
गणतंत्र दिवस की परेड में पहली बार मिस्र की सेना की एक टुकड़ी भी शामिल हुई. मिस्र की सेना को मानवता के इतिहास में सबसे पुरानी सेना की विरासत का उत्तराधिकारी माना जाता है. राष्ट्रपति सीसी खुद राजनीति में आने से पहले सेना में जनरल थे.
हजारों साल पुरानी विरासत
इस टुकड़ी में मिस्र की सेना की मुख्या शाखाओं के 144 सैनिक मौजूद थे. माना जाता है कि मिस्र की सेना का इतिहास 3200 ईसा पूर्व से शुरू होता है.
आधुनिक सेना का भी लंबा इतिहास
मिस्र की सेना की टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे कर्नल महमूद मोहम्मद अब्देल फतेह एल खरासावी. मिस्र की आधुनिक सेना का गठन आधुनिक मिस्र के संस्थापक मुहम्मद अली पाशा ने 1805 से 1849 के बीच किया.
लाखों सैनिक रहते हैं तैयार
एक रिपोर्ट के मुताबिक मिस्र की सेना में 3,10,000 सैनिक हैं. इनके अलावा अतिरिक्त 3,75,000 सैनिक भी जरूरत पड़ने पर तैनात किए जा सकते हैं.
कई युद्ध लड़ने वाली सेना
मिस्र का इतिहास युद्धों से भरा हुआ है. 19वी और 20वी शताब्दी में मिस्र की सेना ने कई युद्ध लड़े. मिस्र ने 20वी सदी में स्टेट ऑफ इस्राएल के खिलाफ पांच युद्ध लड़े. इसके अलावा मिस्र उत्तरी यमन गृह युद्ध, लीबिया के खिलाफ युद्ध और कुवैत को इराक से आजाद कराने के युद्ध में भी शामिल रहा.
भारत के साथ कदम से कदम
राजपथ को कर्त्तव्य पथ का नया नाम दिए जाने के बाद यह पहली गणतंत्र दिवस की परेड थी. भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों के साथ परेड में हिस्सा लेने वाली मिस्र की सेना की टुकड़ी परेड में आकर्षण के केंद्रों में से थी.