चाय बागानों और मजदूरों पर कठोर मौसम की मार
मौसम की चरम स्थितियों के कारण भारत के चाय बागानों में फसलें नष्ट हो रही हैं, जिससे असम और दार्जिलिंग जैसे ताजगी भरे पेय पदार्थों के लिए प्रसिद्ध उद्योग का भविष्य खतरे में पड़ रहा है.
चिलचिलाती धूप और मजदूरी को मजबूर
असम के चाय बागान में मजदूरी करने वाली कामिनी कुर्मी के सिर पर छतरी बंधी है, वह अपने दोनों हाथों को खाली रखना चाहती हैं ताकि उन्हें चाय की पत्तियां तोड़ने में कोई मुश्किल ना आए. कुर्मी कहती हैं, "जब बहुत गर्मी होती है, तो मेरा सिर चकराने लगता है और मेरा दिल बहुत तेजी से धड़कने लगता है."
मशीन नहीं, इंसानी हाथ
कामिनी कुर्मी उन सैकड़ों महिलाओं में से एक हैं जिन्हें उनकी निपुण उंगलियों के लिए नौकरी पर रखा गया है. अधिकांश पारंपरिक फसलों के लिए मशीन इस्तेमाल होता है जो कुछ ही दिनों में इसे काट लेती हैं. हालांकि मशीनें कामिनी जैसी कुशलता नहीं दिखा सकतीं.
चाय बागानों पर मौसम की मार
मौसम की चरम स्थितियों के कारण भारत के चाय बागानों में फसलें नष्ट हो रही हैं, जिससे असम और दार्जिलिंग की मशहूर चाय के उद्योग का भविष्य खतरे में पड़ रहा है, जबकि अनुमान है कि 10 अरब डॉलर प्रति वर्ष से अधिक के वैश्विक व्यापार पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है.
तापमान और बारिश के पैटर्न में बदलाव
असम में चाय अनुसंधान संघ की वैज्ञानिक रूपांजलि देब बरुआ कहती हैं, "तापमान और वर्षा के पैटर्न में बदलाव अब कभी-कभार होने वाली असामान्य बातें नहीं रह गई हैं. ये अब सामान्य बात हो गई है." भारतीय चाय उद्योग असम और दार्जिलिंग चाय जैसे पेय पदार्थों के लिए मशहूर है, जिनका नाम उन क्षेत्रों के नाम पर रखा गया है जहां इनकी खेती की जाती है.
कीटों में बढ़ोतरी
उच्च तापमान और कम बारिश ने भी कीटों के प्रकोप को बढ़ावा दिया है. चाय की पत्तियों का रंग उड़ना, धब्बे पड़ना और भूखे कीट नाज़ुक पत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे फसल की पैदावार और भी कम हो जाती है और उनकी लागत बढ़ जाती है.
क्वालिटी कंट्रोल पर जोर
ये महिला कर्मचारी सूखी चाय की पत्तियों को प्रोसेसिंग मशीन में डाल रही है, जिसके बाद उत्पाद की अंतिम गुणवत्ता जांच की जाती है और उसे पैक किया जाता है. पिछले साल सूखे के कारण फसल की पैदावार कम हो गई थी, क्योंकि किसानों ने अपनी चाय के पेड़ों की समय से पहले ही छंटाई कर दी थी और अपने खेतों में ज्यादा कीटनाशकों का इस्तेमाल किया था.
कम पैदावार, कम निर्यात
भारत की उच्च गुणवत्ता वाली चाय का निर्यात घट रहा है, जबकि आयात लगभग दोगुना हो गया है, साल 2024 में यह 4.53 करोड़ किलो के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया. कोलकाता की एक प्रमुख एक्सपोर्ट कंपनी के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, "भारत में भी सप्लाई कम होने से वैश्विक आपूर्ति कम हो सकती है और इसके नतीजे में वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है."