दिवाली में हर जगह नहीं होती देवी लक्ष्मी की पूजा
दिवाली को 'रोशनी का त्योहार' कहते हैं. लेकिन, भारत के कई हिस्सों में दिवाली मनाने के अलग तरीके हैं. सिर्फ पटाखे फोड़ने, मिठाइयों के लेन-देन और लक्ष्मी पूजा तक ही सीमित नहीं है दिवाली.
बंगाल
दिवाली का पर्व बंगाल में काली पूजन के रूप में मनाया जाता है. देवी काली को गुड़हल के फूलों से सजाया जाता है और मंदिरों और घरों में पूजा की जाती है. लोग मां काली को मिठाई, दाल, चावल और मछली भी चढ़ाते हैं. काली पूजा से एक रात पहले, बंगाली घर में 14 दीये जलाकर बुरी शक्ति को दूर करने के लिए भूत चतुर्दशी अनुष्ठान करते हैं.
गुजरात
दिवाली के साथ ही गुजरात के लोगों के लिए नया साल शुरू हो जाता है. गुजराती लोग दिवाली के अगले दिन गुजराती नव वर्ष- बेस्तु वरस मनाते हैं. उत्सव की शुरुआत वाग बरस के रूप में गाय की पूजा के साथ होती है, उसके बाद धनतेरस, काली चौदश, दिवाली, बेस्तु वरस और भाऊ बीज मनाया जाता है.
पंजाब
पंजाब में दिवाली के दिन सिख समुदाय 'बंदी छोड़ दिवस' मनाते हैं. इसे सिखों के छठे गुरु, गुरु गोबिंद की सन 1620 में मुगल जेल से 52 राजाओं के साथ ऐतिहासिक रिहाई को याद करते हुए मनाया जाता है. दिवाली की तरह ही घरों और गुरुद्वारों में दिये जलाकर, दावत, उपहार और पटाखों के साथ जश्न मनता है. पंजाबी हिंदू देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं.
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में दिवाली का त्योहार 4 दिनों तक चलता है. पहले दिन वसु बरस मनाया जाता है जिसमें गाय को पूजते हैं और चौथे दिन लक्ष्मी पूजन की परंपरा है और पति और पत्नी के रिश्ते का जश्न मनाते हुए ‘दिवाली चा पड़वा’ मनाते हैं. त्योहार ‘भाऊ बीज’ और ‘तुलसी विवाह’ के साथ खत्म होता है.
गोवा
गोवा में, दिवाली भगवान कृष्ण को समर्पित है. मान्यताओं के मुताबिक कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का नाश किया था. इसलिए, दिवाली से एक दिन पहले नरकासुर चतुर्दशी को राक्षस के विशाल पुतले जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है.
ओडिशा
ओडिशा में, दिवाली के मौके पर, लोग कौरिया काठी करते हैं. यह एक अनुष्ठान होता है जिसमें लोग अपने पूर्वजों का आशीर्वाद लेने के लिए जूट की छड़ें जलाते हैं. साथ ही देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और देवी काली की पूजा करते हैं.
वाराणसी
दिवाली के पंद्रह दिन बाद वाराणसी में देवताओं की दिवाली यानी देव दीपावली मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दौरान देवी-देवता गंगा में डुबकी लगाने के लिए धरती पर आते हैं. देव दीपावली कार्तिक मास की पूर्णिमा को पड़ती है. इस दिन यहां गंगा नदी के घाट रंगोली और दिये से सजाए जाते हैं.