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जर्मनी: रेलवे पर तीन हमले, धुर-वामपंथी समूह ने ली जिम्मेदारी

स्वाति मिश्रा डीपीए, एएफपी
३ अगस्त २०२५

जर्मनी में रेलवे नेटवर्क को दो दिनों में तीन बार आगजनी से निशाना बनाया गया. इससे सैकड़ों ट्रेनें प्रभावित हुईं. एक वारदात की जिम्मेदारी "एंग्री बर्ड्स कमांडो" ने ली है. क्या है यह समूह और इसने क्या कारण दिया है?

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Deutschland Düsseldorf 2025 | Polizeibeamte der Spurensicherung nach einem Brandanschlag auf einen Kabeltunnel
तस्वीर: Christoph Reichwein/dpa/picture alliance

जर्मनी की राष्ट्रीय रेलवे सेवा डॉयचे बान (डीबी) ने कहा है कि आग जानबूझकर लगाई गई थी. आग लगने की पहली घटना 31 जुलाई को ड्यूसलडॉर्फ शहर के पास हुई. यह जर्मनी के सबसे व्यस्त रेलवे मार्गों में से एक है. यह रूअर औद्योगिक इलाके को उत्तरी जर्मनी और स्विट्जरलैंड से जोड़ता है.

यह केबल हारनेस की तस्वीर है, जिसमें कई तांबे की तारें दिख रही हैं
डीबी के मुताबिक, दो हमलों में इस्तेमाल हुआ उपकरण एक ही डिजाइन का थातस्वीर: Christoph Reichwein/dpa/picture alliance

जहां यह घटना हुई, उससे करीब दो किलोमीटर दूर दूसरी घटना हुई. ये दोनों घटनाएं एक ही दिन हुईं. दोनों में रेल केबल को जलाया गया था. एक ही तरह के उपकरणों का इस्तेमाल किया गया. रेल केबल, खास तरह की इलेक्ट्रिक तारें होती हैं जिन्हें रेलवे सिस्टम में इस्तेमाल किया जाता है. ये पावर और सिग्नल भेजने की अहम जिम्मेदारी निभाती हैं.

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डीबी ने बताया कि इन वारदातों के कारण सैकड़ों ट्रेनें प्रभावित हुईं. उन्हें या तो रद्द करना पड़ा, या उनका रास्ता बदलना पड़ा. हजारों यात्री प्रभावित हुए. हर दिन तकरीबन 700-800 रेलवे कनेक्शनों के साथ, ड्यूसलडोर्फ-डुइसबुर्ग लाइन जर्मनी के सबसे व्यस्त रेलमार्गों में से एक है. यहां होने वाले व्यवधानों का असर बर्लिन, फ्रैंकफर्ट और यहां तक कि पड़ोसी देश नीदरलैंड्स पर भी होता है.

जर्मनी में रेलवे पटरी के किनारे केबलों को हुए नुकसान का मुआयना करते दो पुलिसकर्मी
सुरक्षा एजेंसियों ने रेलवे नेटवर्क पर हुए हमलों की जांच शुरू कर दी हैतस्वीर: Christoph Reichwein/dpa/picture alliance

तीसरा हमला हुआ मालगाड़ियों के रास्ते पर

तीसरी घटना 1 अगस्त को हुई, हालांकि इसका पता अगले दिन चला. यह वारदात सैक्सनी-अनहाल्ट राज्य के होएनमोएल्जन में हुई. डीबी ने बताया कि यह लाइन मालगाड़ियों के लिए है और खासतौर पर कोयला ढुलाई के लिए इस्तेमाल की जाती है. इसके कारण पैसेंजर ट्रेनों पर असर नहीं पड़ा.

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डीबी ने अपने बयान में कहा, "शुरुआती जांच के अनुसार, केबल में आग लगने की यह घटना भी आपराधिक थी." राज्य की सुरक्षा एजेंसियां और 'फेडरल ऑफिस फॉर दी प्रोटेक्शन ऑफ दी कॉन्स्टिट्यूशन' (बीएफवी) ने इन वारदातों की जांच शुरू कर दी है.

बीएफवी, जर्मनी की घरेलू खुफिया एजेंसी है. कट्टरपंथी गतिविधियों की निगरानी करना और आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डालने वाली ताकतों पर नजर रखना भी इसकी जिम्मेदारियों में शामिल है. 

जर्मनी के डुइसबुर्ग शहर में मुख्य रेलवे स्टेशन पर लगे डिस्प्ले बोर्ड को देखते यात्री
डीबी ने बताया कि इन वारदातों के कारण सैकड़ों ट्रेनें प्रभावित हुईं. उन्हें या तो रद्द करना पड़ा, या उनका रास्ता बदलना पड़ातस्वीर: Christoph Reichwein/dpa/picture alliance

इन घटनाओं के पीछे किसका हाथ?

पहली वारदात की जिम्मेदारी कथित तौर पर एक धुर-वामपंथी समूह ने ली है, जो अपना नाम "एंग्री बर्ड्स कमांडो" बताता है. समूह का दावा है कि उसने पर्यावरण की "तबाही की व्यवस्था" को रोकने के लिए यह कदम उठाया.

नॉर्थ राइन वेस्टफालिया राज्य (जहां शुरुआती दो घटनाएं हुईं) के गृह मंत्री हेरबर्ट रॉइल के हवाले से बताया कि इन हमलों के पीछे वामपंथी चरमपंथियों का हाथ होने की आशंका है.

उन्होंने कहा, "जानबूझकर नुकसान पहुंचाने की इस गतिविधि को जिस तरह से हमारा प्रशासन देख और समझ रहा है, उसके अनुसार ये वामपंथी चरमपंथी थे जो हमें औद्योगिकरण से पहले के दौर में ले जाना चाहते हैं."

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रॉइल ने यह भी कहा कि "एंग्री बर्ड्स कमांडो" के बारे में प्रशासन को पहले से जानकारी है और हालिया सालों में इस समूह ने कई बार ड्यूसलडॉर्फ इलाके में आयोजनों को नुकसान पहुंचाया है.

जर्मन अखबार 'टागेसश्पीगल' ने नॉर्थ राइन वेस्टफालिया के परिवहन मंत्री ओलिवर क्रिशर के हवाले से बताया है कि इन घटनाओं से बड़ा नुकसान हुआ है. कार्रवाई के संदर्भ में क्रिशर ने कहा, "यह कोई बेवकूफाना मजाक नहीं है, यह कोई मामूली अपराध नहीं है. हम बहुत करीब से इसकी जांच कर रहे हैं और सारे सुराग देख रहे हैं." घटनास्थल का मुआयना करने के बाद क्रिशर ने कहा कि घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को तलाशने के लिए एजेंसियां हरसंभव प्रयास करेंगी.

जर्मनी में ड्यूसलडॉर्फ शहर के मुख्य रेलवे स्टेशन की एक तस्वीर, जिसमें यात्री नजर आ रहे हैं
"एंग्री बर्ड्स कमांडो" समूह का दावा है कि उसने "पर्यावरण की तबाही " को रोकने के लिए यह कदम उठायातस्वीर: Arnulf Hettrich/imageBROKER/picture alliance

हालांकि, जर्मनी के पब्लिक ब्रॉडकास्टर 'डब्ल्यूडीआर' ने पुलिस के हवाले से बताया कि अभी इस दावे की सत्यता की पुष्टि नहीं हो सकी है. पुलिस ने इसकी वजह यह बताई कि इस तरह के मामलों में अक्सर 'कॉपीकैट्स' शामिल होते हैं. यानी, किसी संगठन के तौर-तरीके की नकल करके खुद को उसके रूप में पेश करने वाले.

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क्या है 'कमांडो एंग्री बर्ड्स' और क्या मकसद बताता है?

कथित 'कमांडो एंग्री बर्ड्स' खुद को एक पूंजीवादी विरोधी समूह बताता है. उसके मुताबिक, वह प्रकृति की रक्षा के लिए तकनीकी-औद्योगिक व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त करना चाहता है. यह समूह पहले भी कई मौकों पर हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है, जिनमें मालगाड़ियों के रास्ते को निशाना बनाना शामिल है. 

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'इंडिपेंडेंट मीडिया सेंटर' या, संक्षेप में 'इंडीमीडिया' ऐक्टिविस्ट पत्रकारों का एक नेटवर्क है. 31 जुलाई को इसपर छपे एक बयान में खुद को 'कमांडो एंग्री बर्ड्स' बताने वाले एक समूह ने एक पत्र जारी किया है. इसे 'लेटर ऑफ कन्फेशन' (स्वीकारोक्ति) कहा गया है.

जर्मनी में एक रेलवे स्टेशन के पास पटरियों पर खड़ी ट्रेनें. सांकेतिक तस्वीर.
इन वारदातों के कारण ड्यूसलडॉर्फ अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे तक जाने वाली रेल सेवाएं भी प्रभावित हुईं. यह जर्मनी का चौथा सबसे व्यस्त हवाईअड्डा हैतस्वीर: Thomas Lohnes/Getty Images

इसमें लिखा है, "राइन-अल्पाइन कॉरिडोर यूरोप के कुछ सबसे अहम आर्थिक केंद्रों को जोड़ता है: रॉटरडैम, एम्सटर्डम, डुइसबुर्ग, कोलोन, फ्रैंकफर्ट, माइनहाइम, बासेल, ज्यूरिख, मिलान और जेनोआ. डुइसबुर्ग-ड्यूसलडॉर्फ कोलोन क्षेत्र इसके कई संकरे सेक्शनों में से एक है. यहां रेलवे यातायात में किसी भी तरह के व्यवधान के कारण, प्रभावित ट्रेनों का मार्ग बदले जाने के कारण, इस समूचे आर्थिक इलाके पर प्रत्यक्ष-परोक्ष असर पड़ेगा. अभी-अभी हमने ड्यूसलडॉर्फ हवाईअड्डे के उत्तर में बड़ी रुकावट पैदा की."

पत्र में आगे लिखा है, "कौन यह दावा करने की हिम्मत कर सकता है कि प्रकृति अपने भीतर वो हर चीज नहीं रखती, तो अच्छी जिंदगी के लिए जरूरी हैं. अगर उद्योग को हटा दिया जाए, तो दुनिया कमतर नहीं, बल्कि कुछ ज्यादा ही होगी. फिर, प्रकृति क्या है? उद्योग के बिना ये क्या होगी? इसके बिना कुछ नहीं हो सकता है, लेकिन इंडस्ट्रियल सिस्टम के बिना जो बेहतर हो सकता है उसकी कोई सीमा नहीं."

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रिपोर्टों के अनुसार, यह संगठन "पार्टिसिपेट्री ऐक्टिविज्म" की शैली पर चलता है. यानी, किसी विचारधारा या कथित आदर्श में यकीन रखने वाले लोगों की हिस्सेदारी. 'डब्ल्यूडीआर' ने नॉर्थ राइन वेस्टफालिया के गृह मंत्री हेरबर्ट रॉइल के हवाले से बताया कि इस "भागीदारी संस्कृति" के कारण जांच काफी मुश्किल है.

वजह यह कि यह कोई नियत या स्थिर समूह नहीं है. रॉइल ने कहा, "उनमें से कुछ सबोटाज (जान-बूझकर नुकसान पहुंचाना) संबंधी गतिविधियों के लिए ऑनलाइन निर्देश देते हैं. फिर बाकी लोग इनपर अमल करते हैं. जरूरी नहीं कि सदस्य एक-दूसरे को जानते ही हों."