संकट से गुजर रहा भारत का हीरा उद्योग
गुजरात का सूरत दुनिया का सबसे बड़ा हीरा कटिंग और पॉलिशिंग केंद्र है. इसे दुनियाभर में डायमंड सिटी के नाम से जाना जाता है लेकिन यहां का उद्योग कई समस्याओं का सामना कर रहा है.
चाय के साथ लाखों के सौदे
सूरत की तंग गलियों में हीरा कारोबारी अपने ग्राहकों के साथ लाखों रुपये के सौदे चाय की चुस्की के साथ करते हैं. पूरा कारोबार भरोसे पर टिका है. यहां की गलियों में कारोबारी कीमती हीरों को रंगीन कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों में लपेटकर अपनी शर्ट की जेब में रखते हैं.
अनुभवी कारोबारी
इन गलियों में हीरा बेचने वाले और खरीदने वाले दोनों ही अनुभवी होते हैं, जो छोटे-बड़े हीरे का भी तुरंत मूल्यांकन कर सकते हैं. यहां लाखों रुपये के सौदे गली के ठेले वालों से मंगवाए गए चाय के प्यालों के बीच तय हो जाते हैं. यहां कोई भी पूरी तरह से अजनबी नहीं है और समय के साथ प्रतिष्ठा बनती या बिगड़ती है.
भरोसे का कारोबार
इन व्यापारियों के बीच सम्मान का एक अलिखित करार है और लेन-देन को नोट करने वाला एक कागज का टुकड़ा क्रेडिट के लिए काफी है. सबसे भरोसेमंद ग्राहक के पास उधार लेने की सुविधा होती है.
सूरत के हीरा उद्योग के सामने कई समस्याएं
सूरत के हीरा उद्योग को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इन दिनों लैब में बन रहे सस्ते हीरों की लोकप्रियता बढ़ रही है. यूरोपीय संघ और जी-7 देशों द्वारा रूस से आने वाले हीरों पर प्रतिबंध ने उद्योग को प्रभावित किया है.
दुनिया भर में सूरत का हीरा
वित्त वर्ष 2025 में हीरे के निर्यात के लिहाज से अमेरिका 32.35 फीसदी हिस्सेदारी के साथ भारत का सबसे बड़ा बाजार रहा. उसके बाद 26.22 फीसदी हिस्सेदारी के साथ संयुक्त अरब अमीरात और 16.41 फीसदी हिस्सेदारी के साथ हॉन्ग कॉन्ग का स्थान है.
अमेरिकी शुल्क से चिंता में उद्योग
सूरत की करीब 5,000 हीरा इकाइयां अमेरिका जैसे बड़े निर्यात बाजारों पर अत्यधिक निर्भर हैं. मगर अमेरिका की शुल्क नीतियों ने हीरा तराशने वाली इन इकाइयों की चिंता बढ़ा दी है.
क्या राहत देंगे ट्रंप
हाल ही में सबसे बड़ा खतरा अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा हीरों समेत कई उत्पादों के आयात पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाने से पैदा हुआ है. अमेरिका में भारतीय निर्यात पर 27 प्रतिशत टैरिफ लगाने की योजना को 90 दिनों के लिए टाल दिया गया है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन व्यापार सौदों पर बातचीत कर रहा है. लेकिन मुनाफे में 10 प्रतिशत की कटौती भी नुकसानदेह है.
सिकुड़ रहा बाजार
ज्वेलर्स एसोसिएशन अहमदाबाद के सचिव जिगर पटेल ने कहा, "अगर प्रस्तावित टैरिफ लागू किए जाते हैं, तो हम अपने निर्यात राजस्व का लगभग आधा हिस्सा खो सकते हैं."