डाटा प्रोटेक्शन बिल से भारत में क्या बदलाव आएगा
केंद्र सरकार मानसून सत्र में डिजिटल व्यक्तिगत सूचना संरक्षण (डीपीडीपी) विधेयक, 2022 को संसद में पेश करने जा रही है. आखिर डाटा सुरक्षा को लेकर को लेकर लोगों के मन में क्यां चिंताएं हैं.
भारत में नहीं है कानून
भारत में डाटा सुरक्षा को लेकर अभी कोई कानून नहीं है. दुनिया के कई देशों में डाटा प्राइवेसी से जुड़े कानून मौजूद हैं. कठोर कानून की गैरमौजूदगी में कंपनियों पर डाटा का फायदा उठाने के आरोप लगते रहे हैं.
क्यों है कानून की जरूरत
भारत में कई बार ग्राहकों के वित्तीय जानकारी जैसे कि बैंक, क्रेडिट कार्ड और लोन आदि की जानकारी लीक होने की रिपोर्टें आती रहती हैं. ऐसे में इस तरह के कानून से डाटा लीक होने को रोका जा सकता है.
डिजिटल लेनदेन में भारत है अव्वल
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक भारत में साल 2022 में 8.95 करोड़ डिजिटल लेनदेन हुए. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 में दुनिया में कुल हो रहे डिजिटल लेनदेन में 46 फीसदी रियल पेमेंट्स का हिस्सा सिर्फ भारत से आ रहा है. आंकड़ों के मुताबिक भारत ब्राजील, चीन, थाईलैंड और दक्षिण कोरिया जैसे देशों से कहीं आगे है.
सख्त कानून की मांग
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियम के मुताबिक वित्तीय डाटा को भारत में सुरक्षित रखना जरूरी है. अभी सरकारी डाटा को लेकर सिर्फ पब्लिक रिकॉर्ड्स एक्ट, 1993 का ही कानून है जिसे न मानने पर पांच साल की सजा और आर्थिक जुर्माने का प्रावधान है.
पिछले मसौदे की हो चुकी है आलोचना
मसौदे के नए संस्करण में ऑफलाइन डाटा का भी जिक्र है क्योंकि उसे न शामिल किए जाने को लेकर पिछले ड्राफ्ट की तीखी आलोचना हुई थी. नए विधेयक में कहा गया है कि सहमति के बाद ही किसी व्यक्ति का डाटा लिया जा सकेगा. डाटा देने वाले व्यक्ति के पास अपना डाटा साझा करने या हटाने का अधिकार होगा.
कंपनियों की जवाबदेही तय होगी
अब नए मसौदे के मुताबिक डाटा कलेक्ट करने वाली कंपनियों की जिम्मेदारी होगी कि वह डाटा को सुरक्षित रखे. अगर कंपनी ऐसा करने में नाकाम रहती है तो उस पर कार्रवाई हो सकती है.
बच्चों का डाटा सुरक्षित हो पाएगा?
कई कंपनियां बच्चा का डाटा भी जुटाती हैं. जैसे गेमिंग और सोशल मीडिया कंपनियां. अगर वे बच्चों का डाटा जुटाना चाहेंगी तो उन्हें माता-पिता की सहमति लेनी होगी.
लेकिन कुछ सवाल भी हैं
इस विधेयक को लेकर कुछ संशय भी हैं. अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि सेक्शन 18 (2) एजेंसियों को व्यापक छूट देता है. आलोचक कहते हैं कि ड्राफ्ट बिना किसी जायज वजह के सर्विलांस को गलत नहीं मानता, जबकि पुराने ड्राफ्ट में ऐसा नहीं था.
क्या कमजोर हो जाएगा आरटीआई कानून
सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता इसके सेक्शन 30 (2) का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे आरटीआई कानून कमजोर हो सकता है. आरटीआई कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह आरटीआई को सूचना से वंचित करने का अधिकार बना देगा.
यूरोपीय संघ में है सख्त कानून
यूरोपीय संघ में डाटा सुरक्षा को लेकर सख्त कानून है. ईयू में जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (जीडीपीआर) लागू है. जीडीपीआर ने डाटा कलेक्शन, स्टोरेज, उसके इस्तेमाल के लिए दिशानिर्देश तय किए हैं. जीडीपीआर के तहत हर व्यक्ति को अपने डाटा पर कंट्रोल का अधिकार है.