जंगलों की कटाई और शहरों और व्यवसायों के विस्तार के कारण तमिलनाडु के हरे-भरे इलाके लगातार कम होते जा रहे हैं. प्रकृति के प्रति उदासीनता कुदरती आपदाओं की तीव्रता बढ़ाने के साथ-साथ मानव निर्मित संकटों को भी जन्म दे रही है, जैसे कि असहनीय गर्मी और भीषण जल संकट. अब राजधानी चेन्नई में हरियाली बढ़ाने की कोशिश हो रही है. स्थानीय लोग पेड़-पौधों को अपने रहन-सहन का हिस्सा बनाने के अनूठे तरीके खोज रहे हैं.