पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार बढ़ा, भारत की रैंकिंग गिरी
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की 2024 की भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (करप्शन परसेप्शन इंडेक्स) रिपोर्ट में पाया गया है कि 180 में से 47 देशों ने 2012 के बाद से अपनी सबसे खराब रैंकिंग दर्ज की है.
सबसे अच्छी रैंकिंग
डेनमार्क को सबसे कम भ्रष्ट देश माना गया है. उसके बाद फिनलैंड, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, लग्जमबर्ग, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, नीदरलैंड्स और ऑस्ट्रेलिया का नंबर है.
सबसे भ्रष्ट देश
दक्षिण सूडान 8 अंकों के साथ सबसे निचले स्थान पर आ गया है. उसने सोमालिया (9) को पीछे छोड़ दिया. वेनेजुएला (10) और सीरिया (12) भी सबसे भ्रष्ट देशों में शामिल रहे.
भारत की रैंकिंग
रिपोर्ट में भारत की स्थिति और अंकों में बदलाव देखा गया है. 2023 में उसकी रैंकिंग 93 थी जो अब गिरकर 96 पर चली गई है. उसके स्कोर में एक अंक में गिरावट हुई है और उसे 39 अंक मिले हैं.
पश्चिमी देशों की गिरावट
अमेरिका 69 से 65 अंकों पर आ गया और 24वें से गिरकर 28वें स्थान पर पहुंच गया, जिसमें न्यायपालिका को लेकर आलोचना की गई. फ्रांस 67 अंकों पर आ गया और जर्मनी 75 अंकों पर आकर 15वें स्थान पर खिसक गया.
सबसे बड़ी गिरावट वाले देश
जर्मनी के रैंक में बड़ी गिरावट देखी गई है. 2023 में उसका रैंक 9 था जो अब 23 पर खिसक गया है. रूस 4 अंक गिरकर 22वें नंबर पर आ गया, जिससे उसकी निरंकुश नीतियों और यूक्रेन युद्ध का प्रभाव दिखाया. मेक्सिको 5 अंक गिरकर 26 पर आ गया क्योंकि वहां की न्यायपालिका भ्रष्टाचार के मामलों पर कार्रवाई नहीं कर सकी.
न्यायपालिका और राजनीतिक प्रभाव
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने चेतावनी दी कि भ्रष्टाचार जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों को कमजोर कर सकता है और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए प्रभावी प्रवर्तन तंत्र की कमी बनी हुई है.