खतरे में है वनीला का भविष्य
६ जुलाई २०२५जलवायु परिवर्तनवनीला के पौधों के आवास की परिस्थितियों को बदल रहा है. इसकी वजह से दुनिया भर में पैदा होने वाले वनीला की उपज पर दीर्घकालीन असर पड़ सकता है. बेल्जियम की लॉयवेन यूनिवर्सिटी और कोस्टारिका यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों की एक टीम ने वनीला के पौधों पर रिसर्च किया है. इस रिसर्च का नतीजा फ्रंटियर्स इन प्लांट साइंस जर्नल में शुक्रवार को छपा.
रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि चरम जलवायु जंगली वनीला की प्रजातियों के आवास को प्रभावित कर रही है. पहले ये पौधे और इनका परागण कराने वाले मुख्य रूप से मध्य अमेरिका के उष्णकटिबंधीय इलाकों में पाए जाते थे. मैडागास्कर दुनिया में वनीला का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. इसके बाद इंडोनेशिया की बारी आती है. इसके अलावा चीन, मेक्सिको, पापुआ न्यू गिनी भी वनीला के बड़े उत्पादक देशों में गिने जाते हैं. मैडागास्कर बीते सालों में कई बार पर्यावरण की वजह से सुर्खियों मेंरहा है.
आइसक्रीम की जान वनीला
वनीला एक मसाला है जो वनीला ऑर्किड की फलियों से निकाला जाता है. कई तरह के भोजन और मीठे पकवानों में इस्तेमाल होने वाले वनीला को उसकी मिठास और खुशबूदार स्वाद की वजह से खूब पसंद किया जाता है. आइसक्रीम और बेकिंग के साथ ही और कई ऐसी मीठी चीजें हैं जिनके स्वाद वनीला से कई गुना बढ़ जाता है. वनीला एक्सट्रैक्ट, वनीला पाउडर, वनीला पैस्ट, वनीला शुगर जैसे कई रूपों में इसका इस्तेमाल होता है.
आइसक्रीम की दुनिया में तो वनीला बीते कई सालों से दुनिया का सबसे पसंदीदा फ्लेवर है. कई आइसक्रीम ब्रांड की कुल बिक्री का लगभग आधा हिस्सा तो सिर्फ वनीला फ्लेवर से ही आता है. कई नमकीन पकवानों में भी इसे डाल कर स्वाद के नए आयाम पैदा किए जाते हैं.
परागण कराने वाले जीवों पर खतरा
वनीला का परागरण कराने वालों में ज्यादातर जीव हैं. ऐसे में कुछ इलाके इस पौधे के लिए ज्यादा आकर्षक हो सकते हैं. हालांकि वही इलाके अब उन जीवों के लिए अनुकूल नहीं हैं जो वनीला का परागण कराते हैं. इन बदलावों का यह नतीजा हो सकता है कि पौधे और उनका परागण करने वाले जीवों का आवास भविष्य में एक ना रहे. जाहिर है कि ऐसे में उनके परागण में कमी आएगी.
टीम का कहना है कि इन जंगली प्रजातियों की राष्ट्रीय आबादी और जिस विशाल जेनेटिक डाइवर्सिटी का वे प्रतिनधित्व करते हैं, वह वनीला के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए बेहद जरूरी है.
जलवायु सुरक्षा नहीं तो भारी नुकसान होगा
मॉडलों का इस्तेमाल कर रिसर्चरों ने 2050 तक की दो जलवायु परिस्थितियों में 11 वनीला की प्रजातियों और कीड़ों की सात प्रजातियों के फैलाव के इलाकों का विश्लेषण किया है. इनमें एक परिस्थिति मध्यम दर्जे की है जिसमें थोड़ी जलवायु सुरक्षा है जबकि दूसरी में ज्यादा संघर्ष और कम जलवायु सुरक्षा है.
इन मॉडलों के आधार पर कीटों की सारी प्रजातियों के लिए उचित आवास में कमी की भविष्यवाणी की गई है खासतौर से कम जलवायु सुरक्षा वाले वातावरण में.
कारोबारी रूप से उगाए जाने वाले वनीला में जेनेटिक डायवर्सिटी कम होती है. ऐसे में इसके बीमारियों का शिकार बनने के साथ ही इनके खासतौर से सूखा और गर्मी के शिकार बनने का भी खतरा है. वास्तव में ये पौधे पहले से ही ग्लोबल वार्मिंग के शिकार हो रहे हैं.
रिसर्चरों ने इस बार में अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की मांग की है. उनका कहना है कि और रिसर्च के जरिए वनीला की खेती के लचीलेपन की सुरक्षा पर काम किया जाना चाहिए. इसके जरिए उष्णकटिबंधीय इलाकों के बहुत सारे छोटे किसानों की आजीविका को बचाया जा सकेगा.