जर्मनी में 23 फरवरी को संसदीय चुनाव होने हैं जिसमें माइग्रेशन और अर्थव्यवस्था से जुड़े मामलों को ज्यादा प्राथमिकता मिल रही है. वहीं जलवायु परिवर्तन पर कोई खास बातचीत नजर नहीं आ रही. ऐसा लग रहा है कि लगभग हर पार्टी के राजनेताओं को डर है कि शायद इस मुद्दे से उन्हें वोट हासिल ना हों.