लोगों को भीषण गर्मी से बचाने के लिए ‘हीट ऑफिसर’ की नियुक्ति
२७ जून २०२५एथेंस से लेकर ढाका, दिल्ली, फ्रीटाउन और सैंटियागो तक हर जगह के लोग गर्मी से परेशान हैं. गर्म हवाओं या लू चलने से उनका जीना मुहाल होता जा रहा है. ऐसे में अपने आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए ये शहर नए-नए उपायों पर काम कर रहे हैं. इसी कड़ी में चीफ हीट ऑफिसर की नियुक्ति की जा रही है, ताकि अग्निशमन विभाग के प्रमुख की तरह ही आपात स्थितियों में ये अधिकारी काम कर सकें. तेज गर्मी और लू जैसी परिस्थितियों से लोगों को बचाने के लिए तुरंत कार्रवाई कर सकें.
हीट ऑफिसर स्थानीय परिस्थितियों का विश्लेषण करने, योजनाएं बनाने और सुरक्षात्मक उपायों को लागू करने में अधिकारियों और आधिकारिक संस्थाओं की मदद करते हैं. मसलन गर्मी से बचाने वाले फुटपाथ या छतें बनाने जैसे काम.
शहरों को ठंडा रखने की रणनीति के तहत, सिएरा लियोन के फ्रीटाउन शहर में हीट ऑफिसर एक अहम तरीका अपना रहे हैं. वे शहरी क्षेत्रों में दोबारा पेड़ लगाने पर जोर दे रहे हैं. यहां एक स्मार्टफोन ऐप के जरिए स्थानीय लोग पेड़ों और हरित क्षेत्रों की देखभाल करते हैं और बदले में उन्हें पैसे दिए जाते हैं.
स्थिति गंभीर होने से पहले रोकथाम की पहल
चीफ हीट ऑफिसर का आइडिया सबसे पहले 2021 में अमेरिकी थिंक टैंक ‘अटलांटिक काउंसिल' ने दिया था. इसने माना कि 2050 तक लगभग 3.5 अरब लोग अत्यधिक गर्मी से प्रभावित हो सकते हैं, जिनमें से आधे लोग शहरी क्षेत्रों में रहने वाले होंगे.
इसी चुनौती को देखते हुए, काउंसिल ने यह विचार रखा कि शहरों को जलवायु के अनुकूल बनाने के लिए एक स्थायी हीट ऑफिसर को नियुक्त किया जाना चाहिए, जो गर्मी से बचाव की योजनाओं पर लगातार काम करे और शहर को मौसमी खतरों से निपटने के लिए तैयार रखे.
अटलांटिक काउंसिल के क्लाइमेट रेजिलिएशन सेंटर में ग्लोबल चीफ हीट ऑफिसर एलेनी मायरिविली ने कहा कि शहरों को अत्यधिक गर्मी से निपटने के लिए लगातार तैयार रहने की जरूरत है. सिर्फ संकट के समय काम करने से बात नहीं बनेगी.
मायरिविली 2021 से 2023 तक एथेंस में चीफ हीट ऑफिसर थीं. उन्होंने बताया, "आम तौर पर ऐसे मुद्दों को तभी गंभीरता से लिया जाता है जब कोई बड़ी घटना हो जाए. जैसे, काफी ज्यादा गर्मी पड़ना, आग लगना या सूखा पड़ना. उस समय इसे एक आपदा की तरह संभाला जाता है, लेकिन जैसे ही स्थिति सामान्य होती है, लोग फिर कुछ नहीं करते.”
उन्होंने कहा यह जरूरी है कि "विभिन्न विभागों की मदद की जाए, ताकि वे लंबे समय के लिए ऐसी योजनाएं बना सकें जो शहरों को ठंडा रखने में मदद करें.”
सड़कों, चौराहों, फुटपाथों और इमारतों के निर्माण के समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें ऐसा बनाया जाए जो गर्मी के असर को कम कर सके. हालांकि, यही सबसे कठिन काम होता है, क्योंकि इसके लिए बहुत सोच-समझ और विभागों के तालमेल की जरूरत होती है.
मायरिविली ने स्वीकार किया, "मैं यह नहीं कह सकती कि मैं इसमें पूरी तरह सफल रही.” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि ‘मैं एथेंस में लोगों की सोच बदलने में काफी सफल रही हूं.' उन्होंने बताया कि अब लोग समझने लगे हैं कि अत्यधिक गर्मी, सिर्फ मौसम की समस्या नहीं, बल्कि उनके स्वास्थ्य, शहर की अर्थव्यवस्था और पूरे समाज के लिए एक बड़ा खतरा है. मुझे लगता है कि अब सोच में बदलाव आ गया है.
अमेरिका और केन्या से लेकर लंदन, जिनेवा और पेरिस जैसे यूरोपीय शहरों तक, अब दुनिया के कई हिस्सों में हीट ऑफिसर नियुक्त किए जा चुके हैं या फिर इसी तरह की योजनाएं शुरुआती चरण में हैं.
मायरिविली ने कहा कि अब देश ज्यादा सतर्क और सक्रिय हो रहे हैं. भारत ने एक कानून पास किया है, जिसके तहत हर राज्य को एक हीट ऑफिसर नियुक्त करना अनिवार्य होगा. उन्होंने कहा कि यह कदम बहुत जरूरी है, क्योंकि पूरी दुनिया में हीटवेव यानी गर्म हवाओं या लू की अवधि लगातार बढ़ती जा रही है.
अत्यधिक गर्मी से हर साल पांच लाख से ज्यादा लोगों की मौत
वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन, क्लाइमेट सेंट्रल और रेड क्रॉस के विश्लेषण के अनुसार, मई 2024 और मई 2025 के बीच, लगभग 4 अरब लोगों यानी दुनिया की आधी आबादी ने कम से कम 30 अतिरिक्त दिनों तक अत्यधिक गर्मी का सामना किया.
अगर इंसान की वजह से जलवायु परिवर्तन नहीं होता, तो दुनिया में इतने ज्यादा लू चलने वाले दिन नहीं होते. एक अध्ययन में पता चला कि 195 देशों और क्षेत्रों में अत्यधिक गर्मी वाले दिनों की संख्या कम से कम दोगुनी हो चुकी है. यह आंकड़ा 247 देशों और क्षेत्रों के सर्वेक्षण पर आधारित है.
इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि दुनिया भर में हर साल लगभग पांच लाख मौतें अत्यधिक गर्मी से जुड़ी हैं.
हीटवेव से सबसे ज्यादा लोग एशिया में प्रभावित हो रहे हैं. इसके बाद यूरोप है, जहां खासकर दक्षिण-पूर्वी हिस्से में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ रही है. इसी के साथ, कई देशों में बुजुर्गों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है और उन्हें गर्मी से सबसे ज्यादा खतरा होता है.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन की महासचिव सेलेस्टे साउलो ने अप्रैल में यूरोप में जलवायु की स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी करते हुए बताया, "तापमान में एक डिग्री की बढ़ोतरी भी मायने रखती है, क्योंकि यह हमारे जीवन, अर्थव्यवस्था और धरती के लिए खतरे को बढ़ाती है.”
गर्मी से बचाव के लिए शहरों की योजना
अत्यधिक गर्मी को देखते हुए, अमेरिका के एरिजोना राज्य के फीनिक्स शहर ने अब 6 लोगों की खास टीम बनाई है, जिसका काम सिर्फ और सिर्फ गर्मी से निपटने की तैयारी पर ध्यान देना है. लगातार दूसरे साल, गर्मियों के दौरान वहां 24 घंटे खुले रहने वाले इमरजेंसी हीट शेल्टर, कई कूलिंग सेंटर और पेयजल स्टेशनों की व्यवस्था की गई है.
स्पेन के बार्सिलोना शहर में भी गर्म हवाओं से निपटने के लिए सार्वजनिक इमारतों, जैसे कि म्यूजियम और लाइब्रेरी को ठंडी और आराम करने की जगहों के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.
जर्मनी में कोलोन और फ्राईबुर्ग जैसे शहरों ने गर्मी से निपटने की योजना तैयार कर ली है. शुरुआती कदम भी उठाए जा चुके हैं, जिनमें सूचना अभियान, बुजुर्गों जैसे संवेदनशील लोगों की सुरक्षा के उपाय, हीटवेव के लिए पहले से चेतावनी देने वाली प्रणाली और शहर के ज्यादा गर्म इलाकों को हरा-भरा बनाना शामिल है.
उदाहरण के लिए, फ्राईबुर्ग शहर गर्मी से बचने के लिए पेड़-पौधे और छांव देने वाली जगहों पर ध्यान दे रहा है. वहीं, कोलोन में इमारतों में धूप से बचाव के लिए शटर जैसे उपायों को और बढ़ाया गया है, ताकि लोग तेज धूप से सुरक्षित रह सकें.
जर्मनी के प्रोटेस्टेंट चर्च ने कहा है कि जब ज्यादा गर्मी पड़ेगी, तो वे अपने चर्च की ठंडी इमारतों को लोगों के लिए आराम करने और गर्मी से बचने की जगह के रूप में खोलेंगे.
गर्मी से निपटने को प्राथमिकता देने में जर्मनी विफल
कुछ शहरों में की जा रही कोशिशों के बावजूद, जर्मनी तेज गर्मी से बचाव की रणनीति के मामले में पिछड़ रहा है. जर्मन अलायंस ऑन क्लाइमेट चेंज ऐंड हेल्थ के अध्यक्ष मार्टिन हरमन ने कहा कि जर्मनी में जलवायु परिवर्तन की वजह से गर्मी सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट बन गया है. यहां सड़क दुर्घटनाओं में कम लोग मरते हैं, जबकि गर्म हवाओं की वजह से ज्यादा मौतें हो रही हैं.
उन्होंने जून की शुरुआत में बर्लिन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम समाज के तौर पर अभी तक यह नहीं समझ पाए हैं कि गर्मी कब जानलेवा बन जाती है और इसका खतरा कितना बड़ा हो सकता है.”
जर्मन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष क्लाउस राइनहार्ट ने कहा कि गर्म लहरें चलने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, उनकी अवधि बढ़ रही है और वे ज्यादा तीव्र होती जा रही हैं. ऐसे में समाज को तैयार रहना चाहिए. गर्मी से हर कोई प्रभावित होता है, भले ही उसकी उम्र कुछ भी हो या उसे पहले से किसी तरह की बीमारी हो या नहीं.'
जर्मनी में फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ ने हाल ही में एक नया ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया है, जिसमें रोजमर्रा की जिंदगी में अत्यधिक गर्मी से निपटने के तरीके बताए गए हैं. इनमें दोपहर की तेज धूप से बचना, दवाओं की जांच करना कि वे गर्मी में असरदार और सुरक्षित हैं या नहीं, खिड़कियां या दरवाजे तभी खोलना जब बाहर ठंडक हो जैसे उपाय शामिल हैं.”
हरमन ने कहा कि जब हम पर्यावरण के अनुकूल मकान और इमारतें बनाने की योजना बनाते हैं, तो हम अक्सर उसमें गर्मी से बचाव की तैयारी को नजरअंदाज कर देते हैं. जबकि इसे हर शहर और इलाके के विकास में जरूरी तौर पर शामिल किया जाना चाहिए.
एलेनी मायरिविली ने भी जोर दिया कि जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, वैसे-वैसे समाधान जल्दी लागू करना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा, "आज जो गर्मी हम महसूस कर रहे हैं, वह उस गर्मी के सामने कुछ भी नहीं है जो आने वाली है. वह कहीं ज्यादा खतरनाक होगी और लोग इस खतरे से अनजान हैं.”