बदले माहौल में फिर खुलेगी भारत-चीन हवाई सीमा
२८ जनवरी २०२५चीन इन दिनों अपने कई पड़ोसी और अन्य देशों के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश कर रहा है. अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की वापसी से बने अनिश्चित माहौल का फायदा उठाते हुए चीन ने भारत समेत कई देशों के साथ कूटनीतिक संबंध बेहतर करने का कदम उठाया है.
भारत और चीन ने करीब पांच साल बाद सीधी हवाई सेवाएं फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है. भारत के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को इसकी जानकारी दी. यह कदम 2020 में हिमालयी सीमा पर गलवान में हुई घातक सैन्य झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई खटास को कम करने की दिशा में अहम माना जा रहा है.
दोनों पक्ष इस मुद्दे पर एक फ्रेमवर्क तय करने के लिए जल्द बैठक करेंगे. यह घोषणा भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बीजिंग में हुई बैठक के बाद की गई.
चीनी विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को इसकी पुष्टि की और बताया कि उप-मंत्री स्तर पर एक अन्य बैठक में दोनों देशों के पत्रकारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर भी सहमति बनी.
भारत-चीन संबंधों में नई शुरुआत
भारत और चीन ने हाल ही में अपने तनावपूर्ण रिश्तों को सुधारने के लिए कई कदम बढ़ाए हैं. 2020 में हिमालय सीमा पर हुई झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्ते खराब हो गए थे. लेकिन अब लगभग पांच साल बाद, दोनों देशों ने रिश्ते सुधारने की दिशा में कई अहम कदम उठाए हैं.
बीजिंग में हुई बैठक के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, "चीन और भारत को 'आपसी सहयोग और उपलब्धियों' पर ध्यान देना चाहिए, न कि 'शक और दूरी' पर." भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी इसी भावना को साझा करते हुए कहा, "आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्रों में कुछ विशेष मुद्दों पर चर्चा की गई और उन्हें हल करने के लिए दीर्घकालिक नीतिगत पारदर्शिता को बढ़ावा देने पर सहमति बनी."
दोनों देशों ने सीमा पार नदियों पर सहयोग जारी रखने और विशेषज्ञ स्तर की बैठकों को जल्द आयोजित करने पर भी सहमति व्यक्त की.
हालांकि, चीन के यारलुंग त्संगपो नदी (भारत में ब्रह्मपुत्र) पर बनाए जा रहे बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को लेकर भारत की चिंताएं बनी हुई हैं. चीन का कहना है कि इस परियोजना से पानी के प्रवाह पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा. लेकिन भारत ने चीन से पारदर्शिता और सहयोग की मांग की है ताकि निचले हिस्से के राज्यों के हितों की सुरक्षा की जा सके.
बैठक में दोनों देशों ने सांस्कृतिक संबंध सुधारने के लिए भी कदम उठाए. इसके तहत भारतीय तीर्थयात्रियों को 2025 में मानसरोवर और तिब्बत के पवित्र स्थलों की यात्रा फिर से शुरू करने की अनुमति देने पर सहमति बनी.
जापान और यूरोप के साथ संबंध सुधार
चीन अपने दूसरे पड़ोसियों, खासकर जापान के साथ भी रिश्ते बेहतर करने की कोशिश कर रहा है. सात सालों में पहली बार जापान के विदेश मंत्री ने बीजिंग का दौरा किया. इसके अलावा, दोनों देशों ने पांच साल के बाद रक्षा क्षेत्र में बातचीत फिर से शुरू की.
चुओ यूनिवर्सिटी के जापानी कूटनीति विशेषज्ञ ताइजो मियागी का कहना है, "ट्रंप की नीतियों को लेकर बनी अनिश्चितता जापान और चीन दोनों को स्थिर संबंध बनाने के लिए प्रेरित कर रही है. अन्य कई देश भी इसी तरह सोच रहे होंगे, जिससे उनकी कूटनीतिक गतिविधियां तेज हो सकती हैं."
यूरोप में, चीन ब्रिटेन के साथ रिश्ते सुधारने में जुटा है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर की सरकार ने बीजिंग के साथ आर्थिक और वित्तीय बातचीत फिर से शुरू की है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में यूरोपीय काउंसिल के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा से फोन पर बातचीत की और कहा कि "दोनों पक्ष वैश्विक स्थिति में अधिक स्थिरता और निश्चितता ला सकते हैं."
क्वाड और चीन की रणनीति
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चीन क्वाड देशों (अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया) के बीच के तालमेल को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है. इन देशों का समूह, जिसे जो बाइडन ने मजबूत किया था, चीन के प्रभाव को रोकने के लिए बनाया गया है.
जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ चीन के संबंध बेहतर हो रहे हैं. वहीं, भारत के साथ धीरे-धीरे सामान्य स्थिति बहाल करने की कोशिशें जारी हैं. ऑस्ट्रेलिया के नए नेतृत्व ने भी चीन के साथ व्यापार तनाव को कम करने में रुचि दिखाई है.
चीन की कूटनीतिक रणनीति का उद्देश्य केवल राजनीति नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था भी है. ट्रंप ने चीनी सामानों पर फिर से भारी शुल्क लगाने की धमकी दी है. ऐसे में, चीन अन्य देशों के साथ बेहतर आर्थिक संबंध बनाकर संभावित व्यापार व्यवधानों से बचने की कोशिश कर रहा है.
शंघाई स्थित फुदान यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल स्टडीज इंस्टिट्यूट के डीन वू जिनबो का कहना है, "ट्रंप का रुख चीन की कूटनीति के लिए एक मौका है. हमें इस मौके का फायदा उठाना चाहिए."
ट्रंप के कारण बदला माहौल
ट्रंप की बयानबाजी और उनकी नीतियों ने अमेरिकी सहयोगियों को परेशान किया है. उनके विवादास्पद बयानों, जैसे ग्रीनलैंड को अमेरिका में मिलाने या कनाडा को 51वां राज्य बनाने की बात, ने सहयोगी देशों को असहज कर दिया है.
फिर भी, चीन को लेकर पश्चिमी देशों में शक और चिंता बनी हुई है. अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता ब्रायन ह्यूजेस ने कहा, "ट्रंप का रिकॉर्ड दुनिया को चीन के खिलाफ एकजुट करने का रहा है."
चीन की भारत और अन्य देशों के साथ संबंध सुधारने की कोशिश महत्वपूर्ण समय पर हो रही है. हालांकि, यह संबंध कितने मजबूत और स्थिर होंगे, इसमें बहुत से पेच हैं. भारत को इन कदमों के साथ अपने व्यापक रणनीतिक हितों को भी संतुलित करना होगा.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, "आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्रों में विशेष चिंताओं पर चर्चा की गई, जिनका उद्देश्य इन मुद्दों को हल करना और नीतियों में पारदर्शिता को बढ़ावा देना है."
फिर भी, डॉनल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस में दोबारा लौटने के बाद वैश्विक भू-राजनीति में हो रहे बदलावों के चलते चीन की कूटनीतिक रणनीति क्षेत्रीय और वैश्विक समीकरणों को बदल रही है.
वीके/सीके (रॉयटर्स, एपी)