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मणिपुर: पीएम मोदी के स्वागत में नृत्य कार्यक्रम का विरोध

रीतिका एपी, रॉयटर्स, डीपीए | आदर्श शर्मा एएनआई, एएफपी
प्रकाशित ११ सितम्बर २०२५आखिरी अपडेट ११ सितम्बर २०२५

भारत, दुनिया, खेल और विज्ञान की सारी बड़ी खबरें, एक साथ और तुरंत. हमने यह पेज लगातार अपडेट किया है, ताकि आपको दिनभर की खबरें एक साथ एक जगह मिल जाएं.

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स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में शामिल होने जाते पीएम मोदी
मणिपुर ना जाने की वजह से लेकर विपक्षी दल पीएम मोदी की आलोचना करते रहे हैंतस्वीर: Press Information Bureau (PIB)
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मणिपुर में पीएम मोदी के स्वागत समारोह में होने वाले नृत्य कार्यक्रम का विरोध को स्किप करें
११ सितम्बर २०२५

मणिपुर में पीएम मोदी के स्वागत समारोह में होने वाले नृत्य कार्यक्रम का विरोध

उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट डालते पीएम मोदी
मणिपुर में हिंसा शुरू होने के बाद पहली बार पीएम मोदी मणिपुर जाएंगेतस्वीर: Rahul Singh/ANI

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर को हिंसा प्रभावित राज्य मणिपुर के दौरे पर जा सकते हैं. मणिपुर में नस्लीय हिंसा भड़कने के बाद यह पीएम मोदी का राज्य का पहला दौरा होगा. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, कुकी-जो समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले कई संगठनों ने पीएम मोदी के स्वागत समारोह में नृत्य कार्यक्रम रखने का विरोध किया है. 

कांग्रेस के मीडिया प्रभारी पवन खेड़ा ने इस खबर को एक्स पर साझा करते हुए पीएम मोदी की आलोचना की है. उन्होंने लिखा कि मई 2023 में मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद से 258 लोग मारे गए हैं, 60 हजार लोग विस्थापित हुए हैं, 4,786 घर जला दिए गए हैं, 386 धार्मिक स्थलों पर तोड़फोड़ की गई है और कुकी महिलाओं के साथ यौन शोषण किया गया है. 

उन्होंने आगे लिखा, “मणिपुर में आग लगाए जाने के 864 दिन बाद, नरेंद्र मोदी आखिरकार 13 सितंबर को राज्य में कदम रखेंगे लेकिन राज्य के लोगों के साथ शोक मनाने, अपनी चुप्पी और विफलता के लिए माफी मांगने के लिए नहीं बल्कि एक नृत्य कार्यक्रम की अध्यक्षता करने के लिए. यह बेहद शर्मनाक है."

मणिपुर की हिंसा में रेप और हत्या बने हथियार

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जम्मू कश्मीर के डोडा में हिरासत में लिए गए आप सांसद संजय सिंह को स्किप करें
११ सितम्बर २०२५

जम्मू कश्मीर के डोडा में हिरासत में लिए गए आप सांसद संजय सिंह

आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया है कि अन्य पार्टी सदस्यों के साथ उन्हें जम्मू कश्मीर के डोडा में अवैध तरीके से हिरासत में ले लिया गया है. आप नेता वहां जम्मू कश्मीर में उनकी पार्टी के इकलौते विधायक मेहराज मलिक की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन करने गए थे. मलिक को इस हफ्ते पीएसए एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था. संजय सिंह ने एक्स पर यह भी कहा कि पुलिस ने उन लोगों को हाउस अरेस्ट में रखा और जब पूर्व सीएम फारूख अब्दुल्ला उनसे मिलने आए तो उन्हें मिलने नहीं दिया गया. 

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी कहा कि यह महज दावा नहीं है बल्कि संजय सिंह को सच में हाउस अरेस्ट किया गया है. साथ ही वह बोले, "कहा जाता है कि जम्मू कश्मीर में सब ठीक है और एक नया जम्मू कश्मीर बन रहा है. लेकिन सच्चाई यह है कि हमारे खिलाफ हमेशा एक कठोर रवैया अपनाया जाता है."

उमर ने एक्स पर मलिक की गिरफ्तारी की भी आलोचना की और लिखा कि अगर चुनी हुई सरकार के खिलाफ एक ऐसी सरकार जो चुनी नहीं गई अपनी ताकत इस्तेमाल कर सकती है तो जम्मू कश्मीर के लोगों का लोकतंत्र में भरोसा कैसे कायम रहेगा?

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सीआरपीएफ ने राहुल गांधी पर लगाए सुरक्षा प्रोटोकॉल तोड़ने का आरोप को स्किप करें
११ सितम्बर २०२५

सीआरपीएफ ने राहुल गांधी पर लगाए सुरक्षा प्रोटोकॉल तोड़ने का आरोप

बिहार में वोटर अधिकार यात्रा के दौरान बाइक पर जाते राहुल गांधी और प्रियंका गांधी
सीआरपीएफ के मुताबिक, राहुल ने विदेश यात्राओं के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल तोड़ातस्वीर: AICC/ANI Photo

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर बताया है कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपनी विदेश यात्राओं के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है. सीआरपीएफ ने इस बारे में राहुल गांधी को भी एक पत्र लिखा है और कहा है कि उनकी सुरक्षा को देखते हुए यह गंभीर चिंता का विषय है. 

न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सीआरपीएफ ने पत्र में लिखा है कि इस तरह की चूक उच्च स्तर के सुरक्षा इंतजामों के प्रभाव को कमजोर करती हैं और राहुल गांधी को संभावित खतरे में डाल सकती हैं. पत्र में राहुल की इटली, वियतमान, दुबई, कतर, लंदन और मलेशिया की विदेश यात्रा का जिक्र किया गया है. पत्र में यह सुनिश्चित करने की अपील की गई है कि वे भविष्य की यात्राओं में सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करें. 

कांग्रेस के मीडिया प्रभारी पवन खेड़ा ने सीआरपीएफ के पत्र पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने एक्स पर लिखा कि पत्र की टाइमिंग और इसे एकदम से सार्वजनिक किए जाने से परेशान करने वाले सवाल खड़े होते हैं. उन्होंने आगे कहा कि यह पत्र तभी आया है, जब राहुल गांधी बीजेपी द्वारा की गई वोट चोरी के खिलाफ अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं. 

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सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति मुर्मु के 14 बिंदुओं वाले रेफरेंस पर पूरी की सुनवाई को स्किप करें
११ सितम्बर २०२५

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति मुर्मु के 14 बिंदुओं वाले रेफरेंस पर पूरी की सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई को शपथ दिलवातीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने इस मामले पर सुनवाई कीतस्वीर: ANI

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा भेजे गए 14 बिंदुओं वाले रेफरेंस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार, 11 सितंबर को अपनी सुनवाई पूरी कर ली. चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने 19 अगस्त को इस रेफरेंस पर सुनवाई शुरू की थी और कुल 10 दिनों तक इस मामले में सुनवाई की. 

लाइव लॉ के मुताबिक, राष्ट्रपति मुर्मु ने संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत सुप्रीम कोर्ट को रेफरेंस भेजा था, इसमें कोर्ट से राज्यपालों और राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया, उसकी समयसीमा और विधायिका की भूमिका से संबंधित मुद्दों पर सलाह मांगी गई थी. इसमें सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों के दायरे पर भी सवाल पूछे गए थे.

इस रेफरेंस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 8 अप्रैल को सुनाए गए एक आदेश पर सवाल उठाए गए थे. उस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तमिलनाडु राज्यपाल द्वारा विधानसभा में पारित बिलों को रोके रखना “अवैध और गलत” है. इसके साथ ही कोर्ट ने राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए एक समयसीमा तय की थी, जिसके अंदर उन्हें बिलों पर फैसला लेना होगा. इसके फैसले के बाद ही राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट को रेफरेंस भेजा था.

संविधान का अनुच्छेद 143(1) राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि वे सुप्रीम कोर्ट से किसी भी ऐसे कानूनी या संवैधानिक प्रश्न पर राय मांग सकती हैं जो उन्हें ‘सार्वजनिक महत्व' का लगता हो. यह एक प्रकार से न्यायिक सलाह की प्रक्रिया है, जिसमें कोर्ट की राय बाध्यकारी नहीं होती, लेकिन उसका नैतिक और संवैधानिक महत्व काफी ज्यादा होता है.

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यूएनएचआरसी की बैठक में स्विट्जरलैंड की नसीहत पर भारत का जवाब को स्किप करें
११ सितम्बर २०२५

यूएनएचआरसी की बैठक में स्विट्जरलैंड की नसीहत पर भारत का जवाब

स्विट्जरलैंड में यूएन का दफ्तर
यूएनएचआरसी की बैठक के दौरान भारत ने ना सिर्फ स्विट्जरलैंड के आरोपों का जवाब दिया बल्कि आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को भी घेरा. तस्वीर: Siavosh Hosseini/SOPA Images/ZUMA Press/picture alliance

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की बैठक के दौरान स्विट्जरलैंड ने भारत को अल्पसंख्यकों के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने की नसीहत दी. साथ ही भारत को मीडिया की अभिव्यक्ति की आजादी को बनाए रखने के लिए उपाय करने का भी सुझाव दिया. 

स्विट्जरलैंड को जवाब देते हुए बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे भारत के स्थायी मिशन के काउंसलर क्षितिज त्यागी ने कहा कि स्विट्जरलैंड जिसके पास इस वक्त परिषद की अध्यक्षता भी है, उसे ऐसे दावे करके जो बेबुनियाद हों और भारत की छवि के साथ न्याय ना करते हों, परिषद का वक्त बर्बाद नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने स्विट्जरलैंड को उसकी खुद की चुनौतियों की याद दिलाते हुए कहा कि उसे नस्लभेद, व्यवस्थित भेदभाव और विदेशियों के प्रति नफरत की भावना पर ध्यान देना चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा, जीवंत और विविध लोकतंत्र होने के नाते भारत इन चुनौतियों से निपटने में स्विट्जरलैंड की मदद करने के लिए हमेशा तैयार है. इसी बैठक के दौरान भारत ने पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि भारत को आतंकवाद के प्रयोजक से सबक लेने की कोई आवश्यकता नहीं है. यहां उन्होंने पुलवामा, उरी, मुंबई में हुए हमलों का भी जिक्र किया.

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दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी का दावा, किम जोंग उन की बेटी ही होंगी उनकी उत्तराधिकारी को स्किप करें
११ सितम्बर २०२५

दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी का दावा, किम जोंग उन की बेटी ही होंगी उनकी उत्तराधिकारी

एक कार्यक्रम के दौरान बेटी के साथ किम
एजेंसी के मुताबिक किम के दो बच्चे और हैं लेकिन संभावना यही है कि किम जू ही उनकी उत्तराधिकारी होंगी.तस्वीर: Yonhap/picture alliance

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की बेटी किम जु एई अपनी चीन यात्रा के बाद चर्चा में बनी हुई हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि किम जोंग उन अपनी बेटी को राजनीतिक बैठकों और यात्राओं पर इसलिए लेकर जा रहे हैं क्योंकि वही उनकी उत्तराधिकारी होंगी.

अब दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी ने वहां के नेताओं को बताया है कि किम जोंग उन अपनी बेटी को चीन इसलिए लेकर आए ताकि वह छोटी उम्र से ही अंतरराष्ट्रीय अनुभव हासिल कर सके. साथ ही दुनिया के सामने बेटी की छवि देश की उत्तराधिकारी के रूप में मजबूत हो सके. एजेंसी के मुताबिक किम के दो बच्चे और हैं लेकिन संभावना यही है कि किम जू ही उनकी उत्तराधिकारी होंगी.

समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, उत्तर कोरिया का मीडिया किम की बेटी का नाम और उम्र भी नहीं छापता बल्कि सिर्फ उसे किम जोंग उन की प्रिय या आदरणीय बेटी के नाम से ही संबोधित करता है. एजेंसी का मानना है कि किम ने काफी सोच समझकर अपनी बेटी को सार्वजनिक जिंदगी का हिस्सा बनाया है. हालांकि, कई लोग एजेंसी के इस आकलन पर यह सवाल भी उठाते हैं कि क्या एक पुरुष प्रधान सत्ता किम को सौंपी जाएगी?

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धुर-वामपंथी समूह ने ली जर्मन राजधानी बर्लिन में हुए ब्लैकआउट की जिम्मेदारी को स्किप करें
११ सितम्बर २०२५

धुर-वामपंथी समूह ने ली जर्मन राजधानी बर्लिन में हुए ब्लैकआउट की जिम्मेदारी

आगजनी के बाद मरम्मत करता एक कर्मचारी
मंगलवार को हुई इस घटना के कारण अब तक बर्लिन के कई घरों में अंधेरा छाया हुआ है.तस्वीर: Jens Kalaene/dpa/picture alliance

जर्मन राजधानी बर्लिन के दक्षिणी पूर्वी इलाके में बीते मंगलवार को हुए ब्लैक आउट के पीछे धुर वामपंथियों का हाथ था. बर्लिन के गृह मंत्री इरीस श्प्रांगर ने कहा कि धुर वामपंथियों ने इस आपराधिक घटना की जिम्मेदारी लेते हुए एक चिट्ठी प्रकाशित की है. उन्होंने बताया कि फरवरी में जब बर्लिन में स्थित टेस्ला प्लांट पर आगजनी हुई थी, उस वक्त भी ऐसी ही एक चिट्ठी फरवरी में प्रकाशित की गई थी. 

वामपंथी प्लैटफॉर्म इंडीमीडिया पर यह चिट्ठी प्रकाशित की गई है. इसमें लिखा गया है कि हमले का मकसद इलाके में मिलिट्री इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स को निशाना बनाना था. इस इलाके में कई आईटी, रोबोटिक, एआई, सुरक्षा, एरोस्पेस और बायोटेक से जुड़े फर्म मौजूद हैं. 

मंगलवार को हुई इस आगजनी में बर्लिन के इस इलाके में दो हाई वोल्टेज ट्रांसफॉर्मर धधक उठे थे, जिसके बाद करीब 50 हजार घरों की बिजली गुल हो गई थी. इस आगजनी में बर्लिन की कई मुख्य पावर लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई थीं. बीते 25 सालों में ये बर्लिन का सबसे लंबा ब्लैकआउट था. पावर ऑपरेटरों के मुताबिक मरम्मत का काम अब तक जारी है. इसलिए अभी भी हजारों की संख्या में ऐसे घर हैं जहां अंधेरा छाया हुआ है. 

श्प्रांगर ने बताया कि जांचकर्ताओं के मुताबिक घटना के पीछे जिम्मेदार लोग जर्मनी में ही रहते हैं. इस हमले को बेहद पेशेवर तरीके से अंजाम दिया गया है क्योंकि इस तरीके के ब्लैकआउट के लिए अंदरूनी जानकारी होनी बेहद जरूरी है. उन्होंने यह भी कहा कि जिन्होंने भी ऐसा किया है उन्होंने आम लोगों की जिंदगी को खतरे में डाला. हमलावरों की पहचान के लिए प्रशासन जांच में जुटा हुआ है.

धुएं और प्रदूषण वाले जेनरेटरों की जगह सौर जेनरेटर


 

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भारतीय संसदीय समिति ने दिया फेक न्यूज के खिलाफ नियम कड़े करने का सुझाव को स्किप करें
११ सितम्बर २०२५

भारतीय संसदीय समिति ने दिया फेक न्यूज के खिलाफ नियम कड़े करने का सुझाव

फेक न्यूज की सिंबॉलिक इमेज
समिति ने फेक न्यूज को कानून-व्यवस्था और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरा बताया हैतस्वीर: M. Gann/picture alliance/blickwinkel/McPHOTO

भारतीय संसद की एक समिति ने केंद्र सरकार को फेक न्यूज के खिलाफ नियमों को कड़े करने का सुझाव दिया है. संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में फेक न्यूज को कानून-व्यवस्था और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरा बताया है. साथ ही कहा है कि फेक न्यूज की एक स्पष्ट कानूनी परिभाषा तय करनी चाहिए. 

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, समिति ने सूचना प्रसारण मंत्रालय को सुझाव दिया है कि प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के तहत काम करने वाली फैक्ट चेक यूनिट को वैधानिक अधिकार देने की संभावना तलाशी जानी चाहिए ताकि वह सरकारी योजनाओं और पहलों के बारे में फैलाई जानी वाली झूठी सूचनाओं के खिलाफ कार्रवाई कर सके. इस समिति की अध्यक्षता बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे कर रहे हैं.


समिति ने सूचना प्रसारण मंत्रालय को यह सुझाव भी दिया है कि सभी प्रिंट, डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आउटलेटों में फैक्ट चेकिंग सिस्टम और आंतरिक लोकपाल को अनिवार्य बनाया जाए. रिपोर्ट में कहा गया है कि फेक न्यूज के खिलाफ मौजूदा जुर्माना पर्याप्त नहीं है. समिति ने संपादकों, प्रकाशकों, मध्यस्थों और प्लैटफॉर्मों के लिए अधिक जुर्माने और स्पष्ट जवाबदेही की सिफारिश की है.

एआई डीपफेक: आंखों देखा भी हो सकता है झूठ

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ज्यादातर जर्मन पायलटों ने मानी फ्लाइट के दौरान झपकी लेने की बात: सर्वे को स्किप करें
११ सितम्बर २०२५

ज्यादातर जर्मन पायलटों ने मानी फ्लाइट के दौरान झपकी लेने की बात: सर्वे

कॉकपिट की सांकेतिक तस्वीर
फ्लाइट के दौरान झपकी लेना जर्मन पायलटों पर बढ़ते काम के दबाव को दर्शाता है.तस्वीर: Jochen Tack/IMAGO

जर्मनी में पायलटों के यूनियन 'फराएनिगुंग कॉकपिट' ने एक सर्वे किया. इस सर्वे में शामिल करीब 93 फीसदी पायलटों ने माना कि वे फ्लाइट के दौरान छोटी सी झपकी ले लेते हैं. पायलटों के इस संगठन से 900 से भी अधिक पायलट जुड़े हुए हैं.

संगठन की अध्यक्ष काथरीना डीजलडोर्फ ने सर्वे के हवाले से पायलटों की चुनौतियों की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि ये नतीजे बताते हैं कि जर्मनी के पायलट काम के बोझ से जूझ रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि झपकी लेना आराम पाने के लिए एक फौरी उपाय था, लेकिन अब ये व्यवस्था द्वारा लादे गए बोझ से निपटने का स्थायी तरीका बन चुका है.

हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि पायलटों का झपकी लेना कोई बड़ा खतरा नहीं है क्योंकि कॉकपिट में हमेशा दो पायलट मौजूद होते हैं. लेकिन स्थायी रूप से थका हुआ कॉकपिट एक संभावित खतरे में जरूर बदल सकता है. यूनियन लगातार पायलटों पर बढ़ते काम के बोझ के मुद्दे को रेखांकित करता रहा है.

विमान के कॉकपिट में दूसरे पायलट का क्या काम होता है?

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तुर्की: सरकार के निशाने पर क्यों आया महिलाओं का बैंड 'मैनिफेस्ट' को स्किप करें
११ सितम्बर २०२५

तुर्की: सरकार के निशाने पर क्यों आया महिलाओं का बैंड 'मैनिफेस्ट'

मैनिफेस्ट बैंड की कलाकारों की तस्वीर
जांच शुरू होने के बाद बैंड को अपने सारे टूर रद्द करने पड़े हैं.तस्वीर: ANKA

तुर्की में महिलाओं के म्यूजिकल बैंड 'मैनिफेस्ट' के खिलाफ अश्लीलता फैलाने के आरोप में जांच शुरू कर दी गई है. स्थानीय मीडिया के मुताबिक, बीते रविवार को राजधानी इस्तांबुल में बैंड के प्रदर्शन के बाद ही यह जांच शुरू की गई है.

इस्तांबुल के प्रमुख जांच अधिकारी के कार्यालय ने कहा कि यह जांच स्टेज पर बैंड के डांस और परफॉर्मेंस को देखने के बाद शुरू की गई. अपने बयान में उन्होंने कहा, "बैंड की परफॉर्मेंस सभ्यता और नैतिकता पर हमला थी. इस समूह ने पवित्रता और लज्जा जैसी भावनाओं को ठेस पहुंचाया. साथ ही इसमें बच्चों और युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता थी."

मैनिफेस्ट बैंड की एक तस्वीर
मैनिफेस्ट बैंड पर तुर्की सरकार ने अश्लीलता फैलाने के आरोप लगाए हैं.तस्वीर: ANKA

वहीं, तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआनके सलाहकार ओक्टाई सराल ने एक्स पर लिखा कि बैंड के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि वे ऐसी हरकत दोबारा ना करें. बीते कुछ समय में तुर्की में आम जन भावना और नैतिकता को ठेस पहुंचने का हवाला देकर कॉन्सर्ट और म्यूजिक फेस्टिवल रद्द किए गए हैं.

छह महिलाओं का यह बैंड हाल के कुछ समय में अपनी लाइव परफॉर्मेंस के कारण लोगों के बीच खासा मशहूर हो गया. जांच शुरू होने के बाद उन्हें अपने पहले से तय टूर को भी रद्द करना पड़ा. जांच के बाद बैंड ने एक्स पर लिखा, "हमारा इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था. युवा महिलाओं के एक समूह के तौर पर हम बस वही करते हैं, जिससे हमें प्यार है, स्टेज हमारे लिए सबसे आजाद जगह है. हमारा सबसे बड़ा सपना पूरी दुनिया में अपने देश का प्रतिनिधित्व करना है." 

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चीन से घूस लेने के आरोपी एएफडी नेता के घर और दफ्तर पर पड़े छापे को स्किप करें
११ सितम्बर २०२५

चीन से घूस लेने के आरोपी एएफडी नेता के घर और दफ्तर पर पड़े छापे

मैक्सिमिलियन क्राह की तस्वीर
क्राह पर यूरोपीय संसद में अपने कार्यकाल के दौरान घूस लेने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं.तस्वीर: Jens Schlueter/AFP

बुंडेसटाग (जर्मन संसद) ने धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी के नेता मैक्सिमिलियन क्राह के खिलाफ तलाशी और जब्ती के आदेश को मंजूरी दे दी. यूरोपीय संसद में क्राह पर अपने कार्यकाल के दौरान घूस लेने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं. इसके साथ ही उनके खिलाफ चीन के लिए जासूसी करने का मामला भी दर्ज है.

बुंडेसटाग ने अपने बयान में कहा कि क्राह के खिलाफ यह फैसला संसद के सभी सदस्यों की वोटिंग के बाद लिया गया. इसमें खुद उनकी पार्टी एएफडी के सांसद भी शामिल थे. संसद के इस फैसले के तुरंत बाद ही बर्लिन और ड्रेसडन में मौजूद क्राह के दफ्तर में छापेमारी की गई. इसके साथ ही उनके घर की भी तलाशी ली गई. जर्मनी के अलावा ब्रसेल्स में भी उनके दफ्तर पर छापा मारा गया.

इस साल फरवरी में हुए चुनावों में वह एएफडी की ओर से चुनकर बुंडेसटाग पहुंचे थे. इससे पहले 2019 से 2025 तक वह यूरोपीय संसद के सदस्य भी रहे थे. मई में ड्रेसडन में उन पर अपने कार्यकाल के दौरान चीन से घूस लेने के आरोप के खिलाफ जांच शुरू की गई थी.

जर्मनी: चार साल में दोगुने कैसे हुए एएफडी के वोट

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नेपाल: हिंसक प्रदर्शनों में कुछ पुलिसकर्मियों समेत 35 लोगों की हुई मौत को स्किप करें
११ सितम्बर २०२५

नेपाल: हिंसक प्रदर्शनों में कुछ पुलिसकर्मियों समेत 35 लोगों की हुई मौत

एक इमारत में आग लगाते हुए युवा प्रदर्शनकारी
नेपाल में प्रदर्शनकारियों ने कई सरकारी इमारतों को आग के हवाले कर दियातस्वीर: Niranjan Shrestha/AP Photo/picture alliance

नेपाल में अंतरिम सरकार का प्रमुख चुनने के लिए युवा प्रदर्शनकारियों और सेना के बीच बातचीत जारी है. नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने की दौड़ में सबसे आगे हैं. कार्की नेपाल में चीफ जस्टिस के पद तक पहुंचने वाली पहली महिला हैं. प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कई युवाओं ने इस पद के लिए उनका नाम सुझाया है. 

इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने नाम ना बताने की शर्त पर रॉयटर्स से कहा, 73 वर्षीय कार्की ने अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए अपनी सहमति दे दी है. लेकिन उनकी नियुक्ति के लिए एक संवैधानिक रास्ता खोजने के प्रयास किए जा रहे हैं. एक दूसरे सूत्र ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के बीच उनकी उम्मीदवारी को लेकर कुछ मतभेद हैं और सबकी सहमति से एक फैसले पर पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है.

इस बीच, स्थिति को सामान्य करने की कोशिश में लगी नेपाल की सेना ने देशभर में लगे कर्फ्यू को शुक्रवार तक के लिए बढ़ा दिया है. हालांकि, इसमें कुछ छूट भी दी गई हैं ताकि आवश्यक सेवाओं के कर्मचारियों को आवागमन में कोई परेशानी ना हो. सेना के मुताबिक, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय फ्लाइटों से यात्रा करने वाले लोगों को भी आने-जाने की छूट दी गई है. इसके लिए उन्हें सिर्फ अपनी टिकट दिखानी होगी.  

नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, प्रदर्शनों में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है और एक हजार से ज्यादा लोग घायल भी हुए हैं. वहीं, न्यूज एजेंसी डीपीए ने पुलिस और अस्पताल के कई सूत्रों से हुई बातचीत के आधार पर जानकारी दी है कि अब तक कम से कम 35 लोग मारे गए हैं, जिनमें कुछ पुलिसकर्मी भी शामिल हैं.

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फ्रांस में 15 साल से छोटे बच्चों के लिए बैन हो सकता है सोशल मीडिया को स्किप करें
११ सितम्बर २०२५

फ्रांस में 15 साल से छोटे बच्चों के लिए बैन हो सकता है सोशल मीडिया

सांकेतिक तस्वीर
फ्रांस में टिकटॉक के लाखों यूजर्स मौजूद हैं. हालांकि, फ्रांस का आरोप है कि टिकटॉक जैसे कई सोशल मीडिया ऐप बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफल रहे हैं.तस्वीर: HalfPoint Images/Imago

फ्रांस की एक संसदीय समिति ने 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया है. बच्चों के ऊपर सोशल मीडिया ऐप टिकटॉक के मनोवैज्ञानिक प्रभाव का अध्ययन कर रही इस समिति ने यह भी सुझाया है कि 15 से 18 साल की उम्र के बच्चों के लिए 'डिजिटल कर्फ्यू' लागू करना चाहिए यानी रात 10 बजे से लेकर सुबह 8 बजे तक उनके सोशल मीडिया इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगा दी जाए. समिति ने तो यहां तक कहा है कि अगर सोशल मीडिया कंपनियां जरूरी शर्तों को पूरा नहीं करती हैं तो 18 साल की उम्र तक के सभी बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन कर दिया जाना चाहिए.

फ्रांस में सात परिवारों ने टिकटॉक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था कि यह ऐप उनके बच्चों को आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित कॉन्टेंट दिखा रहा था. समिति ने सुझाव देने से पहले उन बच्चों के परिवारों से भी बात की जिनकी मौत आहत्महत्या के कारण हुई. साथ ही सोशल मीडिया अधिकारियों और इंफ्लूएंसरों की राय भी शामिल की है.

फ्रांस की 52 वर्षीय जेराल्डिन ने ऐसे ही एक हादसे में अपनी 18 साल की बेटी पेनेलपी को खो दिया था. बेटी की मौत के बाद उन्हें उसके फोन में खुद को नुकसान पहुंचाने से जुड़े टिकटॉक वीडियो मिले थे. हालांकि, टिकटॉक ने कहा है कि युवा और किशोरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना उसकी प्राथमिकता है. फ्रांस के साथ साथ स्पेन, ग्रीस, बेल्जियम जैसे कई यूरोपीय देशों ने बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर सोशल मीडिया प्लैटफॉर्मों को नियंत्रित करने की मांग की है.

फिनलैंड में इस साल अगस्त से स्कूलों में फोन इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगा दी गई थी. इस प्रतिबंध के बाद वहां के स्कूल परिसरों में सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं. स्कूलों के मुताबिक अब बच्चे आपस में ज्यादा घुल-मिल रहे हैं. वहीं, ऑस्ट्रेलिया में भी 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी गई है.

दिमाग पर रील स्क्रॉलिंग का क्या असर होता है

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दोहा पर इस्राएल के हमले ने खत्म कर दी बंधकों के रिहा होने की उम्मीद: कतर को स्किप करें
११ सितम्बर २०२५

दोहा पर इस्राएल के हमले ने खत्म कर दी बंधकों के रिहा होने की उम्मीद: कतर

कतर के प्रधानमंत्री
दोहा पर हुए हमले की कई देशों ने आलोचना की है. कतर के प्रधानमंत्री ने कहा है कि इस हमले के साथ बंधकों के रिहा होने की उम्मीद भी खत्म हो गई है.तस्वीर: Qatari Foreign Ministry/UPI Photo/Newscom/picture alliance

कतर के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन जासिम अल थानी ने कहा है कि दोहा पर हुए हमले के बाद हमास की कैद में मौजूद बंधकों के रिहा होने की उम्मीद को इस्राएली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने पूरी तरह खत्म कर दिया है. 

अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "जिस दिन हमला हुआ उस दिन मैं एक बंधक के परिवार से मिलने गया था. वे संघर्षविराम की उम्मीद लगाए बैठे हैं. इसके अलावा उनके पास दूसरी कोई उम्मीद बाकी नहीं रह गई."

कतर ने सालों से हमास के नेताओं को दोहा में जगह दी है. मिस्र के साथ मिलकर वह गाजा में चल रहे युद्ध को रोकने में अहम भूमिका निभा रहा है. प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन गुरुवार को संघर्षविराम के सिलसिले में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक बैठक में भी हिस्सा लेने वाले थे.

उधर, इस्राएली प्रधानमंत्री नेतन्याहू लगातार इस हमले का बचाव करते दिखे हैं. उन्होंने कहा है कि कतर और दूसरे देश जो आतंकियों को पनाह देते हैं वे उन्हें या तो बाहर निकालें या सजा दें. अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो इस्रायल उन्हें सजा देगा.

इस बयान को कतर के विदेश मंत्रालय ने भविष्य में कतर की क्षेत्रीय संप्रभुता के लिए खतरा बताया है. साथ ही कहा है कि यह दोहा पर इस्रायल के कायराना हमले को सही ठहराने की एक शर्मनाक कोशिश है. 

दोहा पर हुए हमले की कई देशों ने आलोचना की है. खासकर ट्रंप ने कहा कि वे इस हमले से बेहद नाराज हैं. अमेरिकी अधिकारियों ने भी यह जानकारी दी है कि नेतन्याहू की तरफ से उन्हें इस हमले की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई थी. वहीं, इस हमले के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी कतर के दौरे पर रवाना हो गए हैं.

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विदेश मंत्रालय ने कहा, रूसी सेना में शामिल होने के प्रस्तावों से दूर रहें भारतीय को स्किप करें
११ सितम्बर २०२५

विदेश मंत्रालय ने कहा, रूसी सेना में शामिल होने के प्रस्तावों से दूर रहें भारतीय

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल की एक तस्वीर जिसमें वे न्यूयॉर्क में एक पोडियम पर खड़े होकर अपनी बात रख रहे हैं
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के मुताबिक, भारत ने रूस के सामने इस मुद्दे को उठाया हैतस्वीर: Seth Wenig/AP Photo/picture alliance

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सभी भारतीय नागरिकों से अपील की है कि वे रूसी सेना में शामिल होने के प्रस्तावों से दूर रहें क्योंकि यह खतरे से भरा रास्ता है. जायसवाल ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि हमने हाल ही में रूसी सेना में भारतीय नागरिकों के भर्ती होने से जुड़ी रिपोर्टें देखी हैं. 

उन्होंने आगे कहा कि सरकार पहले भी इसमें शामिल खतरों के बारे में बताकर भारतीय नागरिकों को सावधान कर चुकी है. उन्होंने कहा, "हमने दिल्ली और मॉस्को, दोनों जगह पर रूसी अधिकारियों के सामने इस मुद्दे को उठाया है और कहा है कि इस प्रक्रिया को बंद कर दिया जाए और हमारे (भारतीय) नागरिकों को छोड़ा जाए. हम प्रभावित भारतीय नागरिकों के परिवारों के साथ भी संपर्क में हैं.”

विदेश मंत्रालय ने 24 जुलाई, 2025 को राज्यसभा में बताया था कि एक समय पर रूसी सेना में 127 भारतीय नागरिक थे, लेकिन भारत और रूस सरकार के बीच हुई लगातार बातचीत के बाद 98 नागरिक सेना से अलग हो गए थे. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 13 भारतीय नागरिक रूसी सेना में बने हुए थे, जिनमें से 12 नागरिकों के लापता होने की सूचना रूसी पक्ष द्वारा दी गई थी.

लालच और फर्जीवाड़े के कारण मौत से सामना

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आदर्श शर्मा
आदर्श शर्मा डीडब्ल्यू हिन्दी के साथ जुड़े आदर्श शर्मा भारतीय राजनीति, समाज और युवाओं के मुद्दों पर लिखते हैं.