भारत ने की कनाडा के चुनावों में हस्तक्षेप की कोशिशः रिपोर्ट
२९ जनवरी २०२५कनाडा के चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप पर की गई एक सार्वजनिक जांच से यह निष्कर्ष निकला है कि चीन और भारत ने देश के चुनावों में हस्तक्षेप की कोशिश की. इन प्रयासों से चुनावी नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ा, लेकिन इससे देश की चुनाव प्रणाली और जनता के भरोसे पर गहरा असर पड़ा है.
जांच में 2019 और 2021 के संघीय चुनावों में हस्तक्षेप के प्रयासों की पुष्टि की गई. इन दोनों चुनावों में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी को जीत मिली थी. रिपोर्ट में कहा गया कि चीन और भारत जैसे देशों ने नई और बहुत सधी हुई रणनीतियों का इस्तेमाल कर दखलअंदाजी करने की कोशिश की. इस हस्तक्षेप से चुनाव परिणाम तो नहीं बदले, लेकिन लोकतंत्र में जनता के भरोसे को ठेस पहुंची.
जांच का नेतृत्व कर रहीं कमिश्नर मैरी-होसे होग ने कहा, "कनाडा की लोकतांत्रिक संस्थाएं मजबूत हैं और विदेशी हस्तक्षेप का सामना कर सकती हैं. लेकिन फर्जी सूचनाएं एक बड़ी समस्या है. इसे पहचानना मुश्किल होता जा रहा है और इसके परिणाम बहुत नुकसानदेह हो सकते हैं."
रिपोर्ट में चीन को "विदेशी हस्तक्षेप का सबसे सक्रिय अपराधी" बताया गया. भारत को दूसरा सबसे बड़ा हस्तक्षेप करने वाला देश बताया गया.
चीन और भारत का जवाब
चीन ने रिपोर्ट के निष्कर्षों को खारिज करते हुए इन्हें "आधारहीन आरोप और बदनामी" करार दिया. ओटावा स्थित चीनी दूतावास ने कहा, "चीन हमेशा गैर-हस्तक्षेप की नीति का पालन करता है और उसने कभी भी कनाडा के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया है, न ही ऐसा करने में दिलचस्पी रखता है." चीन ने कनाडा पर भी उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया.
भारत ने भी इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और उल्टा कनाडा पर भारत के आंतरिक मामलों में "लगातार हस्तक्षेप" करने का आरोप लगाया.
भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "हमने कथित हस्तक्षेप से जुड़ी गतिविधियों पर एक रिपोर्ट देखी है. असल में, यह कनाडा है जो लगातार भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है. इससे अवैध प्रवास और संगठित आपराधिक गतिविधियों के लिए एक वातावरण तैयार हुआ है. हम इस रिपोर्ट में भारत पर लगाए गए आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हैं और उम्मीद करते हैं कि अवैध प्रवास को बढ़ावा देने वाले समर्थन तंत्र को और प्रोत्साहन नहीं दिया जाएगा.”
सिख समुदाय कनाडा और भारत के बीच बढ़ते तनाव में एक महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु बन गया है, जैसा कि विदेशी हस्तक्षेप की रिपोर्ट में सामने आया है. यह तनाव खासतौर से जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में हुई हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़ा है. निज्जर एक प्रमुख सिख कार्यकर्ता और कनाडाई नागरिक थे, जिनकी हत्या के लिए कनाडाई सरकार और आरसीएमपी ने भारतीय सरकारी एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया है. इस घटना ने कनाडा में बसे सिख प्रवासी समुदाय की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं बढ़ा दी हैं.
कनाडा में सिख समुदाय राजनीतिक रूप से सक्रिय और प्रभावशाली है, और उनका योगदान देश की राजनीति और विदेश नीति दोनों में महत्वपूर्ण रहा है. हालांकि, खालिस्तान जैसे मुद्दों पर उनकी वकालत भारत और कनाडा के संबंधों में विवाद की एक प्रमुख वजह बन गई है, जिससे दोनों देशों के बीच हस्तक्षेप के आरोप-प्रत्यारोप और अधिक जटिल हो गए हैं.
सरकार पर सवाल
जांच में कनाडा की लिबरल सरकार की प्रतिक्रिया पर भी सवाल उठाए गए. रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार ने विदेशी हस्तक्षेप का पता लगाने और रोकने के लिए उपाय तो किए, लेकिन उनकी गति धीमी थी और उसमें कोई संतुलन नहीं था.
रिपोर्ट में कहा गया, "सरकार विदेशी हस्तक्षेप पर पारदर्शिता लाने में असफल रही. इसे जनता के साथ हस्तक्षेप के स्तर और इसके खिलाफ उठाए गए कदमों के बारे में अधिक खुलकर बात करनी चाहिए,"
सात खंडों में फैली इस रिपोर्ट में 51 सिफारिशें दी गई हैं. इनमें से करीब आधी को अगले चुनाव से पहले लागू करने की सिफारिश की गई है.
इनमें एक व्यापक रणनीति बनाना शामिल है, ताकि विदेशी हस्तक्षेप के खतरे को रोका जा सके. इसके अलाव ऑनलाइन फर्जी सूचनाओं और दुष्प्रचार पर नजर रखने के लिए एक नई एजेंसी का गठन करना, राजनीतिक दलों के लिए उम्मीदवारों और नेताओं के चयन की प्रक्रिया को पारदर्शी और मजबूत करना, खुफिया एजेंसियों को सरकार के साथ जानकारी साझा करने के तरीके में सुधार करना, राजनीतिक दलों के नेताओं को टॉप-सीक्रेट सुरक्षा मंजूरी लेने के लिए प्रोत्साहित करना आदि शामिल हैं.
जांच ने प्रवासी समुदायों की सुरक्षा पर भी जोर दिया, जिन्हें अक्सर विदेशी ताकतें अपने प्रभाव में लेने की कोशिश करती हैं.
राजनीतिक प्रभाव और आगे का रास्ता
यह रिपोर्ट एक ऐसे समय में आई है जब प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 6 जनवरी को अपने इस्तीफे की घोषणा की है. लिबरल पार्टी 9 मार्च को नया नेता चुनेगी. हालांकि, विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की धमकी दी है. अगर ऐसा हुआ, तो जल्द ही देश में नए चुनाव हो सकते हैं.
पिछले साल, कनाडा की खुफिया एजेंसी ने यह निष्कर्ष निकाला था कि चीन ने 2019 और 2021 के चुनावों में हस्तक्षेप किया. बीजिंग ने बार-बार इन आरोपों का खंडन किया है.
रिपोर्ट में इस बात पर भी रोशनी डाली गई है कि राजनीतिक दलों में उम्मीदवारों के चयन को प्रभावित करने की कोशिशें होती हैं. विशेषज्ञ रॉनल्ड ओ-युंग ने कहा, "कनाडा के चुनावी नियम मजबूत हैं, लेकिन रिपोर्ट में इस मुद्दे पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया कि राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों के चयन में विदेशी सरकारें कैसे हस्तक्षेप कर सकती हैं."
रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा की सरकार को अपने चुनावी ढांचे को मजबूत करने और विदेशी हस्तक्षेप रोकने के लिए पारदर्शी रणनीति अपनानी होगी. सरकार के एक प्रवक्त ने कहा, "हम अपने लोकतंत्र को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं."
वीके/सीके (रॉयटर्स, एपी)