जर्मन संसद ने चुना फ्रीडरिष मैर्त्स को चांसलर
६ मई २०२५"भावी चांसलर" या "जर्मनी के भावी चांसलर... करीब तीन महीने से सीडीयू के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स को इस संबोधन से पुकारा जा रहा था. छह मई की सुबह आखिरकार उनके पास वह मौका आ चुका था जब वे इस संबोधन से "भावी" शब्द हटाकर, पूर्ण और आधिकारिक रूप से चांसलर बन जाते. लेकिन पूरे आत्मविश्वास के साथ चांसलर बनने के लिए सदन पहुंचे मैर्त्स मंगलवार सुबह नौ बजे से हुई वोटिंग में पूर्ण बहुमत नहीं जुटा सके. उन्हें बहुमत के लिए जरूरी 316 के बजाए 310 वोट ही मिले. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी के इतिहास में यह पहला मौका था, जब चांसलर पद का दावेदार पहले राउंड में बहुमत साबित नहीं कर सका.
इसके बाद 69 साल के मैर्त्स निराश चेहरे और झुके हुए कंधों के साथ, कुछ सोचते हुए सदन से बाहर निकले. वोटिंग के नतीजों ने सिर्फ मैर्त्स ही नहीं बल्कि पूरे जर्मनी को चौंका दिया. लेकिन इनवेस्टमेंट बैंकर रह चुके मैर्त्स ने जल्द ही आगे की योजना बना डाली और अपनी पार्टी के बड़े नेताओं के साथ वे एक इमरजेंसी मीटिंग के लिए निकल पड़े. मैर्त्स और उनके सहयोगियों के बीच हो रही इस मीटिंग के दौरान विपक्ष में बैठी ग्रीन पार्टी और अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) ने नई गठबंधन सरकार पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए.
हालांकि थोड़ी ही देर बाद मैर्त्स और उनकी सहयोगी पार्टियों ने कहा कि दूसरे राउंड की वोटिंग मंगलवार दोपहर सवा तीन बजे होगी. समय पर शुरू हुई इस वोटिंग में सीडीयू/सीएसयू और एसपीडी गठबंधन के चांसलर पद के दावेदार मैर्त्स को सफलता मिली. 316 के जरूरी आंकड़े को आराम से पार करे हुए इस बार उनके समर्थन में 325 वोट पड़े और उन्हें पूर्ण बहुमत के साथ जर्मनी का नया चांसलर चुना गया.
दूसरे राउंड में मिली सफलता के कुछ ही देर बाद जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने मैर्त्स को आधिकारिक रूप से जर्मनी का चांसलर नियुक्त कर दिया.
कैसे गुजरे मैर्त्स के बीते 24 घंटे
इससे पहले पांच मई की रात, ओलाफ शॉल्त्स को चांसलर पद से आधिकारिक तौर पर विदाई दी गई. विदाई समारोह के भाषण में शॉल्त्स ने फ्रीडरिष मैर्त्स को बधाई और शुभकामनाएं दी. समारोह के समापन के बाद कई नेता मैर्त्स से हाथ मिलाते नजर आए. राजनीति के गलियारों से लेकर मीडिया तक में, यह पक्का माना जा रहा था कि मंगलवार, छह मई की दोपहर तक फ्रीडरिष मैर्त्स जर्मनी के 10वें चांसलर बन जाएंगे.
उनकी ताजपोशी की सारी तैयारियां हो चुकी थीं. गठबंधन के लिए जरूरी गणित, मैर्त्स के पक्ष में था. बहुमत के लिए जरूरी 316 वोटों के बजाए मैर्त्स के कागजों में 328 वोट तय थे. जर्मनी के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अखबार बिल्ड त्साइटुंग ने खबर दी कि चांसलर बनने के बाद रात को आयोजित होने वाली पार्टी के लिए मैर्त्स ने अपने इलाके की बीयर भी मंगाई है. न्योते भी भेजे जा चुके थे. अब बस औपचारिकता मानी जा रही प्रक्रिया को फॉलो करना था.
आधिकारिक प्रक्रिया के तहत मैर्त्स मंगलवार सुबह नौ बजे संसद के निचले सदन बुंडेसटाग पहुंचे. सदन में बहुमत साबित करने के बाद उन्हें राष्ट्रपति के आवासीय कार्यालय में पहुंचना था. तयशुदा माने जा रहे प्लान के मुताबिक, राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर उन्हें नियुक्ति पत्र देते. इसके बाद मैर्त्स वापस संसद लौटते और बुंडेसटाग में नए चांसलर के तौर पर पद की शपथ लेते.
पहले राउंड में कैसे नाकाम हुए मैर्त्स
लेकिन पहले राउंड की वोटिंग में मैर्त्स 310 वोट ही मिले. यह संख्या पूर्ण बहुमत से छह वोट कम थी. जर्मनी की संसद में कुल 630 सदस्य हैं. मैर्त्स के गठबंधन में शामिल सीडीयू/सीएसयू और एसपीडी के पास 328 सांसद या वोट हैं. मैर्त्स पहले राउंड में ही बहुमत क्यों नहीं जुटा सके, वोटिंग में कहां गड़बड़ी हुई, यह अभी साफ नहीं हुआ है. लेकिन सुबह मिली नाकामी से यह तय हो गया कि फरवरी से चांसलर इन वेटिंग कहे जाने वाले मैर्त्स को कुछ घंटे और इंतजार इंतजार करना पड़ेगा.
जर्मनी के कानून के मुताबिक पहले चरण में पूर्ण बहुमत साबित न कर पाने पर दूसरे चरण की वोटिंग होती है. बुंडेसटाग के पास अभी अगला चांसलर उम्मीदवार चुनने के लिए 14 दिन हैं. अगर दूसरे चरण में भी पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो चुनावी प्रक्रिया तीसरे चरण में दाखिल होती है, जहां चांसलर चुने जाने के लिए सामान्य बहुमत पर्याप्त माना जाता है. और अगर तब भी बहुमत न मिले तो तुरंत नए चुनाव कराने अनिवार्य है.