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बजट में मध्यम वर्ग को राहत, असल में कितना फायदा होगा?

समीरात्मज मिश्र
१ फ़रवरी २०२५

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को लोकसभा में बजट 2025 पेश कर दिया. बजट में आयकर पर छूट की सीमा बढ़ाकर मध्यम वर्ग को राहत देने की कोशिश की गई है. लेकिन इसका कितना असर होने वाला है, जानिए?

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बजट बनाने वाली अपनी टीम के साथ भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण.
विपक्षी पार्टियों ने इस बजट को चुनाव वाला बजट बताया है. वजह हैं बिहार के लिए बजट में किए गए कई प्रावधान. बिहार में इस वर्ष के आखिर तक विधानसभा चुनाव होना है.तस्वीर: AP/picture alliance

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को लोकसभा में पेश किए गए अपने लगातार रिकॉर्ड आठवें बजट में मध्य वर्ग को बड़ी राहत देने की कोशिश की है. साथ ही बिहार के लिए कई घोषणाएं की गई हैं. इन दो वजहों से इसे चुनावी बजट भी कहा जा रहा है लेकिन अर्थव्यवस्था में सुस्ती और विकास दर पर उठ रहे सवालों के बीच बजट में अन्य वर्गों को भी राहत देने की कोशिश की गई है.

बजट 2025-26: सरकार की बड़ी घोषणाएं, मध्यमवर्ग को कुछ राहत

मध्यम वर्ग के लिए राहत

इस बार के बजट की जिस घोषणा का सबसे ज्यादा जिक्र हो रहा है, बजट भाषण में वित्त मंत्री ने उसके बारे में सबसे आखिर में बताया. इस घोषणा के तहत नई टैक्स व्यवस्था में 12 लाख रुपये तक की आय पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा.

पिछले कुछ साल से आयकर सीमा बढ़ाने की मांग उठाई जा रही थी. 2023 में कर मुक्त आय की सीमा सात लाख होने के बाद इस बार लोगों को उम्मीद थी कि शायद इसे बढ़ाकर दस लाख कर दिया जाए. लेकिन सरकार ने लोगों की उम्मीद से आगे बढ़कर इसे 12 लाख कर दिया.

जानकारों का कहना है कि आयकर स्लैब में की गई इस घोषणा से करदाताओं के हाथ में ज्यादा नगदी आएगी लेकिन इसका फायदा उनसे ज्यादा बिजनेस इंडस्ट्री को मिलेगा. आर्थिक मामलों के जानकार और ‘इंडियन इकोनॉमी' पुस्तक के लेखक डॉक्टर रमेश सिंह कहते हैं, "मध्य वर्ग के हाथ में नगदी उनके बचत खाते में बहुत ज्यादा नहीं जाएगी. मिडिल क्लास उसे खर्च करेगा और उसका यह खर्च उद्योगों का भरोसा बढ़ाएगा. इससे खपत बढ़ेगी और खर्च की यह प्रवृत्ति आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी.”

मुंबई स्थित बिजनेस पत्रकार धीरज अग्रवाल इस बार के बजट में सबसे महत्वपूर्ण बिंदु, टैक्स स्लैब में छूट को ही मानते हैं. उनके मुताबिक, यह घोषणा आम लोगों को सबसे ज्यादा राहत देने वाली है. डीडब्ल्यू से बातचीत में धीरज अग्रवाल कहते हैं, "निश्चित तौर पर यह 12 लाख रुपये तक की आय वाले वर्ग के लिए राहत भरी खबर है. स्टैंडर्ड छूट को भी मिला लें तो यह सीमा 12 लाख 75 हजार है. पिछले वित्त वर्ष के आंकड़े देखें तो आयकर रिटर्न फाइल करने वाले 80 फीसद लोग इसी दायरे में थे. तो इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि बजट में की गई सरकार की यह घोषणा कितने लोगों को फायदा पहुंचाने वाली है. लेकिन एक बात है, यह फायदा उन्हें ही मिलेगा जो नए सिस्टम में आयकर फाइल कर रहे थे. पुराने वालों को कोई फायदा नहीं होगा.”

टैक्स व्यवस्था में बदलाव चाहती है सरकार

धीरज अग्रवाल बताते हैं कि सरकार दरअसल यही चाहती है कि नई इनकम टैक्स व्यवस्था को ही सभी लोग अपनाएं, इसीलिए उनके लिए ही यह बड़ी राहत दी गई है. वह कहते हैं, "सरकार यही चाहती है कि लोग नए दायरे में आएं और धीरे-धीरे पुराने सिस्टम को खत्म कर दिया जाए. हालांकि इस बारे में ज्यादा स्पष्टता तभी आएगी और इस मामले में सरकार के रुख का पता तभी चलेगा जब अगले हफ्ते आयकर विधेयक लाया जाएगा.”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने करीब डेढ़ घंटे बजट भाषण में टैक्स स्लैब्स की जानकारी सबसे अंत में दी और इसकी घोषणा के साथ ही सत्ता पक्ष के लोग मेजें थपथपाकर स्वागत करते दिखे. सत्ता पक्ष के सांसदों के चेहरे पर मुस्कराहट दिख रही थी लेकिन विपक्ष ने सवाल उठाए हैं कि लोग जितना खुश हो रहे हैं, उतना खुश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि वित्त मंत्री ने पुराने टैक्स स्लैब का जिक्र नहीं किया है.

कांग्रेस पार्टी के सांसद शशि थरूर ने मीडिया से बातचीत में कहा, "बीजेपी के लोग जिस बात को लेकर जश्न मना रहे हैं, वह मध्यम वर्ग के लिए टैक्स में छूट की सीमा है. लेकिन हम सब इसकी विस्तृत जानकारी का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर कुछ मूलभूत सवाल हैं और वित्त मंत्री उस पर क्या कर रही हैं, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है.”

लेकिन नौकरीपेशा लोगों के अलावा छोटे व्यवसायी भी सरकार की इस घोषणा से खुश दिख रहे हैं. गाजियाबाद में किराना स्टोर चलाने वाले रमेश तनेजा कहते हैं, "इस बजट से व्यापारी वर्ग को काफी राहत मिली है. टैक्स स्लैब में बदलाव से व्यापारियों को फायदा होगा क्योंकि पहले लोग टैक्स स्लैब से बाहर न जाने के डर से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन कम करते थे. अब टैक्स स्लैब बढ़कर बारह लाख रुपए कर दिए गए हैं तो ऑनलाइन ट्रांजैक्शन बढ़ेगा.”

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य.
संसद का बजट सत्र शुरू होने से पहले पत्रकारों को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.तस्वीर: AP/picture alliance

बिहार पर नजर

बिहार में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं और इस बार के बजट में बिहार पर जमकर फोकस किया गया है. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने तो यह तक कह दिया कि ‘समझ में ही नहीं आ रहा है कि यह केंद्र सरकार का बजट है या फिर बिहार सरकार का.'

वित्त मंत्री ने राज्य में कई योजनाओं और परियोजनाओं की घोषणा की, जिसमें एक मखाना बोर्ड की स्थापना भी शामिल है, जो इस साल चुनावों से पहले होगा. इसके अलावा वित्त मंत्री ने पश्चिमी कोसी नहर विस्तार, नवीकरण और आधुनिकीकरण परियोजना, पटना में IIT का विस्तार और ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की स्थापना सहित बिहार के लिए कई अन्य घोषणाएं कीं.

माना जा रहा है कि यह घोषणा बिहार के किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी और मखाना बोर्ड के गठन से किसानों को काफी लाभ होगा. बिहार में फिलहाल करीब 35 हजार हेक्टेयर में मखाने की खेती होती है और 25 हजार से ज्यादा किसान इससे जुड़े हुए हैं. बिहार देश में सबसे ज्यादा मखाना उत्पादन करने वाला राज्य है.

बीमा क्षेत्र में एफडीआई

बजट में बीमा क्षेत्र से जुड़ी एक बड़ी घोषणा की गई है. बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी FDI की सीमा को 74 फीसद से बढ़ाकर सौ फीसद कर दिया गया है. यानी अब कोई विदेशी कंपनी अगर इस सेक्टर में निवेश करती है तो इसके लिए उसे किसी भारतीय कंपनी के साथ की जरूरत नहीं होगी. लेकिन इस घोषणा का असर शेयर बाजार पर सीधे तौर पर पड़ा. ज्यादातर बीमा स्टॉक लाल निशान में बंद हुए. विदेशी कंपनियों के बीमा क्षेत्र में निवेश की वजह से भारतीय कंपनियों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा. हालांकि डॉक्टर रमेश सिंह कहते हैं कि इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को होगा.

उनके मुताबिक, "बीमा क्षेत्र में सरकार कह रही है कि 100 प्रतिशत एफडीआई संभव है, बशर्ते इंश्योरेंस प्रीमियम से कंपनियां जो कमाई करेंगी, उसे भारत में ही खर्च करना होगा, निवेश करना होगा. हां, जो प्रॉफिट कमाएंगी, उसे भले ही बाहर ले जा सकेंगी.”

वहीं धीरज अग्रवाल कहते हैं कि बीमा क्षेत्र में 100 फीसद एफडीआई तो देर-सबेर होना ही था. उनके मुताबिक, "जब इंश्योरेंस सेक्टर निजी क्षेत्र के लिए खोला गया तो ये तय था कि आगे चलकर यही होना है. पहले 26 प्रतिशत था और अब 100 प्रतिशत है. विदेशी निवेश तो बढ़ेगा, साथ ही यहां की कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी. लेकिन उपभोक्ताओं को इसका लाभ भी होगा.”

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में रेलवे की लिए सरकार की नीतियों पर ज्यादा बात नहीं की.
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में रेलवे की लिए सरकार की नीतियों पर ज्यादा बात नहीं की.तस्वीर: Sonu Mehta/Hindustan Times/IMAGO

शोध में निजी क्षेत्र को ज्यादा मौके

बजट में अनुसंधान और विकास के लिए बीस हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. इसमें निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी होगी. यह पहली बार है जब इस सेक्टर में इतना ज्यादा आवंटन किया गया है. डॉक्टर रमेश सिंह के मुताबिक, सरकार का यह फैसला अनुसंधान क्षेत्र में उस निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करेगा जो अब तक इस क्षेत्र से दूर रहता था. उनके मुताबिक, "सरकार इस कोशिश में है कि प्राइवेट सेक्टर इनोवेशन में निवेश करे. प्राइवेट सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए बजट में इतना बड़ा आवंटन किया गया है. विचार अच्छा है लेकिन अबी स्कीम की घोषणा होगी तब ज्यादा स्पष्ट होगा कि किस तरह से निजी क्षेत्र को इस सेक्टर में सरकार से मदद मिलेगी.”

बजट के बाद बाजार की प्रतिक्रिया

बजट पेश होने से पहले भारत में शेयर बाजार में उछाल दिखा, लेकिन बजट पेश होने के बाद शेयर मार्केट काफी नीचे चला गया और आखिर में गिरावट के साथ बंद हुआ. धीरज अग्रवाल इसकी वजह बताते हैं, "शेयर बाजार सुबह खुले तो उछाल था यानी उम्मीद थी कि सरकार निवेशकों को ध्यान में रखते हुए और विदेशी निवेश को देखते हुए कुछ ऐसे ऐलान करेगी जो गेम चेंजर होंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लोगों को उम्मीद थी कि शायद सरकार कुछ ऐसे कदम उठाए जो ट्रंप की पाबंदियों को संतुलित करने वाली हों, लेकिन ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई. जो घोषणाएं थीं वे एक तरह से वैसी घोषणाएं थीं जो बजट में आमतौर पर होती ही हैं. मसलन, शिक्षा, रक्षा, सोशल वेलफेयर इत्यादि क्षेत्रों में पैसे का आवंटन. तो इसीलिए शेयर मार्केट में गिरावट आ गई.”