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बांग्लादेश में अगले साल रमजान से पहले हो सकते हैं आम चुनाव

आदर्श शर्मा डीपीए, रॉयटर्स
६ अगस्त २०२५

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने घोषणा की है कि अगले आम चुनाव फरवरी 2026 में होंगे. इससे पहले सरकार ने अप्रैल 2026 में चुनाव करवाने की बात कही थी. राजनीतिक दबाव को चुनाव की तारीखों में बदलाव की वजह माना जा रहा है.

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पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के पतन की पहली सालगिरह पर जश्न मनाते बांग्लादेशी युवा
बांग्लादेश में 5 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के पतन की पहली सालगिरह मनाई गईतस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने मंगलवार (5 अगस्त) को कहा, "अंतरिम प्रशासन की ओर से, मैं चुनाव आयोग से आधिकारिक तौर पर अनुरोध करूंगा कि आम चुनाव फरवरी 2026 में रमजान से पहले करवाए जाएं.” अनुमान है कि साल 2026 में रमजान का महीना 16 से 18 फरवरी के बीच में शुरू होगा. यानी फरवरी के शुरुआती दो हफ्तों में बांग्लादेश में आम चुनाव कराए जा सकते हैं. हालांकि, अंतरिम सरकार ने चुनाव की कोई स्पष्ट तारीख अभी नहीं बताई है.

न्यूज एजेंसी डीपीए के मुताबिक, यूनुस ने कहा कि चुनाव निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और उत्सव भरे माहौल में हों, यह सुनिश्चित करने के लिए उनका प्रशासन पूरा सहयोग करेगा. इससे पहले जून में यूनुस ने अप्रैल 2026 में चुनाव करवाने की बात कही थी. हालांकि, बाद में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के शीर्ष नेता तारिक रहमान से लंदन में मुलाकात करने के बाद यूनुस चुनाव को आगे खिसकाने पर राजी हो गए.

5 अगस्त को जुलाई घोषणापत्र पढ़ते मोहम्मद यूनुस का टीवी प्रसारण देखते हुए लोग
मोहम्मद यूनुस ने लोगों से अपील की कि वे सुधार के इस "मौके” का फायदा उठाएंतस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS

छात्र आंदोलन को मिलेगी संवैधानिक मान्यता

बांग्लादेश में मंगलवार, 5 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के पतन की पहली सालगिरह मनाई गई. इस मौके पर देश भर में कार्यक्रम आयोजित किए गए. राजधानी ढाका में हजारों नागरिक रैलियों, समारोहों और प्रार्थना सभाओं में शामिल होने के लिए जमा हुए. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, बड़ी संख्या में लोगों ने इसे बांग्लादेश की "दूसरी आजादी” बताते हुए जश्न मनाया.

इस मौके पर मोहम्मद यूनुस ने "जुलाई घोषणापत्र” पढ़ा, जिसका मकसद पिछले साल छात्रों के नेतृत्व में हुए आंदोलन को संवैधानिक मान्यता देना है. यूनुस ने कहा, "बांग्लादेश के लोगों ने अपनी इच्छा व्यक्त की है कि 2024 के छात्र-जन विद्रोह को उचित राजकीय और संवैधानिक मान्यता मिले.” छात्रों के नेतृत्व में हुए इस विद्रोह के चलते ही पिछले साल 5 अगस्त को शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भारत भागना पड़ा था.

हसीना के भाषण से फिर भड़के बांग्लादेशी

यूनुस ने कहा कि अगले आम चुनावों में चुनकर आई सरकार संविधान में बदलाव करेगी और उसकी अनुसूची में जुलाई घोषणापत्र को शामिल किया जाएगा. उनके समर्थक इस चार्टर को संस्थागत सुधार की नींव के तौर पर देखते हैं. वहीं, उनके आलोचकों का कहना है कि कानूनी ढांचे या संसदीय सहमति के बिना इसका प्रभाव काफी हद तक प्रतीकात्मक ही हो सकता है.

अंतरिम सरकार ने लोकतांत्रिक सुधारों पर भी दिया जोर

मोहम्मद यूनुस ने लोगों से अपील की कि वे सुधार के इस "मौके” का फायदा उठाएं. उन्होंने एक पत्र में लिखा, "हजारों लोगों के बलिदान की वजह से हमें राष्ट्रीय सुधार का यह दुर्लभ अवसर मिला है और हमें किसी भी कीमत पर इसकी सुरक्षा करनी होगी.” उन्होंने कहा कि राजनीतिक और चुनावी प्रणालियों समेत आवश्यक सुधारों पर राजनीतिक दलों और हितधारकों के साथ बातचीत चल रही है.

यूनुस ने आगे कहा, "हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में कोई भी सरकार दोबारा फासीवादी ना बन सके. देश का पुनर्गठन इस तरह किया जाना चाहिए कि फासीवाद का कोई भी लक्षण, जहां कहीं भी दिखाई दे, उसे तुरंत खत्म किया जा सके.” उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर एक "ऐसा बांग्लादेश बनाएंगे, जहां अत्याचार फिर कभी नहीं पनपेगा.”

बांग्लादेश में पिछले साल क्या हुआ था

आवामी लीग की नेता और देश की आजादी के अगुवा रहे शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी, शेख हसीना ने 15 साल से अधिक समय तक बंग्लादेश में सत्ता संभाली. उनके शासनकाल में अर्थव्यवस्था तो आगे बढ़ी लेकिन उन पर राजनीतिक विरोधियों को दबाने के आरोप भी लगे. उनकी सरकार में कई बार विरोध-प्रदर्शनों पर हिंसक कार्रवाई हुई और विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया गया.

जुलाई 2024 में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली के खिलाफ युवा सड़कों पर उतर आए. वे उस प्रणाली का विरोध कर रहे थे, जिसके तहत सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी पद 1971 में आजादी के लिए लड़ने वालों और उनके वंशजों के लिए आरक्षित किए गए थे. युवाओं की मांग थी कि इस आरक्षण को समाप्त किया जाए. शांतिपूर्व ढंग से शुरू हुआ यह प्रदर्शन आगे चलकर हिंसक हो गया.

संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, सुरक्षा बलों के साथ हुई झड़पों में करीब 1,400 लोग मारे गए थे. इन मौतों से लोगों का गुस्सा और बढ़ गया और इसने एक विद्रोह का रूप ले लिया. स्थिति बेकाबू होने के बाद शेख हसीना ने 5 अगस्त को बांग्लादेश छोड़ दिया और वे भारत आ गईं. वहीं, बांग्लादेश में उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा रहा है और उनकी पार्टी आवामी लीग के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

आदर्श शर्मा
आदर्श शर्मा डीडब्ल्यू हिन्दी के साथ जुड़े आदर्श शर्मा भारतीय राजनीति, समाज और युवाओं के मुद्दों पर लिखते हैं.