आखिर अश्लील सोच से कब उबरेगी भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री
५ सितम्बर २०२५ताजा विवाद लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम से संबंधित है, जिसमें पवन सिंह ने बिना सहमति अंजलि राघव की कमर को बार-बार टच किया. दोनों हाल में ही रिलीज हुए अपने भोजपुरी गाने ‘सईंया सेवा करे' के प्रमोशन के लिए यहां पहुंचे थे. अंजलि ने उस समय तो बैड टच को हंस कर टाल दिया, लेकिन बाद में इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर कर बताया कि उस कार्यक्रम में उनके साथ क्या हुआ था.
अंजलि ने कहा कि स्टेज पर मौजूदगी के दौरान पवन सिंह ने उनकी कमर पर हाथ रखते हुए कहा कि इधर कुछ लगा हुआ है. नहीं, कुछ नहीं लगा है कहने पर उन्होंने फिर टच करते हुए कहा कि कुछ लगा हुआ है. बाद में जब अलग हटकर अपनी टीम के लोगों से पूछा कि वाकई, कुछ चिपका हुआ है क्या, तो उनका जवाब था नहीं, कुछ नहीं लगा हुआ है. अंजलि के मुताबिक, तब उन्हें रोना आया और बहुत गुस्सा भी. उस वक्त उन्हें समझ नहीं आया कि क्या करना चाहिए. अंजलि राघव ने कहा, "वैसे भी वहां पवन का फैन बेस था. मैं कुछ कहती तो कोई मेरा सपोर्ट नहीं करता. ये सब हरियाणा में हुआ होता तो पब्लिक जवाब दे देती."
बिहार: डबल मीनिंग वाले भोजपुरी गाने बजाए तो जाएंगे जेल
'क्या हुआ, कमर ही तो छुआ था'
अंजलि राघव का यह वीडियो सामने आने के बाद पवन सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर माफी मांगते हुए कहा कि उनका गलत इंटेंशन नहीं था, क्योंकि "हमलोग कलाकार हैं. इसके बावजूद मेरे किसी भी व्यवहार से तकलीफ हुई है तो मैं क्षमाप्रार्थी हूं." वहीं, बीबीसी से बातचीत में अंजलि राघव ने कहा कि उनके (पवन सिंह) सॉरी बोलने के बाद बात खत्म हो गई, किंतु उनके फैंस ट्रोल कर रहे कि छू दिया तो क्या हुआ. यहां तो ये भी होता है, वो भी होता है. कमर ही तो छुआ था. अंजलि ने कहा, "यह बात समझ में आई कि भोजपुरी इंडस्ट्री में यह नॉर्मल है, जिसे जहां चाहो, टच करो. मैं हरियाणवी इंडस्ट्री से हूं, इसलिए यह बात मुझे बुरी लगी."
इधर, पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह ने भी एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि उन्हें स्टेज पर इस तरह से लड़की की कमर को छूने से पहले सोचना चाहिए था. वहीं, ऑल इंडिया सिने वर्कर्स एसोसिएशन (एआईसीडब्ल्यूए) ने अंजलि राघव की हिम्मत की सराहना करते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग से तुरंत इस मामले पर संज्ञान लेने की अपील की है. दूसरी तरफ भोजपुरी एक्ट्रेस शालिनी ने इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर कर कहा कि "उस इवेंट में जब ये चीजें हुईं तो हम सब सामने ही थे. कुछ भी ऐसा तो नहीं हुआ, जिससे लगे कि अरे ये गलत हो रहा है. वे (पवन) हमारे साथ भी बच्चों के जैसे ट्रीट करते हैं. गले लगाते हैं, गाल खींचते हैं. कभी ऐसा वीडियो वायरल तो नहीं हुआ है उनका."
पवन सिंह का कई विवादों से रहा है नाता
पवन सिंह भोजपुरी के काफी लोकप्रिय एक्टर व सिंगर हैं. उनके कई गाने काफी पापुलर रहे हैं. उन्होंने सत्या, हर-हर गंगे और प्रतिज्ञा जैसी फिल्म में अभिनय भी किया है. इंस्टाग्राम पर उनके 49 लाख फॉलोअर्स हैं. अंजलि को अनुचित तरीके से छूने के बाद लखनऊ के ही इवेंट का उनका एक और वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे अपने नाबालिग भतीजे को मंच पर अंजलि राघव को गले लगाने के लिए मजबूर करते दिखाई दिए.
दरअसल, इससे पहले भी पवन सिंह विवादों में रहे हैं, निजी जिंदगी में भी. हाल में ही उनकी दूसरी पत्नी ज्योति सिंह ने भी उन पर उन्हें अकेले छोड़ने का आरोप लगाया था. यहां तक कहा कि सुसाइड करने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं रह गया था. इसके अलावा ज्योति ने पवन पर मैसेज का जवाब नहीं देने तथा घरेलू हिंसा के भी आरोप लगाए थे. इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर किए गए ज्योति के पोस्ट पर पवन के फैंस भी भाभी को अपना लेने की गुजारिश करते देखे गए. उनकी पहली पत्नी नीलम सिंह ने 2014 में शादी के कुछ दिनों बाद ही आत्महत्या कर ली थी. तब नीलम की बहन ने पवन पर आरोप लगाया था कि उनके पास पत्नी के लिए समय नहीं था, इससे ही डिप्रेशन में आकर उसने सुसाइड किया.
भोजपुरी फिल्म अभिनेत्री अक्षरा सिंह के साथ पवन सिंह के अफेयर ने भी खूब सुर्खियां बटोरी थीं, किंतु यह रिश्ता भी ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका था. उन्होंने पवन पर मारपीट करने और जबरदस्ती माफी मंगवाने जैसे गंभीर आरोप भी लगाए थे. भोजपुरी एक्टर खेसारी लाल यादव के साथ उनका कोल्ड वॉर भी काफी चर्चित रहा था. अब अंजलि राघव विवाद के बाद वाराणसी की एक अदालत के आदेश पर पुलिस ने पवन सिंह और तीन अन्य के खिलाफ 1.3 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी तथा हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की है.
क्या तमिलनाडु के स्टालिन को देखकर वोट देगी बिहार की जनता
राजनीति में जाने को हैं बेताब
भोजपुरी गायक मनोज तिवारी, रविकिशन और दिनेश लाल निरहुआ की तरह पवन सिंह भी सांसद-विधायक बनने को बेताब हैं. उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत तब हुई, जब 2014 में वे बीजेपी में शामिल हुए. 2024 के लोकसभा चुनाव में पहली लिस्ट में बीजेपी ने उन्हें पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से टिकट दिया. इसकी जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया पर स्वयं दी थी. किंतु, 24 घंटे के अंदर ही उन्होंने कहा कि वे आसनसोल से उम्मीदवार नहीं हो सकते.
तब यह माना गया कि उनके भोजपुरी गाने में पश्चिम बंगाल की महिलाओं का अपमान किया गया था, इसी वजह से उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए. इन गानों को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने पवन सिंह की आलोचना भी की थी. इसके बाद उन्होंने बिहार की काराकाट लोकसभा सीट से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ा. तब उनके सामने पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा थे. इस चुनाव में दोनों ही इंडिया गठबंधन के राजाराम सिंह से हार गए. पवन सिंह ने अब फिर 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है लेकिन पार्टी और क्षेत्र दोनों की जानकारी सामने नहीं आई है.
'ऑब्जेक्ट' की तरह समझी जाती हैं अभिनेत्रियां
बिहार की एक सामाजिक कार्यकर्ता मधु श्री डीडब्ल्यू हिन्दी से बातचीत में कहती हैं, "जगजाहिर है कि भोजपुरी सिनेमा में अभिनेत्रियों को क्या-क्या सहना पड़ता है. किसी भी स्टेज पर एक्ट्रेस के साथ एक्टर ओछी हरकत करते देखे जा सकते हैं. उनके बीच के संवाद भी द्विअर्थी ही होते हैं. दरअसल, एक्ट्रेस को ऑब्जेक्ट की तरह ही देखा जाता है." इससे पहले अभिनेत्री काजल राघवानी ने आरोप लगाया था कि एक फिल्म में चुंबन का सीन नहीं था, लेकिन पवन सिंह ने जबरदस्ती सीन डालने को कहा और जब काजल ने मना कर दिया तो उन्होंने पूरी शूटिंग ही रोक दी थी.
सोशल साइंस की पीजी की छात्रा निशा श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘पितृसत्तात्मक सोच के कारण ही भोजपुरी फिल्मों में द्विअर्थी गानों की भरमार है. सार्वजनिक वाहनों में बज रहे ऐसे गानों से मनोदशा क्या हो जाती है, इसे एक लड़की ही समझ सकती है. मर्द तो बस खीसें निपोरते हैं.''
नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर एक एलबम में काम कर चुकी एक युवती कहती है, "भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री का पूरा स्ट्रक्चर ही फूहड़ता पर आधारित है. यौन उत्पीड़न की तो पूछिए ही मत. औरत वहां महज एक वस्तु भर है. तभी तो अभिनेता खेसारी लाल कहते सुने गए कि यदि कोई मंदिर में भंडारे का प्रसाद बनेगा तो हम ग्रहण करेंगे ही." वह आगे बेबाक अंदाज में कहती हैं, "मैंने तौबा कर ली, इसलिए इतना कह दिया. जो इंडस्ट्री में है, उसकी क्या मजाल. नामी-गिरामी एक्टरों को यह भी दंभ है कि किसी का करियर वे बना और बिगाड़ सकते हैं. बुनियादी मुद्दों और न्यायिक चेतना पर फिल्म कहां बनती है. नदिया के पार और गंगा किनारे मोरा गांव जैसी फिल्में अतीत की बात रह गईं."
भिखारी ठाकुर की भोजपुरी और पवन सिंह का धूम-धड़ाका
फिल्म निर्माताओं की संस्था इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (इंपा) के अध्यक्ष अभय सिन्हा कहते हैं, "जो लोग बिहार-यूपी से नहीं आते हैं, उनको लगता है कि भोजपुरी इंडस्ट्री में बहुत पैसा है, वे लोग ही द्विअर्थी का काम करते हैं. जो बिहार-यूपी से हैं, वे अच्छी फिल्में बना रहे. हमने बिदेसिया बनाई, बंधन टूटे ना बनाया." उनका मानना है कि भोजपुरी को ऐसे भी बदनाम किया जाता है. आखिर हिंदी फिल्मों में भी तो शीला की जवानी, मुन्नी बदनाम हुई जैसी चीजें बनती हैं.
अपराध और अराजकता से सुर्खियां बटोरता बिहार
साठ के दशक को याद कर बक्सर निवासी राम शंकर सिंह कहते हैं, "एक जमाना था जब भिखारी ठाकुर के इंतजार में लोग दिन गिनते थे. लोकप्रियता इतनी कि जहां जाते थे, मेला लग जाता था. उनका नाटक बिदेसिया हो या बेटीबेचवा, लोग कब हंसते-हंसते रोने लग जाते थे, पता ही नहीं चलता था. उनके गीतों में भक्ति, वात्सल्य, प्रेम और हास्य-व्यंग्य का पुट रहता था." महेंदर मिसिर का - अंगुली में डसले बिया नगिनिया रे - किसको याद नहीं होगा. फिर जमाना आया टेप-रिकार्डर का और गूंजने लगी शारदा सिन्हा और भरत शर्मा व्यास की आवाज. इनके अलावा और भी कई गायक हुए. भले ही बिहार में अपराध के बढ़ते आंकड़े क्या कह रहे हैंवे स्टार नहीं बने, लेकिन उनका महत्व कम नहीं हुआ.
राम शंकर सिंह आगे कहते हैं, "इसके बाद जमाना आया मनोज तिवारी का और सुनाई देने लगा- बगलवाली जान मारे ली. इस गीत ने धूम मचा दी. हां, एक बात और हुई कि अब महिला डांसर भी स्टेज पर दिखने लगी. फिर दिनेश लाल यादव निरहुआ और पवन सिंह का जमाना आया और बजने लगा लालीपॉप लागे लू. देखते ही देखते म्यूजिक का ट्रेंड ही बदल गया- डीजे और धूम धड़ाका. हमें तो भोजपुरी गीतों की इस दुर्गति पर शर्म ही आती है, भले ही नई पीढ़ी गर्व करे."