पहली बार मिली सौर मंडल के जन्म की झलक
२० जुलाई २०२५वैज्ञानिकों को लगता है कि इस खोज के सहारे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारा अपना सौर मंडल शुरुआत में कैसे विकसित हुआ होगा. नासा की जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप और चिली स्थित यूरोप की दक्षिणी ऑब्जर्वेट्री, अल्मा ऐरे के जरिए इस विश्वास को ताकत मिली है. इन दोनों के जरिए अंतरिक्ष विज्ञानियों ने देखा कि कैसे एक नवजात तारे के चारों तरफ गैसों की एक तश्तरी या प्लेट सी बन रही है. इस नवजात तारे को HOPS-315 नाम दिया गया है. पृथ्वी से इसकी दूरी 1,370 प्रकाश वर्ष है.
HOPS-315 की उम्र एक लाख से दो लाख साल के बीच आंकी गई है. खगोलीय संदर्भ में इस कालखंड को शिशुकाल ही माना जाता है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि वक्त बीतने के साथ साथ HOPS-315 भी हमारे सूर्य की तरह एक पीले और धधकते गोले में बदलता जाएगा और इसके आस पास कई किस्म के सृजन होंगे.
सौर मंडल और ग्रहों के जन्म को समझने का मौका
लाइडन यूनिवर्सिटी की लीड रिसर्चर मेलिसा मैक्लर के मुताबिक, "हमने ऐसे धधकते इलाके की सीधी झलक पाई है जहां एक युवा प्रोटोस्टार के आस पास धरती जैसे पथरीले ग्रह पैदा हो रहे हैं. यह पहली बार है, जब हम निर्णायक तौर पर कह सकते हैं कि ग्रहों के बनने का प्राथमिक चरण अभी चल रहा है."
इस प्रक्रिया की तुलना हमारे सौर मंडल से करते हुए मैक्लर कहती हैं, "हमारा शोध दिखाता है कि यह वही आम प्रक्रिया हो सकती है, जिसके तहत शुरुआती चरण में ग्रह का निर्माण होता है."
इस शोध से जुड़ी जानकारी विज्ञान मामलों की पत्रिका नेचर में छापी गई है. वैज्ञानिकों द्वारा मुहैया कराई गई तस्वीर में अंधकार के बीच में एक चमकीले कीड़े जैसा आकार दिखाई पड़ रहा है. वैज्ञानिक इसे ही वह ब्रह्मांडीय नर्सरी कह रहे हैं, जहां एक दिन संभावित रूप से कई ग्रह हमें दिखेंगे.
क्या हमारी धरती भी ऐसे ही बनी
फिलहाल यह कहना नामुमकिन है कि HOPS-315 कितने ग्रहों को जन्म देगा. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि गैसों से बनी इसकी बहुत बड़ी तश्तरी या प्लेट, करीब आठ ग्रहों को संभाल सकती है. हालांकि इस प्रक्रिया में करोड़ों साल लग सकते हैं.
अंतरिक्ष विज्ञानी अब तक यह मानते आए हैं कि 4.5 अरब साल से भी ज्यादा पहले, इसी तरह के बिल्डिंग ब्लॉक्स ने सौर मंडल में हमारी पृथ्वी और अन्य ग्रहों की रचना की. HOPS-315 में फिलहाल वही प्रक्रिया घट रही है, जो कभी हमारे सौर मंडल में मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच मौजूद खगोलीय बेल्ट में हुई.
शिकागो यूनिवर्सिटी के फ्रेड शिस्ला इस शोध में शामिल नहीं हैं लेकिन वह कहते हैं, "ये उन चीजों में से एक है, जिसका हम लंबे समय से इंतजार कर रहे थे."
खगोलविज्ञानियों को उम्मीद है कि ऐसी कुछ और खोजें इस अवधारणा की पुष्टि कर देंगी कि शुरुआत में ग्रह कैसे पैदा हुए.