बाकी दुनिया से दोगुनी तेजी से गर्म हो रहा है एशिया
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एशिया बाकी दुनिया की तुलना में दोगुनी तेजी से गर्म हो रहा है. जानिए क्यों हो रहा है ऐसा और इसके क्या परिणाम हो रहे हैं.
बहुत तेजी से गर्म हो रहा है एशिया
संयुक्त राष्ट्र की मौसम संस्था वर्ल्ड मीटियोरोलॉजिकल आर्गेनाईजेशन (डब्ल्यूएमओ) की ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूरी धरती जितनी तेजी से गर्म हो रही है, एशिया उसकी दोगुनी गति से गर्म हो रहा है. एशिया के गर्म होने की यह दर धीमी होने का नाम नहीं ले रही है.
क्यों हो रहा है ऐसा
डब्ल्यूएमओ के मुताबिक एशिया के साथ ऐसा उसके विशाल आकार की वजह से हो रहा है, क्योंकि समुद्र के मुकाबले जमीन पर तापमान ज्यादा जल्दी बढ़ता है. इतनी तेजी से गर्मी के बढ़ने से पूरे महाद्वीप की प्राकृतिक प्रणालियों और इंसानों पर बड़ा असर पड़ेगा. एशिया के इर्द गिर्द के महासागरों का तापमान भी बढ़ रहा है. 2024 में हिंदा महासागर और प्रशांत महासागर के सतह का तापमान इतना बढ़ा कि नया रिकॉर्ड बन गया.
जलवायु आपातकाल
इसके अलावा लंबी अवधि तक चलने वाली गर्मी की लहरों (हीट वेव) की वजह से पूरे महाद्वीप में तबाही देखने को मिली. इसकी वजह से ग्लेशियर पिघले और समुद्र का स्तर भी बढ़ गया.
भारत का भी जिक्र
एशिया में कुछ देशों और कुछ इलाकों में हुई रिकॉर्ड बारिश से भारी बर्बादी हुई. रिपोर्ट में केरल के वायनाड में भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन का जिक्र किया गया है, जिसमें 350 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. रिपोर्ट में कजाखस्तान का भी उदाहरण दिया गया है जहां रिकॉर्ड बारिश और बर्फ के पिघलने से 70 सालों की सबसे भयानक बाढ़ आई. कजाखस्तान में हजारों ग्लेशियर हैं.
कहीं बारिश, कहीं सूखा
कई दूसरे देशों और इलाकों में इसके ठीक उलट हुआ - यानी पर्याप्त बारिश हुई ही नहीं. जैसे चीन में भारी सूखा पड़ा जिससे 47 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए और लाखों हेक्टेयर में फैली फसलें बर्बाद हो गईं.
कैसे निपटें इन हालात से
डब्ल्यूएमओ ने रिपोर्ट में जोर दे कर कहा कि इस तरह के मौसमी हालात से निपटने का एक ही तरीका है - और ज्यादा अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाए जाएं और साथ ही लोगों की मदद की जाए जिससे कि वो इनसे निपटने में सक्षम बन सकें.
नेपाल का उदाहरण
रिपोर्ट में खास तौर पर नेपाल से सीखने के बारे में कहा है, जहां सितंबर 2024 में बड़े पैमाने पर बाढ़ और भूस्खलन में कुछ इलाकों में अर्ली वार्निंग सिस्टम की वजह से जानमाल का नुकसान बचाया जा सका. कुल मिला कर पूरे देश में 246 लोग मारे गए, हालांकि बराहक्षेत्र जैसे इलाकों में इन्हीं सिस्टमों की वजह से समय रहते लोगों को निकाल लिया गया.