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गाजा की भुखमरी देख इस्राएल पर बदल रहा है जर्मनी का रुख

निखिल रंजन रॉयटर्स
९ अगस्त २०२५

गाजा में बढ़ते मानवीय संकट और इस्राएल के सैन्य नियंत्रण की योजनाओं ने जर्मनी पर इस्राएल को हथियारों का निर्यात रोकने के लिए दबाव बनाया है. जर्मनी के लिए यह ऐतिहासिक कदम है, जो लोगों के बढ़ते विरोध के बाद उठाया गया है.

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गाजा के मलबे में जरूरी चीजों की तलाश करते गाजा के निवासी
7अक्टूबर के हमले के बाद इस्राएली सेना की जवाबी कार्रवाई में गाजा मलबे का ढेर बन गया हैतस्वीर: Mahmoud Issa/REUTERS

अब तक इस्राएल के पक्के समर्थक रहे रूढ़िवादी चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स ने शुक्रवार (8 अगस्त) को हथियारों की सप्लाई रोकने की घोषणा की. उनकी दलील है कि इस्राएल का कदम उसकेयुद्ध के लक्ष्य को हासिल करने में मददगार नहीं होगा.

इससे पहले इस्राएल ने गाजा सिटी को अपने नियंत्रण में लेने की योजना का एलान किया. इस्राएल का कहना है कि उसका लक्ष्य हमास के उग्रवादियों को खत्म करना और इस्राएली बंधकों को छुड़ाना है.

जर्मन चांसलर के लिए यह एक बड़ा कदम है. फरवरी में चुनाव जीतने के बाद उन्होंने कहा था कि वह अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत की ओर से जारी गिरफ्तारी के वारंट की अवहेलना करके इस्राएली प्रधानमंत्री को जर्मनी बुलाएंगे.

गाजा की भूख ने किया विवश

जर्मन सरकार के रुख में यह बदलाव दिखा रहा है कि नाजी होलोकॉस्ट के अतीत के बोझ तले दबे जर्मनी पर अब कितना दबाव है. गाजा में आम फलीस्तीनी लोगों की मौत और युद्ध में हुई भारी तबाही औरभूखे बच्चों की तस्वीरों ने जर्मनी को अपनी नीति पर दोबारा सोचने पर विवश किया है.

जर्मन इंस्टिट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स के रिसर्चर मुरियल आसेबुर्ग कहते हैं, "इस जर्मन सरकार का यह पहला ठोस उपाय है, जो अपूर्व है. हालांकि, मैं इसे यू-टर्न के रूप में नहीं देखता बल्कि यह एक 'चेतावनी है."

कैसे मिटेगी गाजा की भूख

फलस्तीन के छोटे, सघन आबादी वाले क्षेत्र में इस्राएल की बढ़ती सैन्य कार्रवाइयों पर बीते कई महीनों से आवाजें उठ रही हैं. इनके बाद ही जर्मनी ने यह कदम उठाया है. हालांकि, वह दूसरे वह दूसरे कई यूरोपीय देशों की तरह कठोर कदम उठाने से अब भी दूर है. सत्ताधारी गठबंधन में शामिल दलों से भी इसके लिए आवाजें उठ रही हैं.

इस्राएल को सिर्फ उन हथियारों की सप्लाई पर असर होगा, जिनका इस्तेमाल गाजा में हो सकता है. यह कदम जर्मनी के बदलते मूड को दिखा रहा है. देश में इस्राएल की आलोचना बढ़ रही है और लोग गाजा में मानवीय त्रासदी को दूर करने के लिए कदम उठाने की मांग कर रहे हैं. गाजा में मलबे के बीच 22 लाख से ज्यादा की आबादी बेघर होकर रह रही है.

इस्राएल के प्रति समर्थन में कमी

जर्मन प्रसारक एआरडी और डॉयचलैंड ट्रेंड के ताजा सर्वे के नतीजे बता रहे हैं कि 66 फीसदी जर्मन लोग चाहते हैं कि मैर्त्स की सरकार इस्राएल पर उसका रवैया बदलने के लिए दबाव डाले. सर्वे का नतीजा मैर्त्स की घोषणा से एक दिन पहले आया. इससे पहले अप्रैल में फोर्सा के कराए इसी तरह के सर्वे में 57 फीसदी जर्मन लोगों ने माना था कि सरकार को गाजा में कार्रवाई के लिए इस्राएल की पहले से ज्यादा कठोर आलोचना करनी चाहिए.

पैराशुट से गिराए खाने की ओर दौड़ते गाजा के निवासी
गाजा में पैराशुट के सहारे मानवीय सहायता पहुंचाने की कोशिशों में जर्मनी भी शामिल हैतस्वीर: Ebrahim Hajjaj/REUTERS

गाजा में जर्मनी आसमान से मदद गिराने में मदद कर रहा है, लेकिन 47 फीसदी जर्मन मानते हैं कि वहां मौजूद फलस्तीनी लोगों के लिए उनकी सरकार बहुत कम मदद दे रही है. लगभग 39 फीसदी लोगों की राय इससे उलटी है. सबसे हैरान करने वाली बात जो सामने आई है, वो यह है कि केवल 31 फीसदी जर्मन लोगों का मानना है कि इतिहास की वजह से इस्राएल के लिए उनकी ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी है. 62 फीसदी लोगों ने ऐसा नहीं माना.

इस्राएल पर 'तटस्थ' नहीं है जर्मनी

जर्मनी के राजनीतिक तंत्र ने इस्राएल का समर्थन करने को "राज्य की सर्वोच्च नीति" माना है. नाजी होलोकॉस्ट की जिम्मेदारी लेते हुए जर्मनी ने यह रुख अपनाया. 2008 में तत्कालीन जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस्राएली संसद में इसकी घोषणा की थी.

इसी रुख को जुलाई में इस्राएल के दौरे से ठीक पहले मैर्त्स कैबिनेट में विदेश मंत्री योहान वाडेफुल ने भी दिखाया. डी साइट अखबार से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस्राएल के मामले में जर्मनी "तटस्थ मध्यस्थ" नहीं हो सकता. वाडेफुल का कहना है, "क्योंकि हम तरफदार हैं. हम इस्राएल के साथ हैं."

मैर्त्स की पार्टी सीडीयू में इस तरह के बयानों की गूंज अकसर सुनाई देती है. हालांकि, गठबंधन सरकार में जूनियर पार्टनर के तौर पर शामिल सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह इस्राएल के खिलाफ प्रतिबंधों पर चर्चा करना चाहती है. पार्टी के विदेश नीति प्रवक्ता आदिर अहमेतोविच का कहना है कि हथियारों की सप्लाई रोकना सिर्फ पहला कदम है.

आहमेतोविच ने कहा, "इसके बाद कुछ और भी जरूर होना चाहिए, मसलन यूरोपीय संघ के एसोसिएशन एग्रीमेंट का आंशिक निलंबन या खास तौर पर गंभीर रूप से घायल बच्चों को इलाज के लिए वहां से बाहर निकालना." उन्होंने स्टर्न मैगजीन से यह भी कहा, "इसके साथ ही इस्राएली मंत्रियों पर प्रतिबंध को अब वर्जित ना माना जाए."

जर्मनी के चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स
फ्रीडरिष मैर्त्स इस्राएल के समर्थ में आवाज बुलंद करते रहे हैं लेकिन अब उन्होंने हथियारों की सप्लाई रोकने की बात कही हैतस्वीर: Thilo Schmuelgen/REUTERS

जर्मनी के समर्थन में कारोबार भी वजह

इस्राएल, गाजा में भुखमरी की नीति से इनकार करता है और उसका कहना है हमास बंधकों को लौटाकर और समर्पण करके संकट को खत्म कर सकता है. 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले ने 1,200 लोगों की जान ली और 251 लोगों का अपहरण कर लिया. इसके बाद इस्राएल के हवाई और जमीनी जंग में 60,000 से ज्यादा फलस्तीनी लोगों की जान ली है. ये आंकड़े गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के हैं.

आलोचकों का कहना है कि जर्मनी का रुख अब तक बहुत हिचकिचाहट वाला रहा है. इसकी वजह से पश्चिमी देशों की सामूहिक क्षमता कम हो गई है और इस्राएल पर गाजा में युद्ध रोकने और मानवीय सहायता बहाल करने के लिए सार्थक दबाव नहीं बन पा रहा है. जर्मनी ने अब तक बहुत फूंक-फूंककर कदम बढ़ाए हैं.

कुछ लोगों का कहना है कि जर्मनी सिर्फ ऐतिहासिक कारणों से ही इस्राएल का समर्थन नहीं कर रहा. उनका कहना है कि इस्राएल और अमेरिका के साथ जर्मनी के मजबूत कारोबारी संबंध भी हैं. इस्राएल के लिए जर्मनी अमेरिका के बाद हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर है. इसके बाद यह इस्राएल से हथियार खरीदता भी है. यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद जर्मन सेना को मजबूत करने की कोशिशों में कई हथियार इस्राएल से खरीदे जा रहे हैं. इनमें मिसाइल डिफेंस सिस्टम एरो-3 भी शामिल है.

पिछले हफ्ते ही इस्राएल की रक्षा कंपनी एल्बिट सिस्टम्स ने एयरबस के साथ 26 करोड़ डॉलर के समझौता का एलान किया. यह समझौता जर्मन एयर फोर्स के ए400एम विमानों को इंफ्रारेड डिफेंस सिस्टम से लैस करना है.

जर्मन इस्राएली सोसायटी के फोल्कर बेक भूतपूर्व सांसद भी हैं. उन्होंने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "जर्मन हेकड़ी से बचा जाना चाहिए. अगर इस्राएल जर्मनी को हथियारों की आपूर्ति रोक देता है, तो जर्मनी की वायु सुरक्षा विकट स्थिति में पड़ जाएगी."