क्या भारत-चीन रिश्ते सुधार की तरफ बढ़ रहे हैं
२० अगस्त २०२५चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा के फलस्वरूप दोनों पड़ोसी देशों ने कई कदम उठाए हैं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक दोनों देशों ने सीधी उड़ानें एक बार फिर से शुरू करने का फैसला लिया है. साथ ही सीमा विवाद पर बातचीत आगे बढ़ाने, पर्यटन वीजा जारी करना फिर से शुरू करने और आपसी व्यापार को और बढ़ाने का भी फैसला लिया गया.
चीनी सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक सीमा विवाद पर बातचीत के दौरान, दोनों पक्षों के बीच "सीमा निर्धारण पर बातचीत को और आगे बढ़ाने की गुंजाइश पर काम करने" पर सहमति हुई. इसके अलावा सीमा पर तीन स्थानों से व्यापार फिर से शुरू करने का भी फैसला लिया गया.
एक दूसरे के हितों का आदर
वांग की यात्रा के आखिरी दिन मंगलवार 19 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे मिले. मुलाकात के बाद मोदी ने कहा कि भारत और चीन के रिश्तों में सुधार की तरफ "सतत प्रगति" हो रही है.
सोशल मीडिया पर दिए एक बयान में मोदी ने "एक दूसरे के हितों और संवेदनशीलताओं का आदर" करने की बात की. उन्होंने सीमा पर शांति बनाए रखने के महत्व पर भी जोर दिया और एक "सीमा के सवाल के न्यायपूर्ण, मुनासिब और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान" के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को भी दोहराया.
चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों देश "विकास के एक स्थिर रास्ते" पर आ गए हैं और उन्हें एक दूसरे "पर भरोसा रखना चाहिए और समर्थन देना चाहिए." मंत्रालय के मुताबिक दोनों देशों के बीच जर्नलिस्ट वीजा देना और सांस्कृतिक आदान-प्रदान" फिर से शुरू करने पर भी सहमति हुई.
सोमवार को वांग यी द्वारा दिया गया बयान गर्मजोशी से भरा था. उन्होंने कहा, "पिछले कुछ सालों में जिन नाकामयाबियों का हमें तजुर्बा हुआ वो दोनों देशों के लोगों के हितों में नहीं थीं. हम सीमा पर बहाल हुई स्थिरता देखकर बेहद खुश हैं."
हालांकि सीमा विवाद को लेकर किन बिंदुओं पर सहमति हुई है, इस बारे में कुछ नहीं बताया गया. नई दिल्ली स्थित थिंक-टैंक आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के फेलो मनोज जोशी ने का मानना है कि दोनों देशों के रिश्ते अभी भी सामान्य नहीं हुए हैं.
भारत-चीन रिश्तों में अमेरिका की भूमिका
उन्होंने बताया, "दोनों देशों के बीच सीमा के सवाल का समाधान ढूंढने के लिए सबसे उच्च राजनीतिक स्तर पर राजनीतिक समझौते की जरूरत है." जोशी ने यह भी कहा कि "जब सीमा विवाद और उसके इर्द-गिर्द के मुद्दों की बात आती है तो दोनों देश अभी भी इन मुद्दों को सीधा संबोधित नहीं कर रहे हैं."
भारत-चीन रिश्तों में सुधार लाने की यह कोशिशें ऐसे समय में और तेज हुई हैं जब अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर ऊंचे टैरिफ लगा दिए जाने की वजह से भारत और अमेरिका के रिश्ते कुछ बिगड़ गए हैं.
अमेरिका ने भारतीय उत्पादों के आयात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है, जिसमें रूसी कच्चा तेल खरीदने के लिए 25 प्रतिशत जुर्माना भी शामिल है. अलगे चरण के टैरिफ 27 अगस्त से लागू होंगे. भारत ने इसे अन्यायपूर्ण कहा है और रूस के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए और भी समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं.
रूस भी भारत के समर्थन में खड़ा है. बुधवार को भारत में रूसी दूतावास के चार्ज द'अफेयर्स रोमान बाबुश्किन ने एक असाधारण समाचार वार्ता का आयोजन किया और दो टूक कहा कि भारत, रूस के लिए "बेहद जरूरी है."
रूस-भारत रिश्ते, एक जरूरी आयाम
उन्होंने कहा कि रूस भारत को तेल सप्लाई करता रहेगा और इसलिए लिए उसके पास एक "बहुत, बहुत खास तरीका" है. उन्होंने यह भी घोषणा की रूसी राष्ट्रपति इस साल के अंत तक नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे. हालांकि उन्होंने बताया कि अभी इसकी तारीख तय नहीं की गई है.
अमेरिका द्वारा भारत पर "प्रतिबंध" लगाने के बयानों पर बाबुश्किन ने कहा, "अवैध प्रतिस्पर्धा...दोस्त ऐसे पेश नहीं आते...रूस प्रतिबंध नहीं लगाता है...गैर-यूएन प्रतिबंध और दूसरे दर्जे के प्रतिबंध अवैध हैं." उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारतीय उत्पादों के सामने मुश्किलें आएंगी तो रूसी बाजार में उनका स्वागत रहेगा.
साथ ही भारत में रूस के डिप्टी व्यापार प्रतिनिधि एवगेनी ग्रीवा ने कहा कि रूसी तेल का कोई विकल्प नहीं है क्योंकि यह भारत के लिए बेहद फायदेमंद है. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय रूस में हैं और वो गुरुवार को अपने रूसी समकक्ष सेर्गेई लावरोव से मिलेंगे.
दूसरी तरफ मोदी सात सालों बाद इस महीने के अंत में चीन जाएंगे जहां वो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलेंगे. भारतीय सेना के उत्तरी कमांड के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हूडा का कहना है कि पाकिस्तान से रिश्ते बढ़ाने की ट्रंप की कोशिशों ने भी भारत को चीन के प्रति संबंध बढ़ाने के इशारे देने को प्रोत्साहित किया है.
उन्होंने बताया, "चीन ने पाकिस्तान में भारी निवेश किया हुआ है और व्यावहारिक रूप से कहा जाए तो आप यह ऐसी कोई भी उम्मीद नहीं रख सकते हैं कि चीन, पाकिस्तान के समर्थन में कमी करेगा. लेकिन ऐसा भी नहीं हो सकता कि आपकी सीमाओं पर दो दुश्मन पड़ोसी हों और आप दोनों से एक साथ निपट रहे हों."
वांग यी भारत यात्रा के बाद सीधे काबुल पहुंचे जहां उन्होंने तालिबान के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की. अफगानिस्तान यात्रा के बाद वो पाकिस्तान भी जाएंगे.