भारत में थोड़ी सी सुधरी शिक्षा की स्थिति
स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (एएसईआर) 2024 बताती है कि कोविड-19 के बाद बच्चों की बुनियादी पढ़ाई और गणित में सुधार हुआ है. यह सर्वे प्रथम एनजीओ ने किया, जिसमें 3 से 16 साल के बच्चों की पढ़ाई और गणित के स्तर को परखा गया.
पढ़ाई में सुधार, लेकिन अभी लंबा रास्ता बाकी
कक्षा 3 के बच्चों में कक्षा 2 की किताब पढ़ने की क्षमता 16.3 फीसदी (2022) से बढ़कर 23.4 फीसदी (2024) हो गई है, लेकिन 76.6 फीसदी बच्चे अब भी कक्षा 2 का पाठ नहीं पढ़ पा रहे.
गणित में सुधार, लेकिन बड़ी संख्या कमजोर
कक्षा 3 के बच्चों में घटा करने की क्षमता 28.1 फीसदी (2018) से बढ़कर 33.7 फीसदी (2024) हो गई है लेकिन 66.3 प्रतिशत बच्चे अब भी साधारण गणना नहीं कर सकते. कक्षा 5 के 70 फीसदी छात्र भी आसान जोड़-घटाव करने में असमर्थ हैं.
राज्यों में सुधार, लेकिन कुछ आगे, कुछ पीछे
गुजरात, यूपी, उत्तराखंड, तमिलनाडु, सिक्किम और मिजोरम में पढ़ने की क्षमता 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ी है. यूपी में कक्षा 3 के बच्चों की पढ़ने की क्षमता में 15 फीसदी सुधार हुआ जबकि बिहार और ओडिशा में 8-10 फीसदी सुधार देखा गया. हिमाचल और बिहार में सुधार सिर्फ 4-5 फीसदी रहा, जबकि गुजरात और यूपी में 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई.
बच्चों में स्मार्टफोन की बढ़ती पहुंच
14-16 साल के 89 फीसदी बच्चों तक स्मार्टफोन की पहुंच है. इनमें से 57 फीसदी पढ़ाई के लिए और 76 फीसदी सोशल मीडिया के लिए फोन का इस्तेमाल करते हैं. लड़कियों में डिजिटल सुरक्षा की जानकारी कम है. केवल 55.2 फीसदी लड़कियां जानती हैं कि ऑनलाइन प्रोफाइल कैसे प्राइवेट करें, जबकि लड़कों में यह संख्या ज्यादा है. 87 फीसदी बच्चे ऑनलाइन वीडियो ढूंढ सकते हैं, जबकि 92.1 फीसदी बच्चे वीडियो शेयर करना जानते हैं.
सरकारी स्कूलों में सुधार, प्राइवेट स्कूलों से अंतर घटा
66.8 फीसदी बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं, जो कोविड से पहले के स्तर के करीब है. सरकारी स्कूलों की पढ़ाई का स्तर सुधर रहा है, जिससे प्राइवेट स्कूलों से अंतर कम हो रहा है. 78 फीसदी स्कूलों में शिक्षकों को ट्रेनिंग मिली है, जिससे बच्चों की पढ़ाई में मदद मिल रही है.
क्या हैं निष्कर्ष
एईएसआर 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के बाद बच्चों की पढ़ाई और गणित के स्तर में सुधार हुआ है, लेकिन अब भी बड़ी संख्या कमजोर बनी हुई है. सरकारी स्कूलों में सीखने की गति बढ़ रही है, और स्मार्टफोन की पहुंच ने बच्चों की डिजिटल समझ को बढ़ाया है. हालांकि, लड़कियों में ऑनलाइन सुरक्षा की जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है.