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आंध्र प्रदेश के किसानों को क्यों रुला रही है लाल मिर्च

५ मार्च २०२५

लाल मिर्च उत्पादन के मामले में आंध्र प्रदेश पूरे भारत में सबसे आगे है लेकिन लगातार घटती कीमतें किसानों के लिए परेशानी की वजह बन गई हैं.

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BdTD | Bangladesch | Arbeiterinnen sortieren Millionen roter Chilis
तस्वीर: Mustasinur Rahman Alvi/ZUMA Wire/IMAGO

केंद्र सरकार के कुछ प्रतिबंधों और घटते निर्यात की वजह से आंध्र प्रदेश में मिर्च की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. राज्य के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र सरकार से मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (एमआईएस) के जरिए इस समस्या को सुलझाने की गुजारिश की है.

एमआईएस के जरिए जल्दी खराब होने वाली फसलों को बाजार में लागत से कम दाम पर बेचने में सुरक्षा दी जाती है. इसे तब इस्तेमाल किया जाता है जब बिक्री मूल्य, उत्पादन लागत से कम होता है.

इस योजना का प्रयोग तब किया जाता है जब फसलों की बाजार कीमतें पिछले सामान्य वर्ष की तुलना में 10 फीसदी या इससे ज्यादा गिर जाती हैं.

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नायडू ने खरीद में लागू प्रतिबंध हटाने और मिर्च की कीमतें तय करने वाली संस्था भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा तय कीमतों में संशोधन के अलावा लाल मिर्च के निर्यात को बढ़ावा देने की मांग की है.

ढेर साली लाल मिर्च के सामने खड़ा एक व्यक्ति
आंध्र प्रदेश पूरे भारत में लाल मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक हैतस्वीर: Akhtar Soomro/REUTERS

किसानों की समस्या

आंध्र प्रदेश पूरे भारत में लाल मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक है. गुंटूर, कुरनूल जैसे जिलों के किसान अलग-अलग किस्मों की मिर्च उगाते हैं, जिन्हें विदेशों में निर्यात किया जाता है. गुंटूर में एशिया का सबसे बड़ा मिर्च बाजार है और यहीं से मिर्च की घरेलू और वैश्विक कीमतें तय होती हैं.

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मौजूदा वित्त वर्ष में लाल मिर्च की कीमतों में काफी गिरावट आयी है. जनवरी 2025 में आंध्र प्रदेश में इसकी थोक मासिक कीमत 12,297 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो जनवरी 2024 की कीमत (16,389 रुपये) से लगभग 25 फीसदी कम है.

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कीमतें गिरने की वजह

कम होती घरेलू मांग और कम निर्यात मिर्च की कीमतें गिरने की मुख्य वजह है. प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि लगातार खेती की वजह से नया स्टॉक जमा हो गया है लेकिन पुराना स्टॉक अनुमान के हिसाब से बिक नहीं पाया है इसलिए कीमतें गिर रही हैं. रिपोर्ट में बाजार की खस्ता हालत को भी इसका जिम्मेदार बताया गया है.

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इसके अलावा मांग की कमी, रुपये की कीमतों में गिरावट के साथ-साथ पड़ोसी देशों में जारी उथल-पुथल का भी असर पड़ा है. बांग्लादेश भारतीय लाल मिर्च के सबसे बड़े आयातकों में से एक है लेकिन नई राजनीतिक व्यवस्था आने से इस पर असर पड़ा है. यही हाल श्रीलंका में भी है, जिसने भारत के साथ आयात में कटौती की है.

लाल मिर्च चुनती कई महिलाएं
बांग्लादेश भारत से लाल मिर्च करने वाले सबसे बड़े आयातकों में से एक हैतस्वीर: Kazi Salahuddin Razu/NurPhoto/IMAGO

भारत सबसे बड़ा उत्पादक

भारत में सूखी लाल मिर्च एक महत्वपूर्ण बागवानी फसल है. भारत मिर्च उत्पादन, उपभोग और निर्यात में दुनिया का सबसे बड़ा देश है.

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमानों (2024-25) के अनुसार लाल मिर्च की खेती कुल मसाला खेती के 46.55 लाख हेक्टेयर में से लगभग एक चौथाई (9.22 लाख हेक्टेयर) में की जाती है. 2023-24 में भारत से भेजे गए कुल मसालों की मात्रा में मिर्च 39 फीसदी थी. कीमत के हिसाब से, मिर्च सभी मसालों में सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा कमाने वाली फसल थी.