जापान: द्वितीय विश्व युद्ध में मारे जाने वालों के अवशेषों को कैसे मिलेगा घर
जापान में एक व्यक्ति द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मारे जाने वाले 1400 लोगों के अवशेषों को खोज कर मृतकों के परिवारों तक पहुंचा रहा है. तस्वीरों में देखिए तकामात्सु गुशिकेन कैसे करते हैं यह मुश्किल काम.
विश्व युद्ध की एक वीभत्स घटना
तकामात्सु गुशिकेन जापान के ओकिनावा में एक मुश्किल मिशन पर हैं. वो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहां मारे गए 1,400 लोगों के अवशेषों को उन मृतकों के परिवारों को सौंपना चाहते हैं. यह लोग उस युद्ध की सबसे वीभत्स घटनाओं में से एक में ओकिनावा की एक गुफा में मारे गए थे.
मारे गए लाखों जापानी
एक अप्रैल, 1945 को अमेरिकी सैनिकों ने ओकिनावा पहुंचने के बाद यहीं से जापान की मुख्य भूमि में घुसने की कोशिश शुरू कर दी. इन्हीं कोशिशों से शुरू हुई एक लड़ाई जो जून के बाद के दिनों तक चली. इसमें करीब 12,000 अमेरिकी और 1,88,000 से ज्यादा जापानी मारे गए. इस गुफा में लोग छिपने आए थे, लेकिन वो बच नहीं सके.
सिर्फ छह की हुई है पहचान
यह लड़ाई इतोमन में खत्म हुई जहां गुशिकेन और दूसरे खोजने वाले वालंटियरों को संभावित रूप से सैकड़ों लोगों के अवशेष मिले हैं. यहां मिले करीब 1,400 लोगों के अवशेष स्टोरेज में रखे हुए हैं ताकि डीएनए जांच से इन्हें पहचाना जा सके. अभी तक इनमें से सिर्फ छह को पहचाना और उन मृतकों के परिवारों से मिलाया जा सका है.
लाखों लोग आज भी लापाता
गुशिकेन कहते हैं कि बचपन में जब वो कीड़े ढूंढने निकलते थे तो उन्हें हेलमेट पहने हुई खोपड़ियां मिलती थीं. युद्ध के अंत के 80 सालों के बाद भी आज तक युद्ध में मारे जाने वाले 12 लाख जापानियों का पता नहीं चला है. हजारों अज्ञात हड्डियां सालों से स्टोरेज में पड़ी हुई हैं, इस इंतजार में कि उनकी जांच होगी और उनका परिवारों से मेल हो पाएगा.
सरकार की कोशिशें धीमी
गुशिकेन कहते हैं कि सरकार की डीएनए मिलाने की कोशिशें काफी धीमी और बहुत कम रही हैं. जापान की सरकार ने 2003 में डीएनए मैचिंग शुरू की थी, वो भी मृतकों के परिवारों द्वारा अनुरोध किए जाने के बाद. तब से आज तक सिर्फ 1,280 अवशेषों की पहचान हो पाई है. करीब 14,000 लोगों के अवशेष भविष्य में जांच के लिए मंत्रालय के शवागार में रखे हुए हैं.
आज भी है अमेरिकी सैन्य मौजूदगी
युद्ध के बाद ओकिनावा 1972 तक अमेरिकी कब्जे में रहा, यानी जापान के अधिकांश इलाकों से 20 साल ज्यादा समय तक. आज भी यहां काफी बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिक मौजजूद हैं. युद्ध के बाद जापान के बाकी हिस्से तो आर्थिक रूप से विकसित हो गए, लेकिन ओकिनावा आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक विकास में पिछड़ गया.
धुंधली होते यादें
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी नाओकी तेजुका ने बताया कि जैसे जैसे रिश्तेदारों की उम्र होती जा रही है, यादें धुंधली होती जा रही हैं, कागजात खो रहे हैं और अवशेषों की गुणवत्ता खराब हो रही है, अवशेषों को खोजना और उनकी पहचान करना मुश्किल होता जा रहा है. वालंटियर कह रहे हैं कि सरकार को अपनी कोशिशें बढ़ानी चाहियें. (एपी)