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35 साल में पहली बार आतंक के खिलाफ बंद हुआ कश्मीर

२३ अप्रैल २०२५

35 साल में पहली बार ऐसा हुआ जब कश्मीर के लोगों ने आतंकवाद का विरोध करते हुए पूरी घाटी को बंद रखा. स्कूल, कॉलेज और दुकानें तक सब बंद नजर आए.

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पहलगाम में कैंडललाइट मार्च
पहलगाम में लोगों ने आतंकवाद के विरोध में एक मार्च निकालातस्वीर: ANI

पहलगाम में कत्लेआम को कुछ घंटे ही बीते थे और अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच भी नहीं पाए थे. तब स्थानीय लोग घायलों और पीड़ितों की मदद के लिए निकल आए. ऐसे कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें स्थानीय लोग पीड़ितों के परिवारों को तसल्ली देते दिखाई दे रहे हैं.

शाम के वक्त पहलगाम के कुछ युवक कैंडल मार्च निकाला और आतंकवाद का विरोध करते हुए उसे बुजदिलाना हमला बताया. एक युवक ने कहा, "यह एक बुजदिलाना हमला है. हम इसकी निंदा करते हैं. यह कश्मीरियत नहीं है. हम पहले हिंदुस्तानी हैं, उसके बाद कश्मीरी हैं."

पहलगाम हमले के बाद कश्मीर घाटी में आतंकवाद के खिलाफ अभूतपूर्व गुस्सा दिखाई दे रहा है. 35 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि आतंकी हमले के खिलाफ बंद रख गया है. स्कूल, कॉलेज और तमाम दुकान-बाजार इस हमले के विरोध में बुधवार को बंद रखे गए.

यह हमला पहलगाम के पास हुआ जिसमें 26 लोगों की जान गई, मृतकों में एक स्थानीय नागरिक भी है. यह कश्मीर में बीते कई वर्षों में नागरिकों पर हुआ सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है. इसके विरोध में श्रीनगर से लेकर अनंतनाग और बारामुला तक, सभी बड़े कस्बों और शहरों में दुकानें, स्कूल, कॉलेज और व्यापारिक प्रतिष्ठान पूरी तरह बंद रहे. सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा और आम जनजीवन थम सा गया. श्रीनगर का लाल चौक, जो आम तौर पर चहल-पहल से भरा रहता है, वीरान नजर आया.

एकजुट हुए कश्मीरी

यह हमला पहलगाम के पास बसे खूबसूरत बैसरन घास के मैदान में हुआ. हमले में महिलाएं, बच्चे, पर्यटक और स्थानीय विक्रेता भी मारे गए. गृह मंत्री अमित शाह घटना के तुरंत बाद श्रीनगर पहुंचे और पुलिस कंट्रोल रूम जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा, "यह कायराना हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी. पूरा देश कश्मीर के साथ खड़ा है.”

इसके बाद शाह बाइसरन के उस स्थान पर पहुंचे जहां हमला हुआ था. इस हमले की निंदा कश्मीर के सभी वर्गों, राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक समुदायों ने की है. इस बंद का आह्वान किसी राजनीतिक संगठन ने नहीं, बल्कि आम लोगों, व्यापार मंडलों और धार्मिक संगठनों ने मिलकर किया. यह इस बात का संकेत था कि अब घाटी के लोग आतंक के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं.

श्रीनगर के एक दुकानदार जाहिद अहमद ने कहा, "यह सिर्फ एक हादसा नहीं है, यह एक मोड़ है. हमने दशकों तक सहा है, लेकिन आज कश्मीरियों ने एकजुट होकर कहा है कि अब बस. निर्दोष लोगों की हत्या कोई जंग नहीं, आतंकवाद है.”

अनंतनाग में कॉलेज के छात्रों ने बंद पड़े कॉलेज के बाहर मोमबत्तियां जलाकर विरोध जताया. एक छात्रा, मरिया रसूल ने कहा, "हम दुनिया को बताना चाहते हैं कि कश्मीरी हिंसा का समर्थन नहीं करते. हमें शांति चाहिए, खून-खराबा नहीं.”

सोशल मीडिया पर भी इस हमले की कड़ी निंदा की गई। #KashmirAgainstTerror और #NotInMyName जैसे हैशटैग लोकल ट्रेंड में आ गए. आम लोग वीडियो, फोटो और संदेशों के जरिए आतंक के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं.

बोल रही थी कश्मीर की चुप्पी

दक्षिण कश्मीर में सुरक्षा बलों ने गश्त तेज कर दी है और सर्च ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि कुछ ठोस सुराग मिले हैं और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी. एजेंसियों ने तीन संदिग्धों के स्केच भी जारी किए हैं.

राजनीतिक विश्लेषक शुजात बुखारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "लोगों का अपने आप विरोध करना शायद पिछले कई दशकों में घाटी की ओर से आतंकवाद के खिलाफ सबसे जोरदार संदेश है. यह दिखाता है कि आम कश्मीरी अब शांति और इज्जत की जिंदगी चाहता है.”

जब घाटी रो रही थी, तब यह संदेश स्पष्ट था, आतंक अब बर्दाश्त नहीं. पहली बार ऐसा बंद हुआ जिसमें किसी से कुछ नहीं मांगा गया, बल्कि इंसानियत के लिए एकजुटता दिखाई गई. दुकानों के बंद शटर, सुनसान सड़कें और नम आंखें इस बार खामोश नहीं थीं, बल्कि यह शांति के लिए एक तेज आवाज थी.