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आपदाम्यांमार

भूकंप के बाद मलबे में कोई कितनी देर तक जिंदा रह सकता है

१ अप्रैल २०२५

म्यांमार में आए भूकंप की वजह से मरने वालों का आंकड़ा 2,000 पार कर चुका है. भूकंप के बाद मलबे में दबे लोगों के लिए जिंदा रहना कई चीजों पर निर्भर करता है.

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म्यांमार में एक गर्भवती महिला को मलबे में से निकलते बचावकर्मी
भूकंप के बाद मलबे के बाहर का तापमान बचाव मिशन को प्रभावित कर सकता हैतस्वीर: Myo Kyaw Soe/AP Photo/picture alliance

शुक्रवार (28 मार्च) को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप के बाद म्यांमार और थाईलैंड में बचाव टीमें मलबे में दबे लोगों को ढूंढ रही हैं. म्यांमार में मरने वालों का आंकड़ा 2,000 पार कर चुका है. थाईलैंड में कम-से-कम 18 लोग मारे गए हैं. इसमें सभी मुख्य रूप से एक बड़े निर्माण स्थल पर मारे गए.

किसी भी भूकंप के बाद मलबे में दबे अधिकांश लोगों को 24 घंटों के अंदर बचा लिया जाता है. जानकारों का कहना है कि हर बीतते दिन के साथ बचने की संभावना कम होती जाती है. अधिकांश पीड़ित गिरते हुए पत्थरों और मलबे के अन्य टुकड़ों की वजह से या तो बुरी तरह घायल होते हैं या दबे हुए होते हैं.

सुरक्षित जगह पर होना जरूरी

ब्राउन यूनिवर्सिटी में जियोफिजिसिस्ट विक्टर साई ने ईमेल पर बताया कि दबे हुए लोगों के बचने की संभावना बढ़ जाती है अगर वो एक ऐसे इलाके में हों जहां कोई मलबा ना हो, जैसे किसी मजबूत टेबल के नीचे. इससे चोट लगने का खतरा कम हो जाता है और वो बचाए जाने तक सुरक्षित रूप से इंतजार कर सकते हैं. जानकार इसे 'बचने लायक खाली' जगह कहते हैं.

बैंकॉक में एक ढह चुकी इमारत के मलबे के बीच बचने वालों को खोजता एक बचावकर्मी
बचने वालों के लिए मलबे से निकाले जाने से पहले जरूरी मेडिकल देखभाल मिलना जरूरी हैतस्वीर: Wason Wanichakorn/AP/dpa/picture alliance

जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर जोसफ बारबरा का कहना है कि इमारत के ढह जाने की वजह से अगर आग, धुंआ या जहरीले केमिकल निकले हों तो इसे मलबे में फंसे लोगों के जिंदा रहने की संभावना कम हो जाती है. इसके अलावा, जैसे-जैसे दिन बीतते जाएंगे, सांस लेने के लिए हवा और पीने के लिए पानी का होना बेहद जरूरी है. बारबरा ने कहा, "आप बिना खाने के थोड़े समय तक जिंदा रह सकते हैं. बिना पानी के आप कम देर तक जिंदा रह पाएंगे."

जहां कोई फंसा हो, वहां का तापमान भी जिंदा रहने की संभावना पर असर डाल सकता है और मलबे के बाहर का तापमान बचाव मिशन को प्रभावित कर सकता है. म्यांमार में बिजली के कटने और कमजोर संचार व्यवस्था ने राहत कार्य को धीमा कर दिया है. कई लोग 40 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा तापमान में, जिंदा बचने वालों को अपने हाथों से खोज रहे हैं. भारी मशीनों की कमी ने इन कोशिशों को धीमा कर दिया है.

बारबरा कहती हैं कि बचने वालों के लिए मलबे से निकाले जाने से पहले जरूरी मेडिकल देखभाल मिलना जरूरी है. अगर ऐसा नहीं किया गया तो कुचली हुई मांसपेशियों से निकले टॉक्सिन के स्तर के बढ़ने की वजह से पीड़ित बचाए जाने के बाद शॉक में जा सकता है.

जापान में 2011 में आए भूकंप और सुनामी के बाद, एक किशोर लड़के और उसकी 80 साल की दादी को उनके ढह चुके घर के मलबे में नौ दिनों के बाद जिंदा पाया गया था. उसके एक साल पहले हैती के पोर्त-ओ-प्रिंस में 16 साल की एक लड़की को भूकंप के मलबे से 15 दिनों के बाद बचाया गया था.

भूकंप के दौरान क्या करें

भूकंप के दौरान बचने के लिए सबसे अच्छे तरीके इस पर निर्भर करते हैं कि आप दुनिया के किस कोने में हैं. सक्रिय फॉल्ट लाइनों वाले इलाकों में इमारतें बनाने के नियमों को अक्सर भूकंप सहन करने के लिए डिजाइन किया जाता है, लेकिन हर जगह ऐसा नहीं होता.

कैसे बड़े भूकंप से बचने की तैयारी कर रहा इंडोनेशिया

कई देशों में सबसे अच्छे तरीकों में झुक जाना, किसी मजबूत चीज के नीचे छिप जाना और अगर आप इमारत से निकलने वाले दरवाजों के करीब नहीं हैं तो जहां हैं वहीं जमे रहना शामिल है. इसके अलावा किसी भारी मेज के नीचे या किसी और मजबूत लकड़ी के सामान के पास आश्रय लें, ताकि अगर छत गिर भी जाए तो आप ऐसी जगह पर हों जहां आप बच सकें.

अपने चेहरे को एक कपड़े से या मास्क से ढक लें ताकि आप धूल और मलबे से सुरक्षित रहें. अगर आप मलबे में फंस गए हैं तो अपनी ऊर्जा बचाए रखें और ज्यादा जोर ना लगाएं. अगर आपके पास खाना और पानी है तो उसका बचा-बचा कर इस्तेमाल करें, बचावकर्मियों की आवाजों को सुनने की कोशिश करें और आस पास किसी ऐसी चीज को ढूंढें जिससे आप शोर मचा सकें.

अगर आपके पास फोन है तो उसकी बैटरी बचाएं और रोज कम समय के लिए लेकिन लगातार मदद हासिल करने की कोशिश करें.

सीके/आरएस (एपी)