ताकि नागासाकी की त्रासदी को भुला ना दिया जाए
नौ अगस्त, 1945 को अमेरिका ने जापान के नागासाकी में परमाणु बम गिराया था. उस बमबारी के भौतिक साक्ष्यों को "हिबाकु अवशेष" कहा जाता है और एक बुजुर्ग महिला आज भी उन्हें संभाल कर रखने की कोशिश कर रही हैं.
इतिहास का काला दिन
नौ अगस्त, 1945 को जापान के नागासाकी में जहां बम गिरा था, शिरोयामा एलीमेंट्री स्कूल उस जगह से पश्चिम की तरफ बस 500 मीटर दूर था. अनुमान है कि वहां 1,400 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें शिक्षक और बच्चे भी शामिल थे. हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बमों ने 2,10,000 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी.
मिटती जा रही हैं यादें
नागासाकी में आज ध्वस्त हो चुकी उसी इमारत के अवशेषों को पीस मेमोरियल हॉल के नाम से जाना जाता है. हर साल यहां करीब 30,000 लोग आते हैं. लेकिन यह भी सच है कि ऐसे लोगों की संख्या घटती जा रही है जिन्हें वो हमला याद है.
बमबारी से बच जाने वालीं ताकेशिता
उन्हीं में से एक हैं फुमी ताकेशिता. 80 साल की ताकेशिता उस समय छोटी बच्ची थीं, लेकिन उन्हें आज भी वो दिन याद है. वो कहती हैं, "मैंने खिड़की से एक बेहद तेज रौशनी को आते देखा. वो सफेद रंग की थी, या शायद पीला कहना बेहतर होगा. वो इतनी तेज थी कि मैं अपनी आंखें खुली नहीं रख पा रही थी."
दर्दनाक है, लेकिन याद रखना जरूरी
"बम गिराए जाने के अगले दिन मेरे पिता हमले के केंद्र उराकामी इलाके में गए और उन्हें वहां कई लोगों की मदद की गुहार सुनाई दी. वहां लाशों का ढेर भी लगा हुआ था. इमारतें मिट्टी में मिल चुकी थीं और लग रहा था जैसे वहां कुछ भी नहीं बचा हो. ये मैंने अपनी दादी से सुना था. उन्होंने कहा था, "फुमी-चान, तुम्हें वो रौशनी याद है जो तुमने उस दिन देखी थी? उसकी वजह से उराकामी में कुछ भी नहीं बचा, और कई लोग मारे गए."
ताकेशिता की कोशिशें
ताकेशिता अब उस बमबारी से जुड़ी चीजें इकट्ठा करती हैं, जिनमें से कई तो उन्होंने अपने हाथों से जमीन में से खोद कर निकाली हैं. वो मानती हैं कि नागासाकी की बमबारी के भौतिक साक्ष्यों को बचा कर रखना जरूरी है. इन अवशेषों को "हिबाकु अवशेष" कहा जाता है. वो आगे कहती हैं, "नागासाकी में अब मुश्किल से कोई अवशेष बचे हैं. मैं उन्हें संभाल कर रखने के लिए आवाज उठाती रही हूं, लेकिन अधिकांश को नष्ट कर दिया गया है."
अधिकारियों की दलील
शहर की सालाना सूची में इस समय 55 स्थलों को "हिबाकु अवशेष" माना गया है, जिनमें पुल और पेड़ भी शामिल हैं. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि उन्हें शहर की जरूरतों का भी ख्याल रखना है और संरक्षण और विकास के बीच एक संतुलन बनाना है.
ठोस सबूत बेहतर एहसास दिलाते हैं
ताकेशिता कहती हैं, "मुझे फेफड़ों का कैंसर है. मुझे बताया गया था कि मैं इस साल चेरी ब्लॉसम नहीं देख पाऊंगी. लेकिन मैं देख पाई. मेरी ही तरह, हिबाकुशासाओं (बम से बच जाने वाले) के पास ज्यादा समय नहीं बचा है...मेरा मानना है कि चीजें ज्यादा विश्वसनीय होती हैं. उदाहरण के तौर पर, चीजें बेहतर बता सकती हैं कि हमले से कितनी गर्मी पैदा हुई थी जिसने इंसानों को मारने के साथ साथ इन चीजों को भी पिघला दिया.