पुल के नीचे जहाजी कंटेनरों में चलता एक अनूठा स्कूल
मुंबई से सटे ठाणे शहर में एक पुल के नीचे एक अनूठा स्कूल चलाया जा रहा है. जहाजी कंटेनरों से बनाए गए इस स्कूल के कमरों में गरीबों के बच्चे पढ़ते भी हैं, खेलते-कूदते भी हैं. देखिए तस्वीरों में.
शहर की भागमभाग के बीच बच्चों का एक कोना
ठाणे में अभी दिन की शुरुआत ही हुई है और सड़कों पर गाड़ियों की उमड़ने लगी हैं. इसी भागमभाग के बीच एक पुल के नीचे दो व्यक्ति करीब एक दर्जन बच्चों को सड़क पार करवा रहे हैं.
स्वागत है 'सिग्नल शाला' में
'सिग्नल शाला' एक एनजीओ 'समर्थ भारत व्यासपीठ' द्वारा गरीब परिवारों के बच्चों के लिए चलाया जा रहा एक अनोखा स्कूल है. इसका यह नाम इसलिए क्योंकि यह स्कूल एक ट्रैफिक सिग्नल के बगल में एक फ्लाईओवर के नीचे स्थित है.
जहाजी कंटेनरों में लगती है क्लास
यहां रखे जहाजी कंटेनरों को क्लास रूम की तरह इस्तेमाल किया जाता है. बच्चे यहां आकर नहाते हैं, यूनिफार्म पहनते हैं और फिर उन्हें चाय और दलिया का नाश्ता करवाया जाता है. उसके बाद शुरू होती है एसी लगे कंटेनर क्लास रूम में पढ़ाई.
पढ़ाई, खेल-कूद और खाना भी
यहां बच्चे मराठी और अंग्रेजी में पढ़ना और लिखना सीखते हैं, कंप्यूटर चलाना सीखते हैं और एक लैब में विज्ञान के सरल प्रयोग भी करते हैं. पढ़ाई के बीच में बच्चे फुटबॉल और कबड्डी जैसे खेल भी खेलते हैं. बच्चों को तीन वक्त का खाना दिया जाता है और शाम को बच्चे अपने अपने घर लौट जाते हैं.
ख्याल रखते हैं टीचर
यहां अध्यापक बच्चों को पढ़ाने के साथ उनसे बातचीत भी करते हैं और उनके मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने की कोशिश करते हैं.
गरीब परिवारों की उम्मीद
इन बच्चों के माता-पिता शहर के सबसे गरीब लोगों में हैं. किसी की मां मजदूरी करती है, तो किसी के पिता ऑटो चलाते हैं. कुछ मां-बाप शुरू में बच्चों को स्कूल भेजने के लिए राजी नहीं थे, लेकिन उन्हें बातचीत कर मना लिया गया.
बच्चों को मिल रहे कई तरह के लाभ
2016 से यह स्कूल, बच्चों को राज्य शिक्षा बोर्ड द्वारा कराई जाने वाली परीक्षा की तैयारी करवा रहा है. यहां पढ़ने वाली कुछ किशोर लड़कियों का यह भी कहना है कि अगर वो यहां नहीं आई होतीं तो अभी तक उनकी शादी हो गई होती. स्कूल के वेबपेज के मुताबिक यहां 57 बच्चे पढ़ रहे हैं. (एपी)