पहलगाम हमले के एक महीने बाद भी नाजुक हैं हालात
२२ मई २०२५इस एक महीने में जम्मू-कश्मीर और वहां के लोगों की जिंदगी ही बदल गई है. दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई सैन्य कार्रवाई में सीमा के पास के इलाकों में रहने वाले कई लोग मारे गए. रॉयटर्स के मुताबिक भारत में कम से कम पांच फौजी और 16 आम नागरिक मारे गए.
जो बच गए वो दहशत में हैं. गोलाबारी में कई लोगों के मकान ध्वस्त हो गए और अन्य संपत्ति का नुकसान हुआ. उन्हें अपना जीवन फिर से पटरी पर लाने में लंबा समय लगेगा. लाखों पर्यटकों के आने से कश्मीरी अर्थव्यवस्था को जो फायदा मिल रहा था वो अचानक रुक गया है.
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक पूरे कश्मीर में इस समय ना के बराबर पर्यटक हैं. अधिकांश होटल और हाउसबोट खाली पड़े हैं. कश्मीर होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष शेख बशीर अहमद ने बताया कि पहले, जून तक कम से कम 12,000 बुक हो चुके थे लेकिन अब लगभग सारी बुकिंग रद्द हो चुकी हैं और होटलों से जुड़े हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं.
इसका असर अन्य चीजों पर भी पड़ा है. हस्तशिल्प, खाने पीने की दुकानें और टैक्सी चलाने वाले, सबका धंधा ठप्प हो गया है. हजारों दिहाड़ी मजदूरों का भी काम छिन गया है.
कितना बदल गए भारत-पाकिस्तान रिश्ते
पहलगाम हमले के ठीक एक महीना पूरा होने के मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "पाकिस्तान को हर आतंकवादी हमले की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी." राजस्थान में भारत-पाकिस्तान की सीमा के पास आयोजित किए गए एक कार्यक्रम के दौरान दिए अपने भाषण में मोदी ने कहा, "पाकिस्तान की सेना चुकाएगी, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चुकाएगी."
मोदी का यह बयान दिखाता है कि पहलगाम हमले ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को कितना बदल दिया है. संबंध पहले से ही बिगड़े हुए थे लेकिन पहलगाम हमले ने दोनों देशों को युद्ध के मोहाने तक पहुंचा दिया था. सैन्य संकट अब टल तो चुका है, लेकिन उसकी छाया अभी भी दोनों देशों के रिश्तों पर है.
भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर ने भी पहलगाम हमले का एक महीने पूरा होने के मौके पर एक साक्षात्कार में कहा कि इस समय दोनों देशों की सेनाओं के बीच गोलीबारी नहीं की जा रही है लेकिन सैन्य अभियान "जारी है क्योंकि एक स्पष्ट संदेश दिया जा रहा है...कि अगर 22 अप्रैल जैसी कोई घटना फिर से हुई तो प्रतिक्रिया होगी, हम आतंकवादियों पर हमला करेंगे."
"ऑपरेशन सिंदूर" से भारत को क्या हासिल हुआ इसे लेकर अभी भी विश्लेषण पूरा नहीं हुआ है, लेकिन इस बीच भारतीय जांच एजेंसियों को अभी तक पहलगाम हमले में शामिल सभी हमलावरों को ढूंढ निकालने में भी सफलता नहीं मिली है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक एनआईए अभी भी उन हमलावरों को ढूंढ ही रही है और बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों से पूछताछ कर चुकी है.
जम्मू और कश्मीर पुलिस के एक अफसर के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने कहा कि पुलिस ने भी बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया जिनपर हमलावरों की मदद करने का संदेह है, लेकिन हमलावरों के बारे में अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है.
कूटनीतिक हार किसकी?
युद्धविराम चालू है लेकिन भारतीय सेना के मुताबिक कश्मीर में आतंकवादियों के साथ लगातार मुठभेड़ हो रही है. 22 मई को ही किश्तवार जिले में ऐसी ही एक मुठभेड़ में सेना के एक जवान की जान चली गई.
इस बीच अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत और पाकिस्तान दोनों की ही भूमिका का विश्लेषण किया जा रहा है. भारत ने अपना पक्ष दूसरे देशों के सामने रखने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों के सांसदों के दलों को 33 देशों में भेजा है.
लेकिन अंतरराष्ट्रीय जगत से भारत को जिस तरह की सहानुभूति की उम्मीद थी, वो अभी तक नहीं मिली है. भारत की पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव का कहना है कि एक बार फिर से भारत-पाकिस्तान का 'हाइफनेशन' हो गया है, यानी दोनों देशों को एक तरह से जोड़ कर देखा जा रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस में छपे एक लेख में राव ने लिखा कि भारत को इस 'हाइफनेशन' को खत्म करने में दशकों लग गए थे, लेकिन अब इसका वापस आना भारत के लिए एक "कूटनीतिक वापसी" है.
और यह तब है जब सैन्य कार्रवाई में दोनों सेनाओं का कितना नुकसान हुआ इसे लेकर सही तस्वीर अभी तक सामने नहीं आई है. जब वह जानकारी सार्वजनिक होगी तब इस विश्लेषण में एक और अध्याय जुड़ेगा.