क्या कमजोर पड़ती डार्क एनर्जी करेगी ब्रह्मांड का अंत
२० मार्च २०२५'डार्क एनर्जी' इतनी ताकतवर है कि यह सभी तारों और आकाशगंगाओं को काफी तेज गति से एक दूसरे से दूर धकेल रही है. यह कैसे काम करती है वैज्ञानिक अब जा कर यह समझने के करीब पहुंच रहे हैं. बड़ा सवाल है कि ये क्या एक स्थायी शक्ति है, जैसा की वैज्ञानिक लंबे समय से मानते रहे हैं, या फिर यह कमजोर पड़ रही है.
यह चौंकाने वाली संभावना पिछले साल सुझाई गई थी. लेकिन बुधवार 19 मार्च को अमेरिकन फिजिकल सोसाइटी की एक बैठक में पेश किए गए नतीजे इस मान्यता को मजबूती देते हैं कि यह शक्ति कमजोर हो रही है. हालांकि वैज्ञानिक अभी यह पक्के तौर पर नहीं कह रहे हैं. वो अभी तक यह भी पता नहीं कर पाए हैं कि ब्रह्मांड के बारे में उनकी बाकी समझ के लिए भी इसके क्या मायने हैं.
हो सकता है कमजोर हो रही हो डार्क एनर्जी
ताजा जानकारी एक अंतरराष्ट्रीय रिसर्च सहयोग से मिली है जिसमें एक थ्री-डी नक्शा बनाया जा रहा है. यह नक्शा दिखाएगा कि ब्रह्मांड के 11 अरब बरसों के इतिहास में आकाशगंगाएं कैसे फैलीं और एकत्रित हुईं. आकाशगंगाएं कैसे आगे बढ़ती हैं इसे सावधानी से ट्रैक करने से वैज्ञानिकों को उन्हें हिलाने वाली शक्तियों के बारे में जानने में मदद मिलती है.
'डार्क एनर्जी स्पेक्ट्रोस्कोपिक इंस्ट्रूमेंट' नाम के इस साझा कार्यक्रम ने पिछले साल 60 लाख आकाशगंगाओं और 'क्वौसर' नाम की काफी विशाल खगोलीय वस्तुओं का पहला विश्लेषण पिछले साल जारी किया था. अब और जानकारी जारी की गई है, जिसके बाद खगोलीय वस्तुओं की संख्या 1.5 करोड़ के आस पास हो गई.
ताजा नतीजों और दूसरे मापों को मिला कर जो तथ्य सामने आए हैं वो इसी विचार का समर्थन करते हैं कि हो सकता है कि डार्क एनर्जी कमजोर हो रही हो. दूसरे मापों में फटते हुए तारे, युवा ब्रह्मांड की बची खुची रोशनी और आकाशगंगाओं के आकार में विकृति जैसी चीजें शामिल हैं.
अमेरिका के पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में ब्रह्मांड विज्ञानी भुवनेश जैन कहते हैं, "यह एक काफी चौंकाने वाली खोज से लगभग एक ऐसे लम्हे की तरफ बढ़ रही है जहां हम ब्रह्मांड विज्ञान के बारे में जो भी सोचते थे उसे बाहर फेंकना पड़ेगा और नए सिरे से शुरू करना पड़ेगा." जैन इस रिसर्च से जुड़े नहीं थे.
डार्क एनर्जी के कमजोर होने से क्या होगा?
हालांकि अभी ऐसा समय नहीं आया है कि हम पूरी तरह से इस विचार को नकार दें कि डार्क एनर्जी स्थायी है, क्योंकि फिजिक्स जिस तरह के गोल्ड स्टैंडर्ड सबूतों की मांग करता है उस तरह के सबूत नए नतीजे नहीं दे पाए हैं. नए कार्यक्रम का लक्ष्य है, 2026 में सर्वेक्षण के अंत होने तक करीब पांच करोड़ आकाशगंगाओं और 'क्वौसरों' का अध्ययन करना.
दुनिया में और स्थानों पर भी डार्क एनर्जी पर अध्ययन किया जा रहा है और आने वाले सालों में इनसे भी डाटा मिलेगा. इनमें यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का यूक्लिड मिशन और चिली में वेरा सी रुबिन ऑब्जर्वेटरी का अध्ययन भी शामिल है. ब्रह्मांड विज्ञानी कोर्स पार्दो का कहना है, "हम देखना चाहते हैं कि इसी तरह के रिजल्ट्स वाले दूसरे सहयोग कार्यक्रमों के नतीजे" भी उसी गोल्ड स्टैंडर्ड के जैसे हैं, तभी हम यह निश्चित रूप से कह पाएंगे कि डार्क एनर्जी कमजोर हो रही है. पार्दो भी इस रिसर्च में शामिल नहीं थे.
अगर डार्क एनर्जी स्थायी है, तो वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे ब्रह्मांड का हमेशा विस्तार होता रहेगा और यह और ज्यादा ठंडा, अकेला और शांत होता जाएगा. लेकिन अगर समय के साथ डार्क एनर्जी कमजोर हो जाती है, जैसा कि अब मुमकिन लग रहा है, तो ब्रह्मांड का विस्तार एक दिन थम जाएगा और अंत में वह अपने अंदर ही समाप्त हो जाएगा. इसे 'बिग क्रंच' कहा जाता है.
इस रिसर्च में शामिक ब्रह्मांड विज्ञानी मुस्तफा इशक-बौशाकी कहते हैं कि यह खुश करने वाले भविष्य जैसा तो नहीं लगता लेकिन इसके थोड़ा क्लोजर जरूर मिलता है. मुस्तफा डलास के टेक्सास विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं. उन्होंने आगे कहा, "अब हमें ऐसी संभावना के बारे में मालूम है कि एक दिन सब कुछ नष्ट हो जाएगा. हम इसे एक अच्छी चीज मानेंगे या बुरी? मुझे नहीं पता."
सीके/ओएसजे (एपी)