डीडब्ल्यू के 70 साल: कैसे बना जानकारी का अंतरराष्ट्रीय स्रोत
पिछले सात दशकों की ऐतिहासिक घटनाओं के संदर्भ में कैसे बदला डीडब्ल्यू? किन विषयों पर उसने रोशनी डाली? देखिए डीडब्ल्यू की 70 सालों की यात्रा की कुछ झलकियां.
1953: ब्रॉडकास्टिंग की शुरुआत
तीन मई, 1953 को रेडियो पर डीडब्ल्यू की शार्टवेव सेवा की शुरुआत हुई थी. कार्यक्रम की शुरुआत जर्मनी के तत्कालीन राष्ट्रपति थिओडोआ होएस के संबोधन से हुई थी. डीडब्ल्यू को नए, लोकतांत्रिक जर्मनी की आवाज दूर दूर तक पहुंचाने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में देश को फिर से शामिल किए जाने के लिए मीडिया में एक आवाज बनने का काम सौंपा गया था.
1957: भाषा पाठ्यक्रमों की शुरुआत
अक्टूबर में चार ब्रॉडकास्ट भाषाओं में "डॉयचे वेले के साथ जर्मन सीखें" संदेश प्रसारित किया गया. इसके साथ रेडियो और बाद में टीवी और सोशल मीडिया के जरिए विदेशी भाषा के रूप में जर्मन सिखाने के कोर्स की शुरुआत हुई. जर्मन भाषा को बढ़ाना 2005 से डीडब्ल्यू के मिशन का हिस्सा है. बाद में एक इंटरैक्टिव ऑनलाइन "क्लासरूम" भी शुरू किया गया. "निकोस वेग" सीरीज विशेष रूप से लोकप्रिय है.
1962: स्पैनिश और पुर्तगाली रेडियो प्रोग्रामिंग की शुरुआत
जुलाई 1962 में लैटिन अमेरिका के लिए स्पैनिश और ब्राजील के लिए पुर्तगाली भाषाओं को विदेशी भाषा कार्यक्रम में शामिल किया गया. लैटिन अमेरिका के लिए रेडियो कार्यक्रम को पैराग्वे में अल्फ्रेडो स्ट्रोएसनेर की तानाशाही और क्यूबा में कास्त्रो की तानाशाही के शुरुआती दिनों के दौरान शुरू किया गया था. डीडब्ल्यू ब्राजील में सैन्य तानाशाही के दौरान (1964-1985) एक महत्वपूर्ण स्वतंत्र मुखपत्र बन गया था.
1963: अफ्रीका के लिए किस्वाइली और हाउसा की शुरुआत
1960 के दशक में अफ्रीका में फैली आजादी की लहर डीडब्यलू के भाषाई न्यूजरूमों के लिए नई खोजें ले कर आई. इंग्लिश और फ्रेंच में रिपोर्टिंग करने के बाद डीडब्ल्यू ने 1963 में नए टारगेट श्रोता हासिल किए. किस्वाइली और हाउसा के साथ डीडब्ल्यू ने पहली बार अफ्रीकी भाषाओं में रिपोर्ट किया. इस तस्वीर में 1963 में डीडब्ल्यू की किस्वाइली सम्पादकीय टीम को देख सकते हैं.
1964: डीडब्ल्यू की हिंदी सेवा
डीडब्ल्यू में 15 अगस्त 1964 को हिंदी सेवा शुरू हुई और फिलहाल प्रसार के लिहाज से शीर्ष पांच सेवाओं में शामिल है. 1967 में संस्कृत सेवा भी शुरू की गई थी जो 21वीं सदी के प्रारंभ तक चल रही थी. उस वक्त भारत के राष्ट्रीय प्रसारकों ने संस्कृत में प्रसारण नहीं शुरू किया था. वर्तमान में हिंदी, उर्दू, बांग्ला, तमिल और अंग्रेजी में भारत के लिए विशेष कार्यक्रम बनाये जाते हैं.
1968: क्राइसिस रेडियो की शुरुआत
वॉरसॉ संधि के सैनिकों ने अगस्त 1968 में चेकोस्लोवाकिया में "प्राग बसंत" का अंत कर दिया. डीडब्ल्यू ने इस राजनीतिक संकट की घड़ी में पूर्वी यूरोप की ब्रॉडकास्ट भाषाओं में अपने कार्यक्रमों का और विस्तार किया और "डीडब्ल्यू क्राइसिस रेडियो" की शुरुआत हुई. अपने पूरे इतिहास में, डीडब्ल्यू ने बार बार महत्वपूर्ण घटनाओं के समय अपने टारगेट समूहों तक जानकारी पहुंचाने के लिए अपने कार्यक्रमों का विस्तार किया है.
1999: कोसोवो युद्ध के दौरान खोज अभियान
कोसोवो युद्ध के दौरान डीडब्ल्यू अल्बेनियन ने युद्ध से प्रभावित लोगों और उनके परिवार के सदस्यों की मदद के लिए एक सेवा की शुरुआत की. अप्रैल से अक्टूबर तक 8,00,000 लोगों ने संपादकीय दफ्तर से संपर्क किया. डीडब्ल्यू की यह सेवा बहुत सफल रही, जैसा कि इस समय हुए एक सर्वे ने दिखाया भी. सर्वे में पता चला कि लोगों ने अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस से भी ज्यादा डीडब्ल्यू से संपर्क किया.
2000: यूक्रेनी संपादकीय कार्यालय की स्थापना
मार्च में डीडब्ल्यू की यूक्रेनी सेवा ने एक शॉर्टवेव रेडियो कार्यक्रम शुरू किया. "ऑरेंज क्रांति" के इर्द गिर्द फैले उथल पुथल ने दिखाया कि यूक्रेन यूरोप की तरफ देख रहा था. 2014 में प्रदर्शन और रूस के क्रिमिया के कब्जे की वजह से कार्यक्रम का और विस्तार किया. ऑनलाइन और सोशल मीडिया कार्यक्रमों का भी विस्तार किया गया.
2001: अफगानिस्तान में तालिबान का पतन
2001 में अफगानिस्तान में जब तालिबान को सत्ता से हटा दिया गया तब डीडब्ल्यू और डीडब्ल्यू अकादमी ने एक टीवी कार्यक्रम और पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को शुरू कर पुनर्निर्माण की कोशिशों में योगदान दिया. 2021 में जब तालिबान की सत्ता में वापसी हुई तब डीडब्ल्यू ने तुरंत एक इवैक्युएशन कार्यक्रम चलाया और शॉर्टवेव को फिर से शुरू किया.
2010 से: अरब बसंत
डीडब्ल्यू ने जमीन पर युवा टारगेट श्रोताओं तक पहुंचने और यूजरों के साथ जानकारी के आदान प्रदान के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया. कार्यक्रमों में मिस्र, सीरिया और तुनिशिया जैसे देशों से कई लोकतंत्र एक्टिविस्टों को शामिल किया गया. इनमें नोबेल शांति पुरस्कार विजेता तवक्कुल कर्मन भी शामिल थीं, जो इस पुरस्कार को पाने वाली पहली अरब महिला बनीं.
2017: इंफोमाइग्रेंट्स ऑनलाइन मंच
इंफोमाइग्रेंट्स प्रवासियों और शरणार्थियों के लिए जानकारी उपलब्ध कराता है. यह कार्यक्रम अब छह भाषाओं में है: अंग्रेजी, अरबी, फ्रेंच, दारी, पश्तो और बांग्ला. यह यूरोपीय संघ का एक प्रोजेक्ट है. यह उन लोगों के लिए स्वतंत्र और भरोसेमंद जानकारी उपलब्ध कराता है जो अपना देश छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं, या जो यूरोप के रास्ते में हैं और वो भी जो यूरोप पहुंच चुके हैं.
2019: बाल्कन मार्ग पर शरणार्थियों के हालात
2019 में बांग्लादेश और भारत जैसे तथाकथित सुरक्षित देशों से कई प्रवासी बाल्कन मार्ग पर यूरोप के लिए निकल पड़े. उन्हें जबरन वसूली और यातनाओं का सामना करना पड़ता है. डीडब्ल्यू बांग्ला ने बोस्निया-क्रोएशिया की सीमा से दक्षिण एशिया से आए शरणार्थियों की हालत दिखाई. इनके बारे में मीडिया में शायद ही कहीं कोई जानकारी थी. बांग्लादेश में इन रिपोर्टों पर बहुत चर्चा हुई.
2021: डीडब्ल्यू अब 32 भाषाओं में
डीडब्ल्यू हंगेरियन की शुरुआत के साथ डीडब्ल्यू ने एक ऐसे प्रांत को लक्ष्य किया है जहां स्वतंत्र मीडिया पर दबाव बढ़ता जा रहा है. यह सेवा मुख्य रूप से युवा श्रोताओं के लिए है. डीडब्ल्यू की तमिल सेवा भी युवाओं के लिए, विशेष रूप से युवा महिलाओं के लिए है और टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर अपना ध्यान केंद्रित रखती है. लोकप्रिय कार्यक्रम ईकोइंडिया तमिल में भी उपलब्ध है. यह तस्वीर हंगरी की है.
2022: यूक्रेन युद्ध - डीडब्ल्यू पर रूस में प्रतिबंध
रूस में प्रतिबंधित कर दिए जाने की वजह से डीडब्ल्यू अब मॉस्को से रिपोर्ट नहीं करता है. मॉस्को की जगह लातविया की राजधानी रीगा में एक नया स्टूडियो बनाया गया है. रूसी और यूक्रेनी कवरेज का विस्तार किया गया. मार्च 2023 में रूसी समाचार कार्यक्रम डीडब्ल्यू नोवोस्ती को रोजाना पेश किया गया. कीव में डीडब्ल्यू संवाददाताओं, संपादकों और कैमरा संचालकों के अलावा करीब 20 स्थानीय पत्रकार काम कर रहे हैं.