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अपराधभारत

भारत: क्या डे-केयर में भी सुरक्षित नहीं बच्चे

११ अगस्त २०२५

कामकाजी माता-पिता अक्सर बच्चों को संभालने के लिए डे-केयर का सहारा लेते हैं लेकिन दिल्ली से सटे नोएडा में एक डे-केयर में 15 महीने की बच्ची के साथ मारपीट और हिंसा की घटना सामने आई है.

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डे-केयर में 15 महीने की बच्ची के साथ हिंसा (प्रतीकात्मक तस्वीर)
डे-केयर में 15 महीने की बच्ची के साथ हिंसा (प्रतीकात्मक तस्वीर)तस्वीर: Inderlied/Kirchner-Media/imago images

नोएडा के एक डे-केयर में 15 महीने की बच्ची के साथ वहां काम करने वाली एक नाबालिग मेड ने बेरहमी से मारपीट की. बच्ची के साथ मारपीट की घटना सीसीटीवी में कैद हो गई है, जिसमें मेड बच्ची को थप्पड़ मार रही है, उसे दांत काट रही है और प्लास्टिक के बैट से भी पीट रही है.

रिपोर्टों के मुताबिक यह घटना 4 अगस्त को हुई जब बच्ची की मां उसे डे-केयर से घर लाई और उसे बेसुध रोते हुए पाया. बच्ची के कपड़े बदलते समय, मां ने उसकी दोनों जांघों पर गोलाकार निशान देखे. इसके बाद, वह बच्ची को डॉक्टर के पास ले गई, जिन्होंने बताया कि ये निशान इंसान के काटने के निशान जैसे थे.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक 15 महीने की बच्ची के माता-पिता मोनिका और संदीप कुमार 21 मई से अपनी बेटी को डे-केयर में भेज रहे थे. बच्ची के पिता ने डे-केयर में एडमिशन के पहले खुद वहां की सुरक्षा व्यवस्था की जांच कर ली थी, जिसमें यह पुष्टि करना भी शामिल था कि पूरे परिसर में पांच सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.

संदीप ने अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, "अपनी बेटी को भेजने से पहले, हमने डे-केयर में सभी सुरक्षा उपायों की जांच कर ली थी. सभी कमरों, हॉल और रसोई में पांच सीसीटीवी कैमरे लगे थे. मालिक ने हमें दाखिले के दौरान भरोसा दिया था कि हर बच्चे की सुरक्षा डे-केयर की जिम्मेदारी है."

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माता-पिता के आरोप

संदीप ने आगे कहा, "मेरी पत्नी ने टीचर्स से काटने के निशान के बारे में पूछा, लेकिन उन्हें बताया गया कि उसे घर से कोई संक्रमण हुआ है. वह तुरंत डॉक्टर के पास गई. डॉक्टर ने पुष्टि की कि यह कोई संक्रमण नहीं, बल्कि इंसानी दांतों के निशान थे. उन्होंने मेरी पत्नी को यह भी बताया कि ऐसा लगता है कि हमारी बेटी को प्रताड़ित किया गया था क्योंकि वह साफ तौर पर डरी हुई थी."

इसके बाद बच्ची के माता-पिता ने नोएडा के एक पुलिस स्टेशन में शिकायत की और एफआईआर दर्ज की गई. अभिभावकों का आरोप है कि डे-केयर मालिक ने इन घटनाओं के दौरान कोई दखल नहीं दिया. उन्होंने यह भी कहा कि जब उन्होंने अपने बच्चे पर हुए हमले के बारे में मालिक और डे-केयर मेड से बात की, तो उन्होंने उनके साथ गाली-गलौज की और उन्हें धमकाया.

माता-पिता की शिकायत के बाद, नोएडा के सेक्टर-142 थाने की पुलिस ने मामला दर्ज किया, बच्ची का मेडिकल टेस्ट कराया और आरोपी नाबालिग मेड को गिरफ्तार कर लिया. मेड के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 115(2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 351(2) (आपराधिक धमकी) और 352 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) के तहत आरोप दर्ज किए गए हैं.

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बच्ची की मां ने क्या कहा

बच्ची की मां ने मीडिया से कहा है कि उन्होंने बच्ची को डे-केयर में इसलिए भेजा कि वह वहां कुछ सीखे, खेले और बच्चों के साथ समय बिताए. उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि उनकी बच्ची के साथ वहां इतनी हिंसा होगी. उन्होंने आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने की मांग की है और डे-केयर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की है.

पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि चारू नाम की महिला द्वारा संचालित डे-केयर ने इस तरह के संवेदनशील काम के लिए एक नाबालिग को कैसे काम पर रखा. पुलिस डे-केयर के लाइसेंस की जांच कर रही है और अगर कोई अनियमितता पाई जाती है तो कार्रवाई कर सकती है.

डे-केयर के भरोसे कामकाजी माता-पिता

बढ़ती उम्र के साथ बच्चों की मांगें और जरूरतें बढ़ती जाती हैं. आज ज्यादातर घरों में मां बाप दोनों कामकाजी हैं ऐसे में बच्चों को पालना और उसके विकास के लिए सबकुछ व्यवस्थित तरीके से मुहैया कराना डे-केयर सेंटर में ही संभव है. दादी और नानी के भरोसे बच्चों को पालना खासकर शहरों अब बहुत मुश्किल हो गया है.  

दूसरा बड़ा मसला है कि सामाजिक दूरी. कोरोना तो एक महामारी का दौर था, लेकिन आम तौर पर भी ज्यादातर देशों में लोगों का संपर्क घट रहा है. परिवार छोटे हो रहे हैं और गली मोहल्लों के लोगों से भी रोजमर्रा की मुलाकातें नहीं होतीं. ऐसे में बच्चों को समाज में रहने के लिए तैयार करने की बड़ी जिम्मेदारी इन्हीं डे-केयर्स और डे स्कूलों पर है. घर में भाई बहन या दूसरे लोगों की कमी डे-केयर सेंटर में आकर आसानी से पूरी हो जाती है.

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लेकिन बढ़ती मांग के कारण भी कई ऐसे डे-केयर्स खुल गए हैं जो सिर्फ इसे एक बिजनेस के तौर पर देखते हैं. कई कामकाजी माता-पिता अपने दफ्तर के पास ही डे-केयर की तलाश में रहते हैं ताकि वे लंच ब्रेक के दौरान अपने बच्चे से मिल सके.

आमिर अंसारी, डीडब्ल्यू हिन्दी, नई दिल्ली
आमिर अंसारी डीडब्ल्यू के दिल्ली स्टूडियो में कार्यरत विदेशी संवाददाता.