2024 में रिकॉर्ड संख्या में पत्रकारों की हत्या
2024 पत्रकारों के लिए पिछले 30 वर्षों का सबसे खतरनाक साल रहा. इस साल पूरी दुनिया में कम से कम 124 मीडिया कर्मी मारे गए. ये आंकड़े अंतरराष्ट्रीय संगठन कमेटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ जर्नलिस्ट के हैं.
मीडियाकर्मियों की हत्या में रिकॉर्ड वृद्धि
2023 के मुकाबले 2024 में पत्रकारों की हत्याओं में 22 फीसदी की वृद्धि हुई. इसकी वजह वैश्विक संघर्ष, राजनीतिक अशांति और आपराधिक हिंसा में बढ़ोतरी रही. 2024 में कुल 124 पत्रकारों ने काम करते हुए जान गंवाई.
इस्राएल सबसे घातक
कुल मौतों की लगभग 70 फीसदी (124 में से 85) इस्राएल-हमास युद्ध में हुईं. 2024 में 82 फलीस्तीनी पत्रकार मारे गए.
सूडान और पाकिस्तान
पत्रकारों की हत्या के लिहाज से बीते साल यह दोनों देश दूसरे नंबर पर रहे. दोनों जगह छह-छह पत्रकारों की हत्याएं हुई.
भारत में एक हत्या
2024 में भारत में एक पत्रकार की हत्या हुई. 2023 में वहां पांच पत्रकारों की हत्याएं हुई थी. भारत में पत्रकारों की हत्या का उच्चतम आंकड़ा 2013 में था जब आठ पत्रकार मारे गए थे.
मेक्सिको का संकट
पत्रकार सुरक्षा कार्यक्रमों के बावजूद, मेक्सिको में पांच रिपोर्टरों की हत्या हुई. मेक्सिको हर साल पत्रकारों की हत्याओं के मामले में सबसे कुख्यात देशों में शामिल रहता है.
वैश्विक स्तर पर फैलाव
पत्रकारों की ये हत्याएं 18 देशों में हुई हैं, जिनमें म्यांमार, भारत, इराक, रूस और यूक्रेन भी शामिल हैं. कमेटी फॉर प्रोटेक्शन ऑप जर्नलिस्ट यानी सीपीजे के मुताबिक कम से कम 24 पत्रकारों को उनके काम के कारण जानबूझ कर मारा गया.
फ्रीलांस पत्रकारों के लिए जोखिम
स्वतंत्र पत्रकारों को अक्सर संस्थागत सुरक्षा का अभाव होता है, और 2024 में पत्रकारों की कुल हत्याओं में से 43 फ्रीलांस पत्रकारों की हत्या थी.
2025 की निराशाजनक शुरुआत
सीपीजे का कहना है कि 2025 की शुरुआत भी पत्रकारों के लिए निराशाजनक रही है और नए साल के पहले कुछ हफ्तों में ही छह पत्रकारों की हत्या हो चुकी है. जनवरी में भारत के बीजापुर में एक पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या हो गई थी.